कैसे लोगों के विचारों की चिंता नहीं करें

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यदि आप उन लोगों में से हैं जो लगातार यह सोचते रहते हैं कि दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं तब यह लेख शायद आपको सही दिशा में ले जाने में और उन अप्रिय विचारों को पलटने में सहायता कर सके। इससे कोई अंतर नहीं पड़ता है कि आपको किस बात की धुन है – बिलकुल अनजान लोगों में अच्छा समझे जाने की, अफवाहों को सुनने की, नकारात्मक चक्र में फँसने की – यह लेख आपके जीवन को परिवर्तित करने में सहायता कर सकता है।

  1. How.com.vn हिन्द: Step 1 अत्यधिक चिंता करना छोड़ दीजिये:
    अधिकांश समय जब आपको लगता है कि आपका आकलन किया जा रहा है, ऐसा होता नहीं है। हर मिलने वाले व्यक्ति का आकलन करना, उनकी कमियों और त्रुटियों का विश्लेषण ऐसे करना जैसे कि आप किसी परीक्षा में आकलन कर रहे हों, कठिन होता है।
    • इसकी जांच करने का एक आसान तरीका यह है कि अपनी सीमाओं का विस्तार किया जाये और ऐसा कुछ किया जाये जो आपके लिए सामान्य से कुछ अधिक हो जाये। देखिये कि लोगों की प्रतिक्रिया क्या होती है। संभावना यह है कि केवल आपके “मित्र” ही इस पर ध्यान देंगे और कुछ टिपपड़ी करेंगे, जबकि कोई भी अनजान व्यक्ति इस पर ध्यान भी नहीं देगा।
    • जब भी आप बहुत अधिक सोच रहे हों तब स्वयं को टोकना सीख लीजिये। इस प्रकार के शोषण के पैटर्न को पहचान लीजिये और इस पर विजय पाने के लिए “कुछ करिए”। जैसे कि जब भी आप बहुत अधिक सोचने लगें, तब बलपूर्वक, अपने व्यक्तित्व के किसी भी पहलू की प्रशंसा करिए। इससे आपको बेहतर आत्मसम्मान प्राप्त करने में सहायता मिलेगी:
      • ”विचार करना अच्छी बात है। मैं छोटी छोटी बातों पर भी ध्यान देता हूँ। मैं उन चीज़ों पर भी ध्यान देता हूँ जिन पर दूसरे लोग ध्यान नहीं दे पाते, परंतु मुझे अपनी इस क्षमता का प्रयोग सकारात्मक होने के लिए करना चाहिए, न कि नकारात्मक।“
      • ”मैं किसी भी चीज़ में अच्छा होने की चिंता करता हूँ। कोई भी पूर्णता तो प्राप्त नहीं कर सकता परंतु मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करता हूँ। यदि मैं असफल होता हूँ या उतना अच्छा नहीं कर पाता हूँ, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि मैंने प्रयास नहीं किया। मैं यही तो कर सकता हूँ।“
      • ”मैं सिद्धांतों की परवाह करता हूँ। मेरे कुछ जीवन मूल्य हैं और मैं उन्हीं के अनुसार जीने का प्रयास करता हूँ। विश्व सदैव उस तरह नहीं चलता जैसा मैं चाहता हूँ, परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं प्रयास करना छोड़ दूंगा। जब यह नहीं होगा, तब मैं इसे स्वीकार कर लूँगा।“
  2. How.com.vn हिन्द: Step 2 चीज़ों को उचित परिप्रेक्ष्य में रखिए:
    वे लोग जो दूसरों के सोचने की चिंता करते हैं, अक्सर “मामलों” का छिद्रान्वेषण करने लगते हैं तथा जंगल और पेड़ का अंतर नहीं समझ पाते। जो लोग दूसरों के चिंतन की परवाह नहीं करते, वे आम तौर पर मामले को पूर्णता से समझ पाते हैं। जीने का आपको केवल “एक” ही अवसर मिलता है; क्या आप इसे भी दूसरों के विचारों को मान्यता देकर कम आनंददायक बना देंगे? अब तो यह मूर्खतापूर्ण लगता है, है न।
    • इसको थोड़ा समय दीजिये। इसके अलावा कि जीवन इन सब बातों पर चिंता करने के लिए बहुत छोटा है, दूसरा पहलू यह है कि लोगों की भावनाएँ बदलती भी रहती हैं। जैसे कि, किसी एक पल में लोग आपको पीले जूते पहनने के लिए अपमानित कर सकते हैं, जिससे आपको लगेगा कि आपको वे नहीं पहनने चाहिए। परंतु यदि इस व्यक्ति की राय बदल जाये और वे स्वयं पीले जूते पहनने लगें, तब क्या? लोगों का मस्तिष्क बदल जाता है, इसलिए जो वे अभी सोचते हैं, शायद भविष्य में उसका कोई अर्थ नहीं होगा।
    • उन सभी चीज़ों की एक सूची बनाइये जिनके लिए आप आभारी हों। सूची बना लेने से निश्चय ही सहायता मिलती है। इससे चीज़ें साकार और अधिक वास्तविक हो जाती हैं। जब एक बार आप उन चीज़ों को देखते हैं जो कि आपके जीवन में सही हुई हैं – शायद आपका परिवार, आपकी बुद्धिमता, आपका स्वास्थ्य – आपको यह एहसास होने लगता है कि जीवन में आपके पास जो कुछ “है”, वह उससे अधिक महत्त्वपूर्ण है जो कि “नहीं है”। जीवन आपको जो भी देता है, उसकी सराहना करिए, न कि जो नहीं देता है उसकी बुराई करें।
    • जीवन की छोटी छोटी चीज़ों का आनंद लीजिये। रोज़मर्रा की चीज़ों में सौंदर्य देखना शुरू कीजिये, जैसे कि, किसी बच्चे का कुत्ते के साथ खेलना। रोज़मर्रा की चीज़ों में आनंद लीजिये, जैसे कि, एक प्याला गर्म चाय। प्रतिदिन की चीज़ों में प्रसन्नता खोजिए, जैसे कि, आपके मित्र द्वारा बताई गई कठिनाइयों पर विजय की कहानी।
  3. How.com.vn हिन्द: Step 3 स्वयं पर विश्वास करिए:
    क्या होगा यदि हम अपने पूर्वानुमानों की संख्या कम कर सकें? हाँ, कर सकते हैं। इसकी तरक़ीब, यदि आप उसे यह कहना चाहें तो, यही है कि आप अपने निर्णयों और किए जाने वाले कार्यों के संबंध में अधिक विश्वस्त रहें।
    • क्या आपने कभी किसी ऐसे व्यक्ति को देखा है जिसने ऐसा कुछ कर रखा हो जो असामान्य हो परंतु वह स्वाभाविक लगता हो और जिसका आकलन नहीं किया जा रहा हो? यदि आप पीले जूते पहने हैं और निश्चय ही उनके संबंध में असहज हैं, तब तो लोग आपको निशाना बनाएंगे ही: वे आपकी असुरक्षा को देख सकते हैं और अपने बारे में अच्छा महसूस करने के लिए, आप पर आक्रमण करेंगे ही। “इससे पहले कि दूसरे लोग करें, अपना आकलन स्वयं ही मत शुरू कर दीजिये; पहली बात तो यही है कि उनके द्वारा आपका आकलन किए जाने की संभावना कम है!”
    • ये कुछ छोटी परंतु शक्तिशाली आत्मविश्वास वृद्धि तकनीकें हैं जिनका प्रयास आप सरलता से कर सकते हैं:
      • मुस्कुराइए। विज्ञान का सुझाव है कि मुस्कुराने से आपका आत्मसम्मान प्राकृतिक रूप से बढ़ता है।[१] यदि आप अक्सर मुस्कुराएंगे तो आप लोगों को यह संदेश देंगे कि आप अधिक मित्रवत हैं और वे भी वापस मुस्कुराएंगे, प्रसन्न होंगे और यहाँ तक कि आपको क्षमा भी कर देंगे।
      • सफलता की कल्पना करिए। “क्या होगा यदि मैं असफल हुआ तो?” जैसे दिमाग में घूमने वाले विचारों के संबंध में मत सोचिए। इसके स्थान पर सोचिए कि: “मैं कैसे सफल होउंगा?”
      • लक्ष्य को छोटे छोटे भागों में बाँट लीजिये। स्वयं को असफलता के लिए तैयार मत करिए। स्वयं को सफलता के लिए तैयार करिए। यदि आपका लक्ष्य लड़कों (या लड़कियों) के बीच में अधिक विश्वस्त बने रहने का है, तब इस लक्ष्य को छोटे छोटे भागों में बाँट लीजिये: नज़रें मिलाना, बातचीत करना, छेड़ छाड़ आदि। जब आप इस बड़े लक्ष्य का छोटा हिस्सा प्राप्त कर लें तब भी स्वयं को पुरस्कृत करिए।
  4. How.com.vn हिन्द: Step 4 अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना सीखिये:
    जब आप अपनी सीमाओं का विस्तार करना शुरू करते हैं तथा अधिक विश्वस्त हो जाते हैं, तब निश्चय ही आपके मिश्रित मनोभाव होते हैं। तनाव, चिंता और भय से विश्राम और प्रसन्नता तक मस्तिष्क का एक प्रकार से रोलर कोस्टर होता है; यहीं पर आपके मनोभावों के नियंत्रण की बात सामने आती है। एकहार्ट टोले (Eckhart Tolle) द्वारा प्रस्तावित सीधा सादा अभ्यास इस प्रकार से है:
    • अपने अंतर के मनोभावों के संबंध में सचेत रहिए – जैसे कि भय या चिंता
    • इसको अपने मस्तिष्क में देखिये।
    • यदि आप इसको अपने मस्तिष्क में देख पा रहे हैं, तब तो यह आपका कोई भाग नहीं है
    • इस मनोभाव को जाते हुये देखिये
    • जैसे ही आप किसी मनोभाव को देखते हैं, आप स्वयं को उस मनोभाव से अलग कर लेते हैं और इसलिए वह वहीं पर बना नहीं रह सकता है।
  5. How.com.vn हिन्द: Step 5 स्वयं को, जो भी हैं, उसी के लिए स्वीकार करें:
    मानते हैं कि स्वयं को स्वीकार कर पाना उतना सहज नहीं होता है। इस संसार में सबको कुछ न कुछ संशय तो रहता ही है; सारी बात यह है कि हम उसका प्रबंधन कैसे करते हैं। सौभाग्य से, आप ऐसा कुछ कर सकते हैं जिनसे उसमें सहायता मिल सकती है।
    • सबसे पहले, उन चीज़ों का विचार करिए जो आपको अपने संबंध में नापसंद हैं और उन्हें लिख डालिए। तब उनको और निकट से देखिये और देखिये कि क्या उनमें परिवर्तन की कोई संभावना है।
      • जैसे कि, यदि आप दुबले पतले हैं और आपको यह पसंद नहीं है, तब देखिये कि आप कैसे अपना वज़न बढ़ा सकते हैं और मांसपेशियाँ बना सकते हैं। यदि आप किसी ऐसी चीज़ को, जिसे ‘’’ठीक किया जा सकता है’’’, के लिए काम करने को इच्छुक नहीं हैं, तब तो आपको शिकायत करने का अधिकार नहीं है।
      • परंतु यदि आप कुछ और लंबे होना चाहते हैं, तब यह तो ऐसी चीज़ नहीं है जिसे आप बदल सकते हों। सोचिए कि स्थिति इससे भी ख़राब कैसे हो सकती थी।
    • समय के साथ जब आपको यह एहसास होता है कि वे चीज़ें जिनके बारे में आप चिंतित रहते थे, कितनी कम महत्त्वपूर्ण हैं, जीवन सहज होने लगता है और जैसे जैसे आपका आत्मविश्वास बढ़ता है, वैसे वैसे आपकी चिंता लगातार कम होती जाती है।

सलाह

  • लोग आपके बारे में जो भी सोचते हैं वह उनकी वास्तविकता है; उसे आपकी वास्तविकता होने की आवश्यकता नहीं है। यदि लोग आपका आकलन करते हैं, तब यह उनके बारे में उससे अधिक बताता है, जितना आपके बारे में बताता है।
  • यह जान लीजिये कि आपका एक स्वतंत्र व्यक्तित्व है और अंततोगत्वा अपने कृत्यों तथा भावनाओं के स्वामी, केवल आप हैं। आप दूसरे लोगों पर तो नियंत्रण नहीं कर सकते हैं परंतु आप उनके बारे में क्या महसूस करते हैं और अपनी प्रतिक्रियाओं पर आपका ही नियंत्रण है। स्वयं ही बने रहिए! यदि आप दूसरे लोगों को प्रसन्न करने/आहत करने की ही चिंता करते रहेंगे तब तो जीवन में आनंद ही नहीं रह जाएगा और आपका व्यक्तित्व भी नहीं रहेगा! सच तो यह है कि किसी भी परिस्थिति में सभी लोग तो आपको पसंद नहीं ही करेंगे तो प्रयास करने से क्या लाभ है? यदि वे चाहें तो छोटी छोटी बातों पर उन्हें पगलाने दीजिये, परंतु आप ऐसी मूर्खताओं तथा ऐसे टुच्चेपन के शिकार मत बनिए। बस आनंद लीजिये।
  • आपको जीने का बस एक ही मौका मिलता है। दूसरे लोग क्या कहते या सोचते हैं इससे अपने को परेशान मत होने दीजिये। यह असंगत है, अतः वे भी असंगत हैं।
  • स्वयं से प्रेम करिए और वैसे मत बनिए जैसा दूसरे आपको चाहते हैं। तब आप पाएंगे कि लोग, जो आप हैं उसी के लिए आपसे प्रेम करेंगे। यही बात तो जीवन है: अपने साथ सही लोगों को रखना।
  • याद रखिए कि इसकी शुरुआत इसी बात से होती है कि आप स्वयं को कैसे देखते हैं।
  • प्रतिदिन दर्पण देखिये। स्वयं पर मुस्कुराइए और खुद को अपने बारे में कुछ अच्छी बात बताइये। और तब तक कहते रहिए जब तक कि आपकी मुस्कान वास्तविक न हो जाये और आप उसको महसूस न कर सकें।
  • अधिकांश लोग जिनकी या तो सराहना नहीं हुई है या नहीं हो रही है, या जिनकी लंबे समय तक आलोचना हुई हो, वे इस संबंध में बहुत चिंतित रहते हैं कि दूसरे उनके बारे में क्या सोचते हैं। यह सब इसलिए है कि हम सब दूसरों की सराहना चाहते हैं और हमें उसकी आवश्यकता भी होती है। इस पर विजय पाने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है कि कुछ ऐसा किया जाये जो महत्वपूर्ण हो। किसी चीज़ पर काम शुरू कीजिये, उसको सचमुच में बहुत अच्छी तरह से करिए, तब बधाइयाँ और सराहना का प्रदर्शन स्वीकार करना सीखिये।
  • केवल वही लोग जो असुरक्षित रूप से अपने अहम का निर्माण करते हैं दूसरों की आलोचना करने की आवश्यकता महसूस करते हैं।
  • 90% समय तो लोग अपनी पोशाक और अपने कृत्यों के संबंध में इतने चिंतित रहते हैं कि, आप पर तो उनका ध्यान ही नहीं जाता है।
  • नकारात्मक विचारों से छुटकारा पाने के लिए उनके स्थान पर सकारात्मक विचारों को रखने का प्रयास करना अत्यंत फिसलन भरा रास्ता है। मस्तिष्क नियंत्रण की प्रक्रिया की एक विडम्बना यह है कि आप यदि किसी चीज़ के संबंध में नहीं सोचना चाहते हैं (जैसे किसी नकारात्मक विचार के संबंध में) तब वास्तव में वे विचार उतनी ही “अधिकता” से आपके मस्तिष्क में आएंगे। मेरे लिए तो आगे जाने का एक ही रास्ता है, नकारात्मक विचारों की आत्म स्वीकृति और तब अपने मूल्यों से जुड़ाव। जैसे कि, मैत्री के क्षेत्र में आपका एक मूल्य हो सकता है, खुलापन। यदि यह सत्य है, तब तो आप स्वयं ही बने रहने को ही मूल्यवान समझेंगे – खुला और ईमानदार – और दूसरों के सोचने की चिंता नहीं करेंगे, क्योंकि यह आपके मूल्य का मूल तत्व है। यदि इसके कारण आपके मित्र आपसे दुष्टता करते हैं या बुराई करते हैं, तो आपको इस बात पर यह सोचना होगा कि क्या आप सही लोगों के साथ अपना समय व्यतीत कर रहे हैं। मनुष्यों की तरह, हम सभी तो ऐसे ही हैं।
  • आप जो भी करते हैं, वह मूर्खता नहीं है, वास्तव में आप अमूल्य हैं और आप जो चीज़ें करते हैं, वे चमत्कारी हैं। स्वयं को केवल इसलिए निम्न मत समझिए क्योंकि ऐसी कुछ चीज़ें हैं जिन्हें आप मूर्खतापूर्ण समझते हैं, मानिए या मत मानिए, “सदैव’ ही एक न एक मित्र ऐसा होता है जो यह समझता है कि आप विशेष हैं और आप जो भी करते हैं वह मज़ाकिया तथा शानदार होता है।
  • दूसरे लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं इसका आपसे कुछ लेना देना नहीं है। आप जैसे भी हैं स्वयं को वैसा ही पसंद करिए क्योंकि वही आपको दूसरों से अलग और विशेष बनाता है।
  • ”आपकी अनुमति के बिना कोई भी आपको निम्न नहीं बना सकता है।“
  • चरण 1: समझ लीजिये कि आप क्या हैं और क्या बनना चाहते हैं।
  • विश्व आपके ही चारो ओर नहीं घूम रहा है – लगभग प्रत्येक व्यक्ति जो आपके आस पास है उसके पास विचार करने के लिए आपके पहनावे और काम काज के अलावा, और भी बहुत कुछ है।
  • याद रखिए, अधिकांश समय लोगों को इसकी परवाह नहीं होती है कि आपने क्या पहना है, या आप क्या कर रहे हैं।
  • यदि कोई आपके बारे में घटिया बात कहता है, तब प्रयास करिए कि आप उसके बारे में बहुत न सोचें – वे शायद केवल अपनी असुरक्षाएँ छुपाने का प्रयास कर रहे हैं। यदि आपको उससे वास्तव में परेशानी होती है, और आपको आघात लगता है तब अपने किसी अच्छे मित्र या परिवार को बता दीजिये। कठिनाई का अकेले सामना करने के स्थान पर, साथ साथ मुक़ाबला करना अच्छा होता है।
  • किसी के भी द्वारा स्वयं को महत्वहीन मत समझने दीजिये, चाहे आप यह क्यों न सोचते हों कि वे आपकी परवाह करते हैं, जबकि वास्तव में उन्हें आपकी रत्ती भर भी परवाह नहीं होती है। एक सच्चा दोस्त, मुसीबत की हर घड़ी में आपके साथ ही खड़ा होगा।
  • आप केवल एक ही जीवन जीते हैं; आप जैसे चाहें उसको वैसे व्यतीत करिए।
  • यह तो मान ही लीजिये कि यह उतना आसान नहीं है जितना दिखता है। कुछ के लिए आसान हो सकता है, परंतु औरों के लिए इसमें समय लगेगा, वैसे हम सब एक ही जगह पहुंचेंगे, बस इतना ही है कि कभी कभी आपको अपनी इच्छाएँ पूरी करने के लिए अधिक परिश्रम करना पड़ता है.... और अधिकांश समय .... इच्छाएँ इस योग्य होती हैं! थोड़ा सा कड़ा परिश्रम बहुत अधिक प्रभावी हो सकता है।
  • त्रुटिपूर्ण – इसको ऐसे बाई प्रॉडक्ट की तरह खुलेपन तथा ईमानदारी से स्वीकार कर लीजिये, जिसके संबंध में दूसरे क्या सोचते हैं, आपको उसकी चिंता नहीं करनी चाहिए और एक अर्थपूर्ण मूल्यों पर आधारित जीवन जीने के संबंध में अधिक विचारशील रहना चाहिए। शांति शांति शांति।
  • चरण 2: वही व्यक्ति बनिए।
  • जब आपका जीवन उन अन्य विचारों की वजह से परेशान होने लगे; केवल उन सकारात्मक व्यक्तियों के बारे में सोचिए जिनहोने आपके जीवन में आपकी मदद की है।
  • चरण 3: उस व्यक्ति से प्रेम करिए।
  • कुछ लोग कहते हैं कि दूसरे लोग जो आपके बारे में सोचते हैं वह उसीका परिणाम है जो आप अपने बारे में सोचते हैं। यह इस तरह सत्य है कि जो लोग अपने बारे में उच्च विचार रखते हैं उनमें अक्सर आत्मविश्वास का स्तर ऊंचा होता है, जिसके कारण उनको सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ मिलती हैं, जबकि वे लोग जो स्वयं को नीची दृष्टि से देखते हैं, अक्सर आत्मविश्वास कम रखते हैं, जिसके उत्तर में उन्हें नकारात्मक प्रतिक्रियाएँ मिलती हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि जिनके साथ दुर्व्यवहार होता है, वे उसके पात्र होते हैं बल्कि किसी व्यक्ति की सामाजिक सफलता, उनकी आत्म छवि पर निर्भर करती है, यदि वे ऐसी परिस्थिति में हैं जहां आमतौर पर उनका आकलन ऐसे व्यक्तियों द्वारा नहीं होता है जो उनके सोचने की चिंता नहीं करते हैं।
  • स्वयं से पूछिए कि आपको क्या करने में असहज प्रतीत होता है।
    • पहली बात तो यह है कि क्या उसको करना चाहिए? आपकी असहजता, शायद आपकी जीवित रहने की सहज प्रवृत्ति हो जो आपको बता रही हो कि यह आपकी सुरक्षा के लिए ख़तरा है और निश्चय ही करने योग्य “नहीं” है! जैसे कि, मान लीजिये कि कोई व्यक्ति जिसमें सामाजिक समझदारी नहीं है आपसे बाहर चलने को कहता है, ऐसी गलतियाँ करता है जिससे आप असहज महसूस करते हों (जैसे कि वह बार बार अवांछिक यौन प्रयास करता है), और बार बार वह वही प्रयास ऐसे करता है जैसे कि वह साइकल चलाना सीख रहा हो। तब ऐसे व्यक्ति के साथ आत्मविश्वास में भरकर अधिक डेट्स पर इसलिए मत जाइए ताकि आप उसके अपने ऊपर किए गए “अभ्यास” के प्रति आश्वस्त हो जाएँ। आप कोई साइकल नहीं हैं और यदि आप चले जाएंगे तब उसे यह सीख मिल जाएगी कि वह जो कर रहा या रही है उससे लोग भाग जाते हैं।
    • यदि आप किसी ऐसी चीज़ करने से असहज हैं, जो कि “करने” योग्य है और आपकी असहजता इस डर के कारण नहीं है कि आपका साथी आपको चोट पहुंचाएगा बल्कि रंगमंच के भय जैसी है, तब देखिये कि क्या कोई और वैसा कर रहा है या कोई भी वैसा नहीं करता है? किसी भी स्थिति में, यदि आप आश्वस्त दिखते हैं, तब यह पता ही नहीं चलेगा कि आप असहज हैं और समय के साथ आप उसको करने में सहज भी हो जाएँगे।
  • सदैव स्वयं पर विश्वास रखिए और अच्छी चीज़ों के बारे में सोचिए। केवल उन पुरानी अच्छी कही गई चीज़ों के बारे में मत सुनिए और सोचिए।
  • जीवन अपने आलोचकों के बारे में सोचते रहने के लिए बहुत छोटा है। जो वास्तव में आपसे प्रेम करते हैं और आपका मूल्य समझते हैं, आपके बालों, कपड़ों या जूतों की परवाह नहीं करते हैं; वे ही लोग हैं जो आपके लिए महत्त्वपूर्ण हैं। आप चीज़ों के बारे में अतिशय विचार कर रहे हैं। वास्तव में लोगों के पास अपने जीवन हैं और उन्हें परवाह नहीं है।
  • उन्हें महत्ता मत दीजिये जो आपको महत्ता नहीं देते हैं। उनके बारे में सोचिए, जो आपको अपने लिए महत्त्वपूर्ण समझते हैं।
  • जो भी आप हैं, वही बने रहिए। भीड़ जैसे होने का प्रयास मत करिए; आप जो हैं उसी के संबंध में अच्छा महसूस करना, स्वयं की ओर बढ्ने के लिए एक बड़ा क़दम है!
  • लोग आपके बारे में जो बुरी बातें कहते हैं उनको मत सुनिए। अपना जीवन जी कर उसीमें प्रसन्न रहिए। यदि कोई आपका आकलन इस पर करता है कि आप दिखते कैसे हैं, वहाँ से चले जाइए और यह प्रदर्शित करिए कि आपको उनके विचारों की चिंता नहीं है। वैसे व्यक्ति बनिए जैसा कि आप दूसरों को देखना चाहते हों।
  • आप जानते हैं कि आप कौन हैं और क्या हैं। यदि आपको यह स्पष्ट है तब इसे कोई बदल नहीं सकता है।
  • यदि आप लोगों के कहने से “निम्न” महसूस करने जा रहे हैं तब निश्चय ही आप प्रसन्न तो नहीं होंगे। स्वयं ही बनिए! फ़र्क बनिए! फ़र्क होना शानदार है! जो लोग आपका आकलन कर रहे हैं वे आपसे इसलिए ईर्ष्या करते हैं क्योंकि आप बहुत ख़ूब हैं!

चेतावनी

  • नकारात्मक लोगों को अपनी ऊर्जा मत सोखने दीजिये। सकारातमक लोगों की ओर खिंचिए।
  • स्वयं बने रहने में भयभीत मत होइए। स्वयं को केवल इसलिए मत बदल डालिए क्योंकि कोई और वैसा चाहता है या इसलिए कि वे आपका आकलन कर रहे हैं। आप आप हैं, आप कुछ भी फ़र्क नहीं हो सकते हैं।
  • कभी भी यह मत सोचिए कि आप उतने अच्छे नहीं हैं; आप आप हैं, हमेशा आप ही रहेंगे, और आपके पास जीवन का एक ही अवसर है, और वह अवसर भी बहुत छोटा है। आपको केवल अपना जीवन पूरी तरह से जीना है और किसी भी आकलन करने वाली राय, जो जीवन में आपको दी जाएगी, उसकी चिंता नहीं करनी है।
  • यह मत सोचिए कि आप उस व्यक्ति के लिए उतने अच्छे क्यों नहीं हैं, बल्कि स्वयं से यह पूछिए कि वह व्यक्ति क्या आपके लिए उतना उपयुक्त है।
  • यह अपेक्षा मत करिए कि केवल इसलिए कि आप चाहते हैं, लोग अपने को बदल लेंगे या इसलिए कि आप उनका आकलन कर रहे हैं। वे वे हैं, और वे कुछ भी फ़र्क नहीं हो सकते हैं।
  • कभी भी समर्पित भाव से मत बोलिए या व्यवहार करिए – दूसरों को दिखाइए कि आपकी एक स्वतंत्र विचारधारा है और आप इस विश्व में गर्व के साथ जो करना चाहेंगे वही करेंगे, चाहे उन्हें पसंद आए या नहीं।
  • दूसरे लोगों से समर्पण की अपेक्षा मत करिए – वे आपको दिखा सकते हैं कि उनकी स्वतंत्र इच्छाएँ हैं और वे इस विश्व में गर्व के साथ जो चाहते हैं वही करेंगे, चाहे आपको पसंद हो अथवा नहीं।

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सहयोगी लेखक द्वारा:
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श्रेणियाँ: स्वास्थ्य
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