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यह आर्टिकल लिखा गया सहयोगी लेखक द्वारा Reena Vokoun, MA. रीना वोकॉन कैलिफोर्निया में एक ACE सर्टिफाइड फिटनेस और डांस इंस्ट्रक्टर हैं। वह Passion Fit जो कि एक हेल्थ, वेलनेस और फिटनेस लाइफस्टाइल कंपनी है, की फाउंडर हैं।
यहाँ पर 7 रेफरेन्स दिए गए हैं जिन्हे आप आर्टिकल में नीचे देख सकते हैं।
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चरण
- कुम्भाकासन के विषय में जानें।: कुम्भाकासन योग के सबसे मूलभूत आसनों में से एक है। इस आसन से शुरुआत करके, कई अन्य आसन आसानी से किये जा सकते हैं। हाथ, पीठ और शरीर के मूल भाग की मज़बूती बढ़ने के अलावा रोज़ाना कुम्भाकासन के अभ्यास से अंग-विन्यास की उन्नति भी होती है। [४]
- किसी भी योग आसन का अभ्यास शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य पूछें की आप इस आसन के लिए स्वस्थ हैं या नहीं।
- यदि आपको पीठ, कंधे या पेट सम्बंधी कोई चोट लगी हो तो कुम्भाकासन करते समय सावधानी बरतें।
- दोनों हांथों और घुटनों के बल शुरू करें।: यदि आप योग में नए हैं या आपका शरीर उतना लचीला नहीं, तो आप कुम्भाकासन दोनों हांथों और घुटनों के बल शुरू कर सकते हैं। यह कोई भी आसानी से कर सकता है।
- आपके हाथ कन्धों के बिलकुल नीचे होने चाहियें और घुटने कूल्हों के बिलकुल नीचे।[५]
- आप पैरों का उपरी हिस्सा फर्श पर बिलकुल सपाट रख सकते हैं या उंगलियों को ऊपर की तरफ मोड़ सकते हैं।[६]
- सांस नाक से सामान्य तरीके से अन्दर लें और बाहर छोड़े। हो सके तो सांस अन्दर लेते वक्त धीमी आवाज़ निकालें। इस तरह से सांस लेने को उज्जायी स्वास कहते हैं और यह आगे की मुद्राओं में मदद करता है।[७]
- सांस लेते हुए श्रोणि को एड़ियों की तरफ धकेले।: अपने हांथों को स्थायी रखकर उज्जायी स्वास लेते हुए अपने श्रोणि को एड़ियों की तरफ धकेलें। अब आप एक शिशु मुद्रा में होंगे जिसे बालासन भी कहते हैं।[८]
- यदि आपने उँगलियों को ऊपर की तरफ ना मोड़ा हो तो उन्हें मोड़ लें और उनके निचले हिस्से से ज़मीन पर ज़ोर लगायें।
- अपनी छाती को घुटनों की तरफ ले जायें और सामने की तरफ देखें।[९]
- सांस छोड़ते हुए अधो मुख स्वनासन करें।: शिशु मुद्रा या बालासन से सांस छोड़ते हुए अपने श्रोणि को छत की ओर ले जायें। अब आप कुकुर मुद्रा में होंगे जिसे अधो मुख स्वनासन कहा जाता है।[१०]
- अपनी हथेलियों को ज़मीन पर सपाट रखें और पेट के मांसपेशियों पर ज़ोर बनायें रखें ।[११]
- अपने कन्धों को पीठ की ओर और बांहों को अन्दर की तरफ घुमाएँ, ताकि कुहनियों का अन्द्रूनी हिस्सा एक दुसरे के तरफ हो।[१२]
- आपकी एड़ियां ज़मीन को छू पाति है की नहीं, यह आपके पीठ और पैर के लचीलेपन पर निर्भर करता है। आप जितना अभ्यास करेंगे, एड़ियों से ज़मीन छूना उतना ही आसान होगा।[१३]
- अपनी श्रोणि को छत की ओर धकेलते रहें।[१४]
- आप अपनी नज़र नाभि की तरफ रख सकते हैं, पर ध्यान रखें की आपका सर आराम से झूल रहा हो।[१५]
- इस अवस्था में सामान्य तरीके से सांस लेते हुए कुम्भाकासन करने की तैयारी करें।[१६]
- सांस अन्दर लेते हुए कुम्भाकासन करने के लिए सामने झुकें।: अधो मुख स्वनासन से कुम्भाकासन करने के लिए सांस लेते हुए अपनी कमर को आगे झुकाएं।[१७] कुम्भाकासन करते समय आपके कंधे हांथों के बिलकुल ऊपर होने चाहियें और एड़ियों को पीछे की ओर धकेलना चाहिए। यह आसन डंड के ऊँचे मुद्रा के जैसा होता है।[१८]
- अपने पेट के मांसपेशियों पर ज़ोर बनाये रखें और अपनी श्रोणि को ऊपर न करें।[१९]
- आपके पैरों के बीच की दूरी कमर के समान और आरामदायक होनी चाहिए।[२०]
- अपने कुहनियों को छाती के पास रखें और कंधो को सर से दूर, नीचे की ओर खीचें, ताकि गर्दन लम्बी लगे।[२१]
- छाती को जितना हो सके खुला रखें। कंधो को नीचे की ओर खीचने से इसमें सहायता मिलेगी।[२२]
- एड़ियों को पीछे की ओर धकेलते रहें। इससे ज्यादा स्थिरता मिलेगी।[२३]
- अपने जांघो की मांसपेशियों पर ज़ोर बनाये रखें; घुटनों को ऊपर की तरफ खीचने से आपको इसमें सहायता मिलेगी।[२४]
- आपके हांथों और पैरों पर समान दबाव होना चाहिए।[२५]
- अधो मुख स्वनासन से कुम्भाकासन करते समय आपको हाथों और पैरों के स्थान को बदलने की ज़रूरत नहीं पड़नी चाहिए। हाथ और पैर सही स्थान पर होंगे तो आप नियुक्त मुद्रा में स्वयं ही आसानी से आ जायेंगे।[२६]
- सांस बहार छोड़ते हुए अधो मुख स्वनासन करें। ३-५ बार सांस लेने तक कुम्भाकासन में रहें, फिर सांस बाहर छोड़ते हुए कमर को पीछे ले जायें और वापस से अधो मुख स्वनासन करें। अगला आसन करने से पहले अधो मुख स्वनासन में विश्राम करें।[२७]
- अपने हांथों को ज़मीन पर सपाट रखें, पेट के मांसपेशियों पर ज़ोर लगाये रखें और श्रोणि को छत की ओर धकेलते रहें।.[२८]
- अपने कन्धों को पीठ की ओर और बांहों को अन्दर की ओर घुमाएँ ताकि कुहनियों का अन्द्रूनी हिस्सा एक दुसरे की तरफ हो। [२९]
- इस आसन में जब तक चाहें सामान्य तरीके से सांस अन्दर लें और बाहर छोड़े।[३०]
- कुम्भाकासन दोहराएं।: यदि आपको कुम्भाकासन करने में आनंद आ रहा हो या आप केवल ताकत बढ़ाने के लिए यह कर रहें हों, तो कुम्भाकासन और अधो मुख स्वनासन को जितनी बार मन करे दोहराएं।[३१]
- कुम्भाकासन के बाद कम से कम ३-५ सांस लेने तक अधो मुख स्वनासन में रहें।
- कुम्भाकासन के कठिन रूपांतर करने की कोशिश करें।: कुम्भाकासन में महारथ हासिल करने के बाद, आप चुनौती के तौर पर, इस आसन के अन्य कठिन रूपांतर करने की कोशिश कर सकते हैं।[३२] जब तक ऊपर सिखाये गए तरीके से कुम्भाकासन करते समय आप अपने शरीर को सीधा और स्थिर न रख सकें, तब तक इन रूपान्तरों को करने की कोशिश न करें।
- धीरे से एक पैर ऊपर करें, ताकि अब आप एक पैर पर ज़ोर डालते हुए कुम्भाकासन कर रहे हों।
- एक हाथ से कुम्भाकसं करने के लिए, धीरे से एक हाथ फर्श पर से उठा लें और धीरे से वापस लायें। बारी बारी से दोनों हाथ से दोहराएं। ध्यान रखें की आपके कुल्हे स्थिर रहें और एक तरफ से दूसरी तरफ न हिलें।
- कुभाकासन खत्म करें।: कुम्भाकासन और अधो मुख स्वनासन कई बार दोहराने के बाद, अभ्यास ख़त्म करने के लिए अधो मुख स्वनासन से धीरे से घुटने ज़मीन पर टीकाएँ। आप उसी मुद्रा में पहुँच जाएँगे जिससे शुरुआत की थी।
- यदि आपको आराम की जरूरत है तो बालासन फिर से करें।
- अपने हांथों और घुटनों के बल शुरू करें।: यदि आप योग में नए है या आपका शरीर उतना लचीला नहीं है तो आप वसिष्ठासन दोनों हांथों और घुटनों के बल शुरू करें। यह कोई भी आसानी से कर सकता है।
- आपके हाथ कन्धों के बिलकुल नीचे होने चाहिए और घुटने कूल्हों के बिलकुल नीचे।[३३]
- आप पैरों का उपरी हिस्सा फर्श पर बिलकुल सपाट रख सकते हैं या उंगलियों को ऊपर की तरफ मोड़ सकते हैं।[३४]
- सांस नाक से सामान्य तरीके से अन्दर लें और बाहर छोड़े। हो सके तो सांस अन्दर लेते वक्त धीमी आवाज़ निकालें। इस तरह से सांस लेने को उज्जायी स्वास कहते हैं और यह आगे की मुद्राओं में मदद करता है।[३५]
- सांस लेते हुए श्रोणि को एड़ियों की तरफ धकेले।: अपने हांथों को स्थायी रखकर उज्जायी स्वास लेते हुए अपने श्रोणि को एड़ियों की तरफ धकेलें। अब आप एक शिशु मुद्रा में होंगे जिसे बालासन भी कहते हैं।[३६]
- यदि आपने उँगलियों को ऊपर की तरफ ना मोड़ा हो तो उन्हें मोड़ लें और उनके निचले हिस्से से ज़मीन पर ज़ोर लगायें।
- अपनी छाती को घुटनों की तरफ ले जायें और सामने की तरफ देखें।[३७]
- सांस छोड़ते हुए अधो मुख स्वनासन करें।: शिशु मुद्रा या बालासन से सांस छोड़ते हुए अपने श्रोणि को छत की ओर ले जायें। अब आप कुकुर मुद्रा में होंगे जिसे अधो मुख स्वनासन कहा जाता है।[३८]
- अपने हथेलियों को ज़मीन पर सपाट रखें और पेट के मांसपेशियों पर ज़ोर बनायें रखें।[३९]
- अपने कन्धों को पीठ की ओर और बांहों को अन्दर की तरफ घुमाएँ, ताकि कुहनियों का अन्द्रूनी हिस्सा एक दुसरे के तरफ हो।[४०]
- आपकी एड़ियां ज़मीन को छू पाति है की नहीं, यह आपके पीठ और पैर के लचीलेपन पर निर्भर करता है। आप जितना अभ्यास करेंगे, एड़ियों से ज़मीन छूना उतना ही आसान होगा।[४१]
- अपनी श्रोणि को छत की ओर धकेलते रहें।[४२]
- आप अपनी नज़र नाभि की तरफ रख सकते हैं, पर ध्यान रखें की आपका सर आराम से झूल रहा हो।[४३]
- इस अवस्था में सामान्य तरीके से सांस लेते हुए कुम्भाकासन करने की तैयारी करें।[४४]
- सांस अन्दर लेते हुए कुम्भाकासन करने के लिए सामने झुकें।: अधो मुख स्वनासन से कुम्भाकासन करने के लिए सांस लेते हुए अपनी कमर को आगे झुकाएं।[४५] कुम्भाकासन करते समय आपके कंधे हांथों के बिलकुल ऊपर और एड़ियों से पीछे के तरफ ज़ोर लगाना चाहिए। यह मुद्रा डंड के ऊँचे मुद्रा के जैसी होती है। [४६]
- अपने पेट के मांसपेशियों पर ज़ोर बनाये रखें और अपनी श्रोणि को ऊपर न करें।[४७]
- आपके पैरों के बीच की दूरी कमर के जितनी और आरामदायक होनी चाहिए।[४८]
- अपने कुहनियों को छाती के पास रखें और कंधो को सर से दूर नीचे की ओर खीचें ताकि गर्दन लम्बी लगे।[४९]
- छाती को जितना हो सके खुला रखें। कंधो को नीचे की ओर खींचने से इसमें सहायता मिलेगी[५०]
- एड़ियों को पीछे की ओर धकेलते रहें। इससे ज्यादा स्थिरता मिलेगी।[५१]
- अपने जांघो की मांसपेशियों पर भी ज़ोर बनाये रखें; घुटनों को ऊपर की तरफ खीचने से इसमें सहायता मिलेगी।[५२]
- आपके हांथों और पैरों पर समान दबाव होना चाहिए।[५३]
- अधो मुख स्वनासन से कुम्भाकासन करते समय आपको हाथों और पैरों के स्थान को बदलने की जरूरत नहीं परनी चाहिए। आपका हाथ और पैर सही स्थान पर होंगे तो आप नियुक्त मुद्रा में स्वयं ही आसानी से आ जायेंगे।[५४]
- वसिष्ठासन के लिए सांस छोरते हुए अपने दाहिने तरफ घूमें।: सांस छोरते हुए अपने दाहिने हाथ पर सारा वजन डालें और दाहिने तरफ घूमें।[५५] इस अवस्था में ३-५ बार सांस लेने तक रहें और शरीर को स्थिर रखें ताकि चोट लगने की सम्भावना कम हो।
- आपके कुल्हे एक दुसरे के ऊपर समानता से होने चाहिए। उसी तरह आपका बांया पैर दाहिने पैर के ऊपर होना चाहिए।[५६]
- जिस हाथ का सहारा हो वो हाथ सीधा और कंधो के थोड़ा आगे होना चाहिए।[५७] हांथों को दृढ़ता से ज़मीन पर रखते हुए त्रिशिस्क की मांसपेशियों पर ज़ोर डालने से स्थिर रहने में आपको आसानी होगी।[५८]
- आपका बांया हाथ सीधा छत के तरफ होना चाहिए।[५९]
- अपने पेट और पीठ की मांसपेशियों पर दबाव बनाये रखना न भूले।[६०]
- आपके पीछे एक दीवार है जिसपर वसिष्ठासन करते समय आप सपाट हैं, ऐसी कल्पना करने से आपको सहायता मिल सकती है।
- सांस लें और कुम्भाकासन की मुद्रा में वापस आयें।: ३-५ बार सांस लेने के बाद, सांस लेते हुए वापस कुम्भाकासन करें। ऐसी अवस्था में १-२ सांस लेते हुए विश्राम करें और फिर अपने बांये हाथ पर वसिष्ठासन करें।
- वसिष्ठासन के अन्य रूपांतर करने का प्रयास करें।: वसिष्ठासन में महारथ हासिल करने के बाद, आप इसके अन्य कठिन रूपांतर करने की कोशिश कर सकते हैं। यह रूपांतर तभी कोशिश करें जब आपको वाशिष्ठासन में महारथ हासिल हो चुकी हो अन्यथा चोट लगने का खतरा होता है।[६३]
- वसिष्ठासन का अभ्यास ख़त्म करना।: एक दो बार दोहराने के बाद वसिष्ठासन का अभ्यास ख़त्म करने के लिए पहले कुम्भाकासन करें और फिर अधो मुख स्वनासन करें। आप चाहें तो यहाँ पर अभ्यास ख़त्म कर सकते हैं या बालाकासन करके भी ख़त्म कर सकते हैं।
चीजें जिनकी आपको आवश्यकता होगी
- योग के लिए कालीन
रेफरेन्स
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