कैसे जानें कि आपको डायबिटीज तो नहीं (kaise kare, madhumeh, diabetes, jankari)

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अगर आपको लगता है कि आप मधुमेह या डायबिटीज के शिकार हैं, तो तुरंत एक स्पेशलिस्ट से संपर्क कीजिए। जब आपका अग्न्याशय या पैंक्रियाज की आइसलेट सेल्स (islet cells) शरीर में इंसुलिन नहीं बना पातीं, तो टाइप- 1 डायबिटीज की स्थिति पैदा होती है; यह एक तरह का ऑटो इम्यून (auto immune) रोग है, जो इन अंगों को काम करने नहीं देता। टाइप- 2 डायबिटीज ज्यादातर जीवन-शैली (कम एक्सरसाइज और खाने में शुगर ज्यादा लेने) से जुड़ी होती है। डायबिटीज के लक्षणों और संकेतों, और इसकी जाँच-पड़ताल के बारे में जानना जरूरी है, ताकि अगर आप इससे पीड़ित हों, तो जितनी जल्दी हो सके, इलाज शुरू किया जा सके।

विधि 1
विधि 1 का 2:

डायबिटीज के लक्षणों की पहचान (madhumeha ke lakshan)

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  1. How.com.vn हिन्द: Step 1 इन लक्षणों से सावधान रहें:
    अगर नीचे दी गयी सूची के इन लक्षणों में से दो या उससे ज्यादा आपमें दिखाई पड़े तो बेहतर होगा कि आप तुरंत डॉक्टर से मिलें। टाइप- 1 और टाइप- 2 डायबिटीज के सामान्य लक्षणों में ये बातें शामिल हैं;[१]
    • अत्यधिक प्यास लगना
    • अत्यधिक भूख लगना
    • नजर का धुंधलापन
    • बार-बार मूत्र त्याग (जब रात में आपको 3 बार या उससे ज्यादा उठना पड़े)
    • थकान (खासकर खाना खाने के बाद)
    • चिड़चिडापन
    • घाव न भर रहे हों या धीरे-धीरे भरें
  2. How.com.vn हिन्द: Step 2 अपनी लाइफस्टाइल की ज़रा पड़ताल कीजिये:
    निष्क्रिय जिन्दगी (बहुत कम या लगभग बिना एक्सरसाइज के) जीने वाले लोगों में टाइप- 2 डायबिटीज का जोखिम ज्यादा होता है। ज्यादा वजन वाले या मोटापे के शिकार लोग, या जो जरूरत से ज्यादा मीठा और परिष्कृत या रिफाइंड कार्बोहायड्रेट (refined carbohydrates) खाते हैं, उनमें भी टाइप- 2 डायबिटीज की संभावना ज्यादा रहती है।[२]
    • गौर करें कि टाइप- 2 डायबिटीज का अगर कोई शिकार होता है, तो अक्सर वह अनियंत्रित जीवनशैली से जुड़ी है, जबकि टाइप-1 डायबिटीज अगर किसी को है तो वह उसके जन्म के साथ भी हो सकती है। यानी यह बचपन से ही उसके साथ रहती है।
  3. How.com.vn हिन्द: Step 3 डॉक्टर से मिलें:
    [३] आपको डायबिटीज है या नहीं, इसे जानने के लिए आपको डॉक्टर की निगरानी में डायबिटीज की जाँच-परख (ब्लड टेस्ट) से गुजरना होगा। आपके ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट में आये आँकड़ें यह बताएँगे कि आपका ब्लड शुगर लेवल "सामान्य" हैं, "प्री-डायबिटिक (pre-diabetic)" मतलब यह कि अगर आपने लाइफस्टाइल में भारी तब्दीली नहीं की तो जल्द ही आपमें डायबिटीज होने का ख़तरा है या "डायबिटीज" की स्थिति में हैं।
    • आपको डायबिटीज है या नहीं, इसे देर से जानने की बजाय जल्दी जानना ही ठीक है, क्योंकि अगर आपको यह है, तो तुरंत इसका इलाज शुरू हो सके।
    • डायबिटीज की वजह से आपके शरीर को जो नुकसान होता है, वह अक्सर “अनियंत्रित ब्लड शुगर (uncontrolled blood sugars)” से होने वाला दीर्घकालीन नुकसान होता है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप इलाज कराते हैं और यह ब्लड शुगर पर काबू पाने में आपकी मदद करता है, तो आप डायबिटीज के दीर्घकालीन नुकसान से बच सकते हैं या कुछ हद तक उसे “टाल” सकते हैं। इसी वजह से फ़ौरन बीमारी का निदान और इलाज ही मूल कुंजी है।
विधि 2
विधि 2 का 2:

डायबिटीज के निदान के लिए जाँच कराना

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  1. How.com.vn हिन्द: Step 1 किसी फिजिशियन से जाँच कराएँ:
    आपके खून में ग्लूकोज का पता लगाने के लिए एक आम फिजिशियन दो अलग-अलग टेस्ट करा सकता है।[४] आम तौर पर, डायबिटीज की जाँच के लिए फास्टिंग ब्लड टेस्ट किया जा जाता है, लेकिन एक यूरिन टेस्ट भी किया जा सकता है।
    • खून में ग्लूकोज की सामान्य मात्रा 70 से 100 के बीच होती है।
    • अगर आप डायबिटीज के बॉर्डरलाइन ("प्री-डायबिटिक") पर हैं, आपका ब्लड शुगर लेवल 100 से 125 के बीच होना चाहिए।
    • अगर यह स्तर 126 से ऊपर है, तो आपको डायबीटीज है।
  2. How.com.vn हिन्द: Step 2 खून में HbA1c (हीमोग्लोबिन A1c) के स्तर की जाँच कराएं:
    [५] यह एक नया टेस्ट है जो आजकल कुछ डॉक्टर डायबीटीज के लिए कराते हैं। यह आपके रेड ब्लड सेल्स (red blood cells) के हीमोग्लोबिन (एक तरह का प्रोटीन) को देखता है और गिनता है कि इससे कितना शुगर जुड़ा हुआ है। इसका स्तर जितना ज्यादा होगा, इससे उतना ही ज्यादा शुगर जुड़ा है, जो आपको ज्यादा शुगर होने के जोखिम को सीधे तौर पर बताता है।(आखिरकार, आपके खून में छिपे हुए शुगर की ज्यादा मात्रा ही तो डायबिटीज है)।
    • HbA1c और औसत ब्लड शुगर लेवल के सम्बन्ध की व्याख्या इस प्रकार है। HbA1c का लेवल 6, ब्लड शुगर के लेवल 135 के बराबर है। HbA1c का लेवल 7, ब्लड शुगर के लेवल 170 के बराबर है। HbA1c का लेवल 8, ब्लड शुगर के लेवल 205 के बराबर है। HbA1c का लेवल 9, ब्लड शुगर के लेवल 240 के बराबर है। HbA1c का लेवल 10, ब्लड शुगर के लेवल 275 के बराबर है। HbA1c का लेवल 11, ब्लड शुगर के लेवल 301 के बराबर है।
    • ज्यादातर लैब्स में, HbA1c की समान्य रेंज 4.0% से 5.9% के बीच होती है। ढीले-ढाले नियंत्रण वाली डायबिटीज में यह 8.0% या उससे ऊपर होती है, और अपने डायबिटीज पर पूरी तरह से काबू पाए हुए मरीज में यह 7.0% से कम होती है।
    • HbA1c का लेवल जानने का फायदा यह है कि एक निश्चित समय के भीतर आपके शरीर में क्या कुछ घटा है, उसकी कहीं ज्यादा तर्कसंगत तस्वीर देता है। सामान्य ग्लूकोस टेस्ट जो कि आपके ब्लड में शुगर का स्तर है, यह पिछले 3 महीने में आपके खून में शुगर के स्तरों की औसत वैल्यू बताता है।[६]
  3. How.com.vn हिन्द: Step 3 डायबिटीज का इलाज करें:
    डायबिटीज के इलाज के लिए आपको रोजाना इन्सुलिन इंजेक्शन या गोलियां लेनी पड़ सकती हैं, और आपको खान-पान और एक्सरसाइज पर निगाह रखने के लिए कहा जाएगा।[७]
    • कभी-कभी टाइप-2 डायबिटीज के ज्यादा हल्के मामलों में, सिर्फ संयमित खान-पान और एक्सरसाइज की जरूरत होती है। लाइफस्टाइल में पर्याप्त बदलाव वास्तव में डायबिटीज को उलट सकता है और आपके ब्लड शुगर को नॉर्मल रेंज में ला सकता है। ऐसे बदलाव के लिए जबरदस्त मोटिवेशन तलाश कीजिये!
    • आपसे मीठा और कार्बोहायड्रेट के सेवन में कटौती करने और रोजाना दिन में 30 मिनट तक व्यायाम करने के लिए कहा जाएगा। यदि आप इन बदलावों को आजमाएँ, तो अपने ब्लड शुगर लेवल में आप उल्लेखनीय कमी देखेंगे।
    • दूसरी तरफ टाइप-1 डायबिटीज में, हमेशा इंसुलिन इंजेक्शन की जरूरत होगी, क्योंकि यह एक ऑटो-इम्यून रोग है जिसमें शरीर इंसुलिन उत्पन्न करने में असफल होता है।
    • डायबिटीज का सही इलाज होना बेहद जरूरी है। गौर करें, कि अगर बिना इलाज के छोड़ दिया जाए, तो ब्लड में शुगर की ऊँची मात्रा ज्यादा गंभीर बीमारी की ओर जा सकती है, जैसे नर्व डेमेज (neuropathy), किडनी को नुकसान या इसका पूरी तरह काम करना बंद कर देना, अंधत्व (blindness), और रक्त संचालन से जुड़ी दूसरी गंभीर समस्याएँ जो दुसाध्य इन्फेक्शन में तब्दील होकर, आखिरकार गैंग्रीन (gangrene) में तब्दील हो सकती हैं, और अंग को काटने (amputation) की जरूरत पड़ सकती है (खासकर निचले हिस्सों में)।
  4. How.com.vn हिन्द: Step 4 फॉलो अप टेस्ट कराएँ:
    "प्री-डायबिटीज" या "डायबिटीज" की रेंज वाले लोगों को हर तीन महीने में एक बार ब्लड टेस्ट कराना चाहिए। इसका उद्देश्य हालात में हो रहे सुधार (वे जो लाइफस्टाइल में सकारात्मक बदलाव करते हैं) या फिर गिरावट पर नजर रखना है।[८]
    • नियमित ब्लड टेस्ट से डॉक्टर को इन्सुलिन और दवाइयों की डोज तय करने में मदद मिलती है। आपके डॉक्टर का लक्ष्य आपके ब्लड शुगर को एक निश्चित रेंज में रखना होगा। इसके लिए नियमित ब्लड टेस्ट से पाए गए आँकड़े अहम होंगे।
    • यह जानना कि अगले ब्लड टेस्ट में सकारात्मक परिणाम दिखाई पड़ेगा, आपको ज्यादा एक्सरसाइज करने और खान-पान में जरूरी बदलाव करने के लिए मोटिवेशन जुटाएगा!

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श्रेणियाँ: स्वास्थ्य
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