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माँ सरस्वती विद्या और सभी कलाओं की हिन्दू देवी हैं। अक्सर स्टूडेंट्स, प्रोफेशनल्स, आर्टिस्ट और म्यूजीशियन के द्वारा कलात्मक और तकनीकी कौशल, एकेडमिक स्ट्रेंथ, ज्ञान और अच्छी हैल्थ पाने के लिए देवी सरस्वती को पूजा जाता है। सरस्वती पूजा को हिन्दू त्यौहार वसंत पंचमी और नवरात्रि में किया जाता है और सरस्वती पूजा को आप जब चाहें, तब माँ सरस्वती का स्मरण करने के लिए आपके घर पर भी कभी भी परफ़ोर्म कर सकते हैं। इस नियम को करने के लिए, सबसे पहले सुबह जल्दी उठें और नहा लें, अपने घर को साफ करें, अपनी प्रतिमा या मूर्ति को स्थापित करें, मंत्र पढ़ें और भोग लगाएँ।
चरण
- सुबह 5 से 8 बजे के बीच में जाग जाएँ: जब घर पर सरस्वती पूजा करें, सुबह जल्दी उठने की पारंपरिक प्रथा होती है। आप सुबह 5 से 8 बजे के बीच का एक अलार्म सेट कर सकते हैं या फिर आप खिड़की से सूरज की किरणें देखकर भी उठ सकते हैं।[१]
- इस नियम को पूरा करने के लिए खुद को कम से कम 1 घंटे का समय दें, हालांकि कुछ लोग इससे भी ज्यादा समय ले सकते हैं।
- नीम और हल्दी से बने एक पेस्ट को अपने शरीर पर लगाएँ: पेस्ट बनाने के लिए, 20 या और ज्यादा नीम की पत्तियों को गरम पानी में तब तक के लिए डुबोकर रखें, जब तक कि ये नरम नहीं हो जाती, फिर पत्तियों को छानें और फिर ओखल और मूसल से पत्तियों को पीसें। फिर, मूसल और ओखल में 1/4 चम्मच (1.2 ग्राम) पिसी हल्दी डालें। पेस्ट को पीसें, फिर इसकी एक पतली, ईवन लेयर को अपने चेहरे, सीने, आर्म्स पर, ऊपरी शरीर पर और पैरों पर लगाएँ।[२]
- माना जाता है कि इस पेस्ट में चिकित्सीय और औषधीय प्रभाव होते हैं। जैसे, नीम और हल्दी का पेस्ट मुहाँसे का इलाज करने में और हेल्दी स्किन बनाने में मदद करता है।
- जरूरत के अनुसार और पेस्ट तैयार करें।
- नीम और तुलसी की पत्तियों के पानी में नहाएँ: नीम और हल्दी के पेस्ट को अपने शरीर पर लगाने के बाद बाथटब में 1–3 ग्राम नीम और तुलसी की पत्तियों को डालें। टब में 15 से 30 मिनट के लिए सोखें और नीम और हल्दी के पेस्ट को घिसकर निकाल दें।[३]
- ये बाथ शरीर को शुद्ध कर देती है और आपको इन्फेक्शन से बचाती है।
- सफेद या पीले रंग के कपड़े पहनें: नहाने के बाद, इन्हीं रंगों के कपड़ों को पहनकर पूजा करने का रिवाज है। आप एक स्कर्ट, सारी, सलवार-कमीज, कुर्ता-पाजामा पहन सकते हैं।[४]
- आमतौर पर, पूजा करने वाले लोगों को इन दोनों ही कलर के थोड़े ह्यू वाले कपड़े की बजाय, इनमें से किसी एक ही कलर के कपड़े को पहनना चाहिए। जैसे, आप सिर से लेकर पाँव तक सफेद कपड़े पहन सकते हैं या फिर आप पीले कपड़े पहन सकते हैं।
- हिन्दू धर्म में पीले रंग को ज्ञान और शिक्षा का प्रतीक माना जाता है।[५]
- सफेद रंग शुद्धता, शांति और ज्ञान का प्रतीक है।[६]
- सरस्वती पूजा करने के एक दिन पहले अपने घर को साफ कर लें: पूजा शुरू करने के पहले, अपने घर को अच्छी तरह से साफ कर लें। जगह को साफ-सुथरा कर लें और खासतौर से अपनी सभी किताबों को शेल्फ में सीधा सेट कर लें। अपने टूल्स, कंप्यूटर और लैपटॉप को साफ करने के लिए केस्टाइल सोप, विनेगर सलुशन या एशेन्सियल ऑयल जैसे नेचुरल क्लीनिंग प्रॉडक्ट का इस्तेमाल करें।[७]
- अगर आप एक दिन पहले साफ नहीं कर पा रहे हैं, तो खुद को शुद्ध करने के बाद में ऐसा करें।
- अगर आप नवरात्रि के सेलिब्रेशन के रूप में सरस्वती पूजा कर रहे हैं, तो सभी चीजों को नवरात्रि के आठवे दिन तक साफ हो जाना चाहिए।
- अगर आप नेचुरल क्लीनिंग प्रॉडक्ट नहीं यूज कर सकते हैं, तो आप एक ऑल-पर्पस क्लीनर यूज कर सकते हैं। नेचुरल क्लीनिंग कठोर केमिकल्स के मुक़ाबले वातावरण के लिए ज्यादा सेफ होती है और देवी सरस्वती को भी ज्यादा खुश करने वाली होती है।
- चूँकि देवी सरस्वती विद्या की देवी हैं, इसलिए ऐसा माना जाता है कि वे अपनी लाइब्रेरी को सही तरीके से अरेंज करने से ये प्रसन्न होती हैं।
- एक ऊंचे प्लेटफॉर्म पर सफेद कपड़ा बिछाएँ और ऊपर अपनी मूर्ति को रखें: ये आपके वेदी का आधार है। आप सिल्क या लिनेन के जैसे किसी भी व्हाइट फेब्रिक के पीस का इस्तेमाल कर सकते हैं। कपड़े को आपके हाथों से स्मूद करें, ताकि उसमें कहीं भी सिकुड़न या सिलवट न रह जाए। फिर, देवी सरस्वती की मूर्ति को उस पर बीच में रखें।[८]
- आप चाहें तो एक ऊंचे प्लेटफॉर्म के रूप में अपनी टेबल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- मूर्ति या सरस्वती माँ के चित्र को अक्सर आइडल के रूप में यूज किया जाता है।
- अगर आपके पास में मूर्ति नहीं है, तो आप फोटोग्राफ यूज कर सकते हैं।
- देवी सरस्वती के साइड में भगवान गणेश की एक मूर्ति को स्थापित करें: सरस्वती देवी की पूजा करने के साथ ही, घर में होने वाली पूजा में अक्सर गणपती की भी प्रतिमा को स्थापित किया जाता है। गणपती प्रथम पूज्य देवता हैं और अक्सर किसी भी पूजा के पहले इन्हें इनका पूजन किया जाता है। सरस्वती देवी की प्रतिमा को स्थापित करने के बाद, उनके साइड में गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।[९]
- इसके साथ गणपती को विघ्नहर्ता के रूप में और कला और विज्ञान के संरक्षक के रूप में भी मनाया जाता है।
- अपने प्लेटफॉर्म को हल्दी, कुमकुम, चावल और फूलों से डेकोरेट कर लें: इन सामग्री को दोनों प्रतिमाओं के आसपास फैलाएँ। आप चावल, माला और फूलों को फैलाने के लिए अपनी उँगलियों का इस्तेमाल कर सकते हैं और साथ में हल्दी और कुमकुम शामिल करने के लिए एक चम्मच भी यूज कर सकते हैं। सफेद, पीले, लाल, नीले और हरे रंग के फूलों का इस्तेमाल करें।[१०]
- इसके साथ ही, इन चीजों को आप एक छोटे कटोरे में भी रख सकते हैं और इन्हें अपनी प्रतिमा के आसपास रख सकते हैं।
- इन चीजों का इस्तेमाल अक्सर माँ सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है।
- हिन्दू धर्म के अनुसार हर एक कलर का अपना एक अलग अर्थ होता है। जैसे, लाला रंग सेलिब्रेशन और शक्ति का प्रतीक होता है। पीला रंग ज्ञान और बुद्धिमत्ता को दर्शाता है। हरा रंग मान को स्थिर करता है। सफेद रंग शुद्धता, शांति और बुद्धिमत्ता को दर्शाता है। फाइनली, नीला रंग नेचर, साहस और शक्ति को दर्शाता है।[११]
- किताबों को, म्यूजिकल इन्स्ट्रूमेंट्स को और आर्ट सप्लाई को पूजा वेदी के करीब रखें: चूँकि देवी सरस्वती विद्या और कला से जुड़ी हैं, इसलिए इनके पूजा के स्थान को विद्या की और कलात्मक वस्तुओं के साथ सुशोभित करने का रिवाज है। आप चाहें तो इन चीजों को टेबल के नीचे या प्रतिमा के करीब भी रख सकते हैं।[१२]
- आप चाहें तो डायरी, पेन, इंक और पेंट ब्रश को भी शामिल कर सकते हैं।
- कलश भरें, आम की पत्तियाँ रखें और ऊपर से पान के पत्ते रखें: कलश हिन्दू धर्म में इस्तेमाल किए जाने वाला एक ताँबे या पीतल का एक ऐसा बर्तन (लोटा) होता है, जिसका बेस चौड़ा और मुंह छोटा होता है। कलश को आपके प्लेटफॉर्म पर रखें और उसे पानी से भरें। बर्तन के अंदर कम से कम 5 आम की पत्तियों की टहनी रखें। फिर, ओपनिंग के ऊपर से एक पान की पत्ती को रखें।[१३]
- माँ सरस्वती को जगाने के लिए सरस्वती पूजा मंत्र का उच्चारण करें: एक गहरी साँस लें और जब आप साँस छोड़ें, तब इस मंत्र का उच्चारण करें: “या कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ्र वस्त्रव्रिता, या वीणा वरा दंडमंडित करा या श्वेत पद्मासना। या ब्रह्मच्युत शंकरा प्रभुतिभी देवी सदा वन्दिता, सामा पातु सरस्वती भगवती निशेश्य जाड्या पहा। ओम् सरस्वत्यै नमः, ध्यानार्थम्, पुष्पकं समर्पयामि।”[१६]
- प्रतिमा के सामने दिया और अगरबत्ती जलाएँ: ऊंचे प्लेटफॉर्म के सामने एक दिया जलाएँ और उसके सामने एक अगरबत्ती बर्नर रखें। एक लाइटर या माचिस का इस्तेमाल करके दिया और अगरबत्ती को जलाएँ।[१७]
- अगर आप तेल का दिया जला रहे हैं, तो आग के खतरे से बचने के लिए दिया को बहुत सावधानी के साथ संभालें।
- दिए से आने वाली रौशनी आपको आह्वान के दौरान प्रोटेक्ट करती है और अगरबत्ती को देवी सरस्वती को चढ़ाया जाता है।[१८]
- मिठाई और फल के रूप में देवी सरस्वती को प्रसाद चढ़ाएँ: प्रसाद हिंदू समारोहों के दौरान आमतौर पर चढ़ाए जाने वाला एक विशिष्ट धार्मिक भोजन है। जब पूजा को पूरा करें, तब आप देवी सरस्वती को आम की पत्तियाँ, फल और मीठा चढ़ा सकते हैं।[१९]
- ऐसा माना जाता है कि इससे देवी प्रसन्न होकर आती हैं और आपको आशीर्वाद और समृद्धि का दान देकर जाती हैं।
- प्रसाद के रूप में पूरे खाने की बजाय किसी खास चीज का भोग लगाया जाता है।
- देवी सरस्वती से आशीर्वाद मांगते हुए शांति के साथ 5 से 15 मिनट के लिए बैठें: आप आपकी आँखें बंद कर सकते हैं और इस समय के दौरान मेडिटेट कर सकते हैं। अपने मन में, देवी सरस्वती का ध्यान करें और उनसे आपको और आपकी विद्वता या रचनात्मक खोज को आशीर्वाद देने के लिए कहें।[२०]
- जैसे आप अगरबत्ती के जलने तक आराम से शांति के साथ बैठे रह सकते हैं।
- प्रसाद ग्रहण करें और अपने फ्रेंड्स और परिवार में प्रसाद बांटें: जब आप इस अनुष्ठान को पूरा करें, आपके द्वारा प्रसाद के रूप में चढ़ाए गए फल और/या मीठे का सेवन करें और उसे अपने परिवार के लोगों में और फ्रेंड्स को बांटें। इसे अपने करीबियों में अच्छा भाग्य और ब्लेसिंग शेयर करने की तरह माना जाता है।[२१]
चीजें जिनकी आपको आवश्यकता होगी
- नीम और हल्दी का पेस्ट
- नीम और तुलसी की पत्तियाँ
- बाथटब या पानी की बाल्टी
- सफेद या पीले कपड़े
- सफेद कपड़ा
- देवी सरस्वती की प्रतिमा
- देव गणेश की प्रतिमा
- हल्दी
- कुमकुम
- चावल
- माल
- फूल
- कलश
- आम की पत्तियाँ
- पान की पत्ती
- दिया
- अगरबत्ती
- प्रसाद
सलाह
- अगर आप पहली बार अपने घर पर सरस्वती पूजा कर रहे हैं, तो अच्छा होगा कि आप शुरुआत करने के पहले ऑनलाइन कुछ वीडियो ट्यूटोरियल देख लें।
- जैसे ही सरस्वती पूजा पूरी हो जाए, फिर बाकी के पूरे दिन शाकाहारी भोजन करें।
चेतावनी
- पूजा करने के बाद पढ़ने से बचने की कोशिश करें। ऐसा माना जाता है कि जब आप अगले दिन वापस आपके काम को फिर से शुरू करते हैं, तब आपको मिला आशीर्वाद और भी पक्का हो जाता है और समृद्धि देता है।
रेफरेन्स
- ↑ https://www.oneindia.com/india/saraswati-puja-2018-vasant-panchami-how-to-perform-puja-what-is-needed/articlecontent-pf31523-2621554.html
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- ↑ http://www.wou.edu/wp/exhibits/files/2015/07/hinduism.pdf
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- ↑ https://detechter.com/what-do-the-different-colors-in-hinduism-represent/
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- ↑ https://www.speakingtree.in/blog/importance-of-kalash-in-hinduism
- ↑ https://www.hindujagruti.org/hinduism/knowledge/article/why-are-mango-leaves-kept-in-the-kalash-during-puja-ritual.html
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