कैसे इमोशनल सेंसिटिविटी (भावनात्मक संवेदनशीलता) पर काबू पायें (Overcome Emotional Sensitivity)

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भावनात्मक संवेदनशीलता, (इमोशनल सेंसिटिविटी/ Emotional sensitivity) का होना, एक अच्छी बात है, लेकिन कुछ तरह की सेंसिटिविटी, आखिर में आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकती हैं। आपकी इन दृढ़ भावनाओं को मैनेज करके रखें, क्योंकि ये आपकी दुश्मन नहीं, ये तो आपकी साथी हैं। जरूरत से ज्यादा सेंसिटिविटी की वजह से आपके सामने आपके द्वारा सोची हुई या ना चाही हुई कुछ बातों की तस्वीर सी सामने आने लगती है। इस तरह के विचारों के चलते, आप आपकी लाइफ में कुछ कम खुश रहना शुरू हो जाएँगे। आपकी इस सेंसिटिविटी को अपने कॉमन सेंस, कोंफिड़ेंस और लचीलेपन के साथ में बैलेंस करें, ताकि आप रोजमर्रा की बातों पर ओवर-रियेक्ट ना कर सकें।

विधि 1
विधि 1 का 3:

अपनी भावनाओं के बारे में जानना (Exploring Your Feelings)

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  1. How.com.vn हिन्द: Step 1 इस बात को समझें, कि आपकी सेंसिटिविटी, कुदरती है:
    न्यूरोसाइंटिस्ट्स ने ये पता लगाया है, कि हमारे अंदर मौजूद भावनात्मक सेंसिटिविटी का भाग, हमारे जीन (genes) से संबंधित होता है। दुनियाभर की जनसंख्या में से, लगभग 20% लोग “हाइली सेंसिटिव” हो सकती है, जिसका मतलब कि इनके अंदर इन सूक्ष्म उत्तेजनाओं के बारे में ज्यादा जागरूकता होती है, जो कि कुछ लोगों के पास में होती ही नहीं है और और इन्हें इस तरह की भावनाओं का बहुत ज्यादा तीव्र अनुभव भी होता है।[१] ये बढ़ी हुई सेंसिटिविटी, आपके एक ऐसे जीन से जुड़ी हुई होती है, जो नोरेपिनेफ्रिन (norepinephrine) नाम के एक हॉर्मोन को प्रभावित करती है, जो कि एक “स्ट्रेस या तनाव” हॉर्मोन है, जो कि ध्यान और प्रतिक्रियाओं को उत्तेजित करने के लिए, आपके मस्तिष्क में एक न्यूरोट्रांसमीटर की तरह काम करता है।[२]
    • कुछ इमोशनल ओवर-सेंसिटिविटी, ऑक्सीटोसिन (oxytocin) से भी जुड़ी हुई होती हैं, जो एक तरह का एक हार्मोन होता है, जो हम इंसानों की एक-दूसरे के लिए प्यार और लगाव जैसी भावनाओं का जिम्मेदार होता है। ऑक्सीटोसिन, इमोशनल सेंसिटिविटी के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है। अगर आप में ऑक्सीटोसिन का लेवल, कुदरती रूप से ज्यादा है, तो आपकी “सहज सोशल रीजनिंग स्किल्स” बहुत ज्यादा भी हो सकती है, जो आपको किसी भी अनुभव और यहाँ तक कि छोटे से छोटे संकेतों के लिए भी कुछ ज्यादा सेंसिटिव (और शायद गलत समझ लेना) बनाता है।
    • अलग-अलग तरह के लोग, इस तरह के ज्यादा सेंसिटिव लोगों के साथ में अलग-अलग तरह का व्यवहार करते हैं। ज्यादातर वेस्टर्न कल्चर में, इस तरह के ज्यादा सेंसिटिव लोगों को गलत समझकर, एक कमजोर, या आंतरिक धैर्य की कमी वाला इंसान समझ बैठते हैं और इन्हें अक्सर ही परेशान भी किया जाता है। लेकिन ये बात पूरी दुनिया के लिए सच नहीं है। बहुत सारी अन्य जगहों में, इस तरह के ज्यादा सेंसिटिव लोगों को एक गिफ्ट की तरह मानते हैं, क्योंकि इस तरह की सेंसिटिविटी की मदद से लोगों को समझने की क्षमता ज्यादा हो जाती है और इसलिए ऐसे लोग, दूसरों की भावनाओं को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं। किसी भी व्यक्ति के गुणों को अलग-अलग तरह से देखा जा सकता है, जो पूरी तरह से आपके कल्चर पर और कुछ अन्य बातों पर, जैसे कि जेंडर, फैमिली एनवायरनमेंट और आपके स्कूल-कॉलेज के प्रकार पर निर्भर करता है।
    • वैसे तो आप से जहाँ तक हो सके (और जरूरी!), आपकी भावनाओं पर काबू करना सीख लेना चाहिए, लेकिन आप अगर कुदरती रूप से ज्यादा सेंसिटिव इंसान हैं, तो आपको, आपकी इस खासियत को स्वीकार करना चाहिए। आप कोशिश करते-करते, अपनी भावनाओं को जरा कम व्यक्त करना तो सीख जाएँगे, लेकिन आप कभी भी, एक पूरी तरह से अलग इंसान नहीं बन सकते--और आपको ऐसा करने की कोशिश भी नहीं करना चाहिए। बस आप से जितना हो सके, अपना ही सबसे अच्छे वर्जन बनने की कोशिश करना चाहिए।[३]
  2. How.com.vn हिन्द: Step 2 अपने बारे में मूल्यांकन करें:
    अगर आपको समझ नहीं आ रहा है कि आप ज्यादा सेंसिटिव हैं या नहीं, तो फिर कुछ कदम उठाकर, आप अपना खुद का मूल्यांकन कर सकते हैं। पहला तरीका तो अपने लिए एक प्रश्नावली (सवालों का जवाब देना), जैसे कि PsychCentral पर मौजूद The Emotionally Sensitive Person लेकर देखें।[४] ये प्रश्न आपको अपनी भावनाओं और अनुभवों को प्रतिबिंबित करने में मदद कर सकते हैं।
    • इन सवालों का जवाब देते हुए, अपने बारे में कोई भी धारणा बनाने की कोशिश ना करें। ईमानदारी के साथ में इनका जवाब दें। जब आप आपकी सेंसिटिविटी के प्रभाव के बारे में जान जाएँ, फिर आप आपकी भावनाओं को और भी बेहतर और मददगार तरीके से मैनेज करना शुरू कर सकते हैं।
    • याद रखें, कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप अपने बारे में जैसा सोचते हैं, जरूरी नहीं है कि आपको वैसा ही होना चाहिए। अब इस बात का ईमानदारी से जवाब दें, कि क्या आप एक सेंसिटिव इंसान हैं, या फिर ऐसे इंसान हैं, जो ये सोचता है कि वो सामने वाले से जरा ज्यादा सेंसिटिव है।
  3. How.com.vn हिन्द: Step 3 अपनी भावनाओं को लिखकर पहचानें:
    अपने साथ में एक “इमोशन जर्नल (emotions journal)” रखकर, आपको आपकी भावनाओं और प्रतिक्रियाओं को समझने में मदद मिलेगी।[५] ये आपको ये भी जानने में मदद करेगा कि आखिर किस वजह से आपकी प्रतिक्रिया कुछ ज्यादा ही इमोशनल हो गई। साथ ही ये आपकी प्रतिक्रिया के उचित या अनुचित होने की जानकारी भी देगी।[६]
    • उस वक्त पर आपकी जो भी भावनाएँ हैं, उन्हें लिखकर देखें और फिर एक बार दोबारा लौटकर इस बारे में सोचें कि आखिर किस वजह से आपको इस तरह का अनुभव हुआ। उदाहरण के लिए, क्या आप बहुत ज्यादा चिंतित हैं? दिनभर में ऐसा क्या हुआ, जिसकी वजह से आपको ऐसा महसूस हुआ? इस तरह से आपको समझ आएगा कि, कुछ छोटी-छोटी घटनाओं की वजह से भी इस तरह की भावनात्मक प्रतिक्रियायें सामने आती हैं।[७]
    • आप चाहें, तो हर एक एंट्री के बारे में खुद से कुछ सवाल भी पूछ सकते हैं, जैसे कि:
      • इस वक्त पर मैं कैसा महसूस करूँ?
      • मेरे साथ में ऐसा क्या हुआ, जिसकी वजह से मैंने ऐसा बर्ताव किया?
      • जब भी मुझे ऐसा महसूस होता है, तब मुझे क्या करना चाहिए?
      • क्या इसके पहले भी मैंने कभी ठीक इसी तरह से महसूस किया?
    • आप चाहें तो एक समय वाली एंट्री भी लिख सकते हैं। कुछ ऐसे वाक्य लिखिए, जैसे कि “मुझे बुरा लग रहा है” या “मुझे गुस्सा आ रहा है।” दो मिनट का टाइमर सेट करें और फिर आपकी लाइफ में मौजूद उन सारी बातों को लिख लें, जो इस भावना से जुड़ी हुई है। अपनी भावनाओं को एडिट करने या जाँचने से ना रोकें। बस अभी के लिए इन्हें एक नाम दे दें।[८]
    • आप जैसे ही ये कर लेते हैं, फिर आपने जो भी कुछ लिखा है, उस पर ध्यान दें। क्या आप इनमें एक पैटर्न को देख पा रहे हैं? इस प्रतिक्रिया के पीछे की भावना? उदाहरण के लिए, चिंता हमेशा ही डर से जन्म लेती है, दुःख किसी के खोने से, गुस्सा किसी के द्वारा कुछ कहे जाने से।[९]
    • आप चाहें तो किसी और वाकये के बारे में भी तलाश कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, मान लीजिये कि किसी ने बस में आपको कुछ इस तरह से घूरकर देखे, जिसकी वजह से आपने मान लिया लगा कि उसे आपका लुक पसंद नहीं आया। ये आपकी भावनाओं को आहत कर सकता है, और हो सकता है कि आप इसकी वजह से दुखी और नाराजगी महसूस करें। अपने आप को ये दो बातें याद दिलाने की कोशिश करें: 1) कि आपको सच में नहीं पता कि सामने वाले के मन में क्या चल रहा है, और 2) दूसरा कि दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं, इससे आपको कोई फर्क नहीं पड़ता। उसका इस तरह से आपको “गंदा सा लुक” देना उसकी कोई और प्रतिक्रिया हो। और अगर उसने आपके बारे में कोई धारणा बना भी ली है, तो क्या हुआ, वो इंसान न तो आपको अच्छी तरह से जानता है और न ही उसे मालूम है कि आपके अंदर कौन-कौन सी खूबी मौजूद है।
    • आपकी एंट्रीज़ के साथ ही अपने लिए सहानुभूति व्यक्त करना ना भूलें। अपनी भावनाओं के लिए, अपने आपको गलत या सही ठहराने की कोशिश न करें। याद रखें, हो सकता है कि आप अपनी शुरुआती भावनाओं को नियंत्रित ना कर सकें, लेकिन आप उन भावनाओं पर अपनी प्रतिक्रिया को जरुर नियंत्रित कर सकते हैं।[१०]
  4. How.com.vn हिन्द: Step 4 खुद को एक लेबल देने की कोशिश करें:
    बदकिस्मती से, बहुत ज्यादा सेंसिटिव लोगों को अक्सर ही अपमानित किया जाता है और उन्हें अक्सर किसी न किसी नाम से, जैसे कि “रोतलु” और भी अलग-अलग नामों से पुकारा करते हैं। और इससे भी बदतर, इस तरह के अपमान, कभी-कभी सामने वाले के द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले "लेबल्स" में बदल जाते हैं। इस समय पर, अपने पर इस लेबल को स्वीकार कर लें और फिर इस नाम से अलग, खुद को ऐसा मानें कि आप सेंसिटिव इंसान नहीं हैं, कभी-कभी रो लेते हैं, लेकिन 99.5% बार ऐसा नहीं होता। आप अगर ऐसा कर लेते हैं, तो फिर आप आपके एक अलग ही पहलू (जो कि मुश्किल का कारण हो सकता है), जिसकी वजह से आप अपने आपको ज्यादा अच्छे से जान पाएँगे, पर ध्यान देंगे।[११]
    • नेगेटिव "लेबल्स" को फिर से तैयार करके, बदलने की कोशिश करें। इसका मतलब कि आप एक "लेबल" को अपनायें, इसे हटा दें और फिर उस परिस्थिति को एक अलग ही सन्दर्भ में देखने की कोशिश करें।
    • उदाहरण के लिए: एक टीनएजर, हताशा के कारण रो रही है और एक जान-पहचान वाला इंसान उसके पास से "रोतलु (crybaby)" बोलकर भाग जाता है। अपने इस अपमान को दिल से लगाने की बजाय, वो कुछ ऐसा सोचती है: "मुझे पता है कि मैं एक क्राई-बेबी (रोतलु) नहीं हूँ। हाँ, मैं कभी-कभी किसी परिस्थिति में जरा इमोशनल हो जाती हूँ। कभी-कभी मतलब, मैं उस वक्त रोती हूँ, जब कम सेंसिटिव लोग नहीं रोते। मैं अपनी भावनाओं व्यक्त करने के सोशल तरीकों को इस्तेमाल करना सीख रही हूँ। चाहे जो भी हो, किसी ऐसे इंसान को अपमानित करना, जो कि पहले से ही रो रहा हो, एक सबसे ज्यादा बुरी बात है। मैं बहुत ध्यान रखूंगी, और कभी किसी के साथ ऐसा नहीं करूंगी।"
  5. How.com.vn हिन्द: Step 5 आपकी सेंसिटिविटी के कारणों को पहचानें:
    हो सकता है कि आपको आपके इस ओवर सेंसिटिव बर्ताव के पीछे के असली कारण का अंदेशा हो गया हो, या ना भी हुआ हो। आपके दिमाग ने किसी एक खास उत्तेजना, जैसे कि तनाव की भावना, के लिए “बंधे हुई प्रतिक्रिया” निर्धारित कर रखी हों। समय के साथ-साथ, आपको इस पैटर्न की आदत लग जाती है, जब तक कि आप किसी एक स्थिति में, बिना इसके बारे में सोचे, अपनी प्रतिक्रिया देना नहीं सीख जाते हैं।[१२] अच्छी बात ये है कि आप इसके लिए अपने ब्रेन को दोबारा ट्रैन कर सकते हैं और नया पैटर्न डेवलप कर सकते हैं।[१३]
    • अब अगली बार जब भी आपको किसी तरह की भावना महसूस होती है, जैसे कि चिढ़ना, चिंता या गुस्सा, तो उस वक्त आप जो भी कर रहे हैं, उसे वहीं पर रोक दें और फिर आपके ध्यान को आपके किसी अच्छे अनुभव की तरफ केंद्रित कर दें। आपके पाँचों सेन्स क्या कर रहे हैं? आपके अनुभवों को सही, गलत ना ठहराएँ और ना ही उन्हें।
    • यही “आत्म-चिन्तन” का एक हिस्सा है और ये आपकी चिढ़ को खत्म करने के लिए, अलग-अलग “इनफार्मेशन स्ट्रीम” की मदद लेगा। अक्सर, हम किसी एक इमोशन से घबरा जाते हैं या खुद को इसके दलदल में फँसा हुआ पाते हैं, और अपने अंदर उठने वाली भावनाओं को और आपके साथ में हुए कुछ अच्छे अनुभवों को पहचान नहीं पाते। जरा रुककर, आपके अपने विचारों पर ध्यान देकर, और इन इनफार्मेशन के रास्तों को अलग करके, हम हमारे दिमाग की “पहले से बँधी हुई” आदतों को बदल सकते हैं।[१४]
    • उदाहरण के लिए, आपका दिमाग, तनाव को व्यक्त करने के लिए, आपके दिल की धड़कन को आसमान तक पहुँचा देता है, जिसकी वजह से आप चिड़चिड़ापन और बेचैनी महसूस करने लगते हैं। ये आपकी शारीरिक प्रतिक्रिया है, इस बात को जानकर आपको, आपकी प्रतिक्रियाओं को अलग तरह से व्यक्त करने में मदद मिलेगी।
    • डायरी या जर्नल लिखना भी आपको इसमें मदद कर सकता है। अब हर बार, जब भी आपको लगे कि आप भावनात्मक रूप से प्रतिक्रिया दे रहे हैं, उसके बारे में फौरन, जब आप इमोशनल हुए, आप कैसा महसूस कर रहे थे, आपके शरीर की चेतना ने क्या अनुभव किया, आप क्या सोच रहे थे, और उस परिस्थिति का सारा विवरण लिखकर रख लें। सारा ज्ञान पाकर आपको एक अलग तरीके से प्रतिक्रिया देने में मदद मिलेगी।
    • कभी-कभी, हमारे सेन्स के अनुभव, जैसे कि किसी एक खास जगह पर रहना या फिर किसी एक अलग तरह की जानी-पहचानी खुशबू भी हमारे इमोशनल प्रतिक्रियाओं की वजह बनता है। इसे अक्सर हमेशा “ओवर-सेंसिटिविटी” नहीं बोल सकते। उदाहरण के लिए, एप्पल पाई की खुशबू से, आपके अंदर दुःख की भावना जन्म लेती है, वो इसलिए क्योंकि आप और आपकी गुजरी हुई दादी माँ एक-साथ मिलकर एप्पल पाई बनाया करते थे। इस प्रतिक्रिया को स्वीकरना भी अच्छी बात है। इस पर कुछ समय के लिए घर करके देखें, और फिर सोचने की कोशिश करें, कि आपको ऐसा महसूस क्यों होता है: “मुझे इसलिए दुःख हो रहा है, क्योंकि मैं अपनी दादी माँ के साथ में एप्पल पाई बनाते हुए बहुत मजे किया करती थी। मैं उन्हें बहुत याद करती हूँ।” फिर, जैसे ही आप आपकी भावनाओं को पहचान लें, फिर आप इन्हें किसी एक पॉजिटिव भावना, जैसे: “आज मैं अपनी दादी की याद में एप्पल पाई बनाउँगी” में बदल सकते हैं।
  6. How.com.vn हिन्द: Step 6 पता करें, कहीं आप किसी और पर निर्भर तो नहीं हैं:
    किसी और पर आश्रित रिश्ता तब बनता है, जब आपको ऐसा महसूस होता है, कि आपकी अपनी पहचना और आपकी वैल्यू, किसी और की प्रतिक्रियाओं और एक्शन पर निर्भर करती है। हो सकता है कि आपको ऐसा लगने लगे, कि आपकी जिन्दगी का मतलब, बस आपके पार्टनर के लिए त्याग करते रहना है। और अगर आपका पार्टनर आपकी किसी भावना को या आपके किये किसी काम को पसंद नहीं करता है, तो आप एकदम बिखरा हुआ सा महसूस करने लगते हैं। वैसे तो किसी रोमांटिक रिश्ते में, इस तरह से एक-दूसरे पर निर्भर होना एक आम बात होती है, लेकिन ये ऐसा किसी भी तरह के रिश्ते में हो सकता है। इस तरह के एक-दूसरे पर आश्रित रिश्तों के कुछ संकेत यहाँ पर दिए हुए हैं:[१५][१६]
    • आपको ऐसा लग सकता है कि आपकी सारी लाइफ, किसी एक रिश्ते से बंधी हुई है।
    • आपने आपके पार्टनर में कुछ अनुचित बर्तावों को पाया हो, लेकिन फिर भी आप उसके साथ रहना चाहते हैं।
    • आप आपके पार्टनर की किसी जरूरत को पूरा करने के लिए, सारी हदें पार कर सकते हैं, भले ही इसके लिए आपको आपकी अपनी जरूरतों और आपकी हैल्थ का ही त्याग क्यों ना करना पड़े।
    • आप, आपके रिश्ते के स्टेट्स को लेकर हमेशा ही चिंता करते रहते हैं।
    • आपको निजी सीमाओं के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है।
    • आपको किसी को भी, किसी भी चीज़ के लिए “ना” बोलने में परेशानी होती है।
    • आप हर एक इंसान की भावनाओं और विचारों पर या तो सहमत होकर प्रतिक्रिया देते हैं या फिर फौरन ही आक्रामक हो जाते हैं।
    • एक-दूसरे पर निर्भरता का इलाज किया जा सकता है। इसके लिए किसी प्रोफेशनल मेंटल हैल्थ काउंसलिंग करना, एक बेहतर विचार होगा, हालाँकि यहाँ पर इसके लिए कुछ और भी सपोर्ट ग्रुप मौजूद हैं, जैसे कि Co-Dependents Anonymous, जो आपकी मदद कर सकते हैं।[१७]
  7. How.com.vn हिन्द: Step 7 इसे धीरे-धीरे चलने दें:
    अपनी भावनाओं का पता लगाना, खासकर इमोशनल एरिया में, काफी कठिन काम है। अपने ऊपर, एक बार में ही बहुत ज्यादा दबाव ना डालें। साइकोलोजी के अनुसार, अपने आप में सुधार करने के लिए, अपनी सुरक्षा के दायरे से बाहर निकलना बेहद जरूरी है, लेकिन एक-साथ में, जल्दी-जल्दी सारा कुछ करके, आपको असफलता ही मिलने वाली है।[१८]
    • आपकी सेंसिटिविटी को पहचानने के लिए, अपने ही साथ एक “अपॉइंटमेंट” सेट करें। जैसे कि, आप किसी दिन में 30 मिनट तक इसका पता लगाएँगे। फिर उस दिन में भावनाओं पर काम पूरा करके, आप अपने लिए कुछ समय निकालेंगे, जिसमें आप खुद को आराम देंगे और कुछ मजे करेंगे।
    • आपको जिस समय पर आपकी सेंसिटिविटी के बारे में नहीं सोचना है, उसके लिए भी एक नोट तैयार करें, क्योंकि ऐसा कर पाना, बेहद कठिन और अनकम्फर्टेबल होता है। अक्सर ही हम अपने डर के कारण किसी भी बात को टाला करते हैं: हमको डर लगा रहता है कि कोई भी अनुभव हमारे लिए सुखद नहीं होगा, और इसलिए हम उसे करते ही नहीं हैं। अपने आपको एक बात हमेशा याद दिलाते रहें कि आप इसे करने के लिए और इसे सँभालने के लिए भी तैयार हैं।[१९]
    • अगर आपको, आपकी भावनाओं का सामना करने के लिए साहस जुटाने में परेशानी हो रही है, तो फिर अपने लिए, एक पा सकने योग्य लक्ष्य तैयार करके देखें। अगर आप चाहें तो 30 सेकंड से शुरू कर सकते हैं। अब आपको इन 30 सेकंड्स में, आपकी सेंसिटिविटी का सामना करना है। आप इसे कर सकते हैं। अब जब भी आप इसे पा लें, तो इसके बाद अपने आपको फिर से, एक और 30 सेकंड के लिए तैयार करें। अब आप देखेंगे कि आपकी ये छोटी-छोटी जीत, आपके अंदर साहस जुटाने में मददगार साबित होंगी।
  8. How.com.vn हिन्द: Step 8 अपने आपको, अपनी...
    अपने आपको, अपनी भावनाएँ स्वीकार करने के लिए तैयार रखें: आपकी इमोशनल सेंसिटिविटी से बाहर निकलने का मतलब ये बिल्कुल नहीं है, कि अब आप किसी भी भावना को महसूस करना ही छोड़ दें। असल में, अपनी भावनाओं को दबाकर रखना या अस्वीकार करना, आपके लिए ही हानिकारक हो सकता है।[२०] इसकी जगह पर, आपको आपकी कुछ “असुखद” भावनाएँ, जैसे कि गुस्सा, दुःख, डर और खेद को स्वीकार करने का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए -- ये भी आपकी इमोशनल हैल्थ के लिए ठीक उतने ही जरूरी हैं, जितने कि आपकी सुख और आनंद वाली “पॉजिटिव” भावनाएं-- वो भी बिना इन्हें किसी के ऊपर थोपे। अपनी भावनाओं के बीच ,में एक बैलेंस बनाने की कोशिश करें।
    • अपने अंदर चल रही भावनाओं को अपने आप से व्यक्त करने के लिए, खुद को एक “सेफ स्पेस (सुरक्षित जगह)” देने की कोशिश करें। उदाहरण के लिए, आप अगर किसी नुकसान के चलते, दुःख महसूस कर रहे हैं, तो अपनी सारी भावनाओं को बाहर निकालने के लिए, खुद को हर दिन से कुछ समय देने की कोशिश करें।[२१] एक टाइमर सेट करें और फिर अपनी भावनाओं के बारे में लिखना शुरू कर दें, रोयें, खुद से बातें करें -- आपको जैसा भी महसूस होता है, आपको वही करना हिया। जैसे ही टाइमर पूरा हो जाता है, अब आप खुद को पूरे दिन के लिए फ्री कर लें। अब आपको अपनी भावनाओं को समझकर बहुत बेहतर महसूस होगा। साथ ही आप खुद को सारा दिन बस एक ही भावना के बारे में सोच-सोचकर परेशान करने से भी बचा लेंगे, जो कि आपके लिए हानिकारक भी हो सकता है।[२२] अब आपके पास में आपकी भावनाओं को अच्छी तरह से समझने और व्यक्त करने के लिए एक “सेफ स्पेस” मौजूद है, ये जानकर आपको आपका सारा ध्यान, अपनी हर दिन की अन्य जिम्मेदारियों पर लगाने में और ज्यादा आसानी हो जाएगी।
विधि 2
विधि 2 का 3:

अपने विचारों का परीक्षण करना (Examining Your Thoughts)

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  1. How.com.vn हिन्द: Step 1 ऐसी संज्ञात्मक विकृतियों...
    ऐसी संज्ञात्मक विकृतियों के बारे में जानने की कोशिश करें, जो आपको ओवर सेंसिटिव बनाती हैं: संज्ञात्मक विकृतियाँ, ये आपके दिमाग के द्वारा समय के साथ सीखी हुई बातों के जरिये, सोचने और प्रतिक्रिया देने की एक तरह की हानिकारक आदतें होती हैं। आप इन विकृतियों के बारे में जानना सीखकर, इन्हें चैलेंज करना सीख सकते हैं।[२३]
    • इस तरह की संज्ञात्मक विकृतियाँ, कभी भी अकेले नहीं आती हैं। जैसे आपने आपके विचारों के पैटर्न को जानते वक्त देखा होगा कि इनमें से बहुत सारे अनुभव, आपको, आपके साथ में घटी हुई किसी घटना की प्रतिक्रिया के रूप में उभरकर सामने आये हैं। आपकी प्रतिक्रियाओं को पूरी तरह से जाँचने के लिए, लिया हुआ समय, आपको ये समझने में मदद करेगा कि आपके लिए क्या मददगार है और क्या नहीं।
    • संज्ञात्मक विकृतियों के बहुत सारे प्रकार हैं, लेकिन कुछ आम तरह के, ओवर सेंसिटिविटी वाले, अपराधी अक्सर ही अपने लिए “करना/होना चाहिए” वाले वाक्य, भावनात्मक तर्क और सीधे किसी निष्कर्ष पर पहुँचने का काम किया करते हैं।
  2. How.com.vn हिन्द: Step 2 निजीकरण को पहचानें और इसे चैलेंज करें:
    निजीकरण एक बहुत आम विकृति है, जो कि ओवर सेंसिटिविटी या अति संवेदनशीलता को जन्म देती है। आप जब निजीकरण अपनाते हैं, तो आप अपने आपको न जाने क्यों ऐसी किसी भी चीज़ का कारण बनाने लगते हैं, जिसका आप से कोई लेना-देना ही नहीं, या जिस पर आपका वश ही नहीं। हो सकता है, कि आप जबरदस्ती ही सारी बातों को “अपने पर” लेने लगते हैं, भले ही उनका मतलब आप से ना भी हो, तो।[२४]
    • उदाहरण के लिए, अगर आपके बच्चे को, उसके किसी बर्ताव के लिए, उसके टीचर ने कुछ बुरा बोल दिया है और उसके बर्ताव की आलोचना भी की, तो आप उनकी इस आलोचना को भी अपने ऊपर लेना शुरू कर देती हैं: “माही के टीचर को लगता हिया कि मैं एक बुरी माँ हूँ! उसकी इतनी हिम्मत उसकी मेरे मातृत्व (पेरेंटिंग) के अपमान करने की हिम्मत भी कैसे हुई?” अब क्योंकि आप सारी बातों को अपने ऊपर लगाए हुए एक इल्जाम की तरह देखती हैं, इसलिए इस तरह की धारणा, आपकी प्रतिक्रियाओं को ओवर-सेंसिटिव बना देती हैं।
    • इसकी बजाय किसी भी परिस्थिति पर ढ़ंग से और उचित रूप से (ऐसा कर पाने में बहुत समय लगता है, तो इसलिए आप विवेक से काम लें) समझने की कोशिश करें। इस बात का पता लगाएँ कि आखिर असल में हुआ क्या है, और आप इस परिस्थिति के बारे में क्या जानती हैं। जैसे कि, क्या माही की टीचर ने माही के बारे में आपको एक नोट लिखकर भेजा है, कि उसे क्लास में ध्यान लगाने की जरूरत है, तो ऐसे में वो आप पर “बुरे” पैरेंट होने का दोष नहीं लगा रही है। वो सिर्फ आपको एक ऐसी जानकारी दे रही है, जिसकी मदद से आप आपके बच्चे को स्कूल में बेहतर बना पाएंगी। इसमें शर्मिंदा होने की नहीं, बल्कि इसे तो सुधार का अवसर मानने की जरूरत है।
  3. How.com.vn हिन्द: Step 3 लेबलिंग को पहचानें और इसे चैलेंज करें:
    लेबलिंग (Labeling) एक तरह की “या तो सब-कुछ या फिर कुछ नहीं” वाली सोच है। इसका जन्म, अक्सर ही निजीकरण के साथ में होता है। आप जब अपने आप पर कोई लेबल लगाते हैं, तो आप अपने आप को किसी एक घटना के आधार पर खुद को जज कर रहे होते हैं, इसकी जगह पर ऐसा सोचें कि आप जो भी कुछ करते हैं, वो वैसा नहीं है, जैसे आप हैं
    • उदाहरण के लिए, अगर आपको आपके किसी काम पर या मान लीजिये कि आपके लिखी हुई स्पीच पर, नेगेटिव कमेंट्स मिलते हैं, तो आप अपने आप को एक “फेलियर” या एक “लूजर” समझने लगते हैं। अपने आपको एक “फेलियर” नाम देना, मतलब कि ऐसा समझने लगना कि अब आपको आगे कभी भी सफलता नहीं मिलेगी, तो इससे अच्छा है कि मैं अब और कोशिश ही ना करूं। लेकिन इससे आप, बाद में अपने आप को गुनाहगार समझने और अपमानित ही करने वाले हैं। और इसकी वजह से आप अपने लिए किसी भी तरह के अच्छे और रचनात्मक आलोचनाओं को भी सहन नहीं कर सकेंगे, क्योंकि आपको आप पर मिली ये समीक्षाएं भी एक “फेलियर” की तरह ही नजर आएँगी।
    • इसकी जगह पर, आपकी गलतियों को पहचानें और वो जिस भी वजह से हो रही हैं, उसे सुधारने की कोशिश करें: ऐसी कोई विशेष परिस्थिति जिसमें आप भविष्य के लिए, सुधार कर सकते हैं। खुद को एक “फेलियर” समझने की बजाय, जब आपको आपके निबंध पर कम तारीफ मिले, तो कुछ और सोचने की बजाय ऐसा सोचें कि आपने इससे क्या सीखा, आपने कितनी गलतियाँ की, और इसे करके आपको कैसा महसूस हुआ: “ठीक है, मैंने इस बार निबंध में अच्छा नहीं कर पाया। इससे मुझे निराशा तो हुई है, लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं, कि मेरे लिए अब सब खत्म हो गया। मैं अपने टीचर से बात करके, अपनी गलतियों को सुधारने के लिए सलाह माँग लूँगा, ताकि अगली बार में अच्छे से प्रदर्शन कर सकूं।”
  4. How.com.vn हिन्द: Step 4 “चाहिए वाले वाक्यों” को पहचानें और चैलेंज करें:
    चाहिए वाले वाक्य अक्सर ही हानिकारक होते हैं, क्योंकि ये आपको (और दूसरों को भी) एक ऐसी कसौटी पर रखते हैं, जो कभी-कभी अनुचित भी होती हैं। ये अक्सर ही आपके अंदर से आने वाले कुछ अच्छे विचारों की बजाय, बाहरी विचारों पर निर्भर होते हैं। आप जब कभी भी अपने लिए किसी “चाहिए” वाली बात को पूरा नहीं कर पाते, तब आप इसके लिए खुद को दंडित कर सकते हैं, और बदलाव के लिए अपनी प्रेरणा को और भी कम कर सकते हैं।इस तरह के विचार से आपको दोषी होने का भाव, हताशा और नाराजगी होने लगती है।
    • उदाहरण के लिए, हो सकता है कि आप खुद से कहें, कि “मुझे डाइटिंग करना चाहिए। मुझे इतना आलसी नहीं बनना चाहिए।” वैसे तो आप ये सब कहकर, अपने आप को “दोषी” दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस तरह से दोषारोपण करना अच्छा प्रेरणास्रोत नहीं होता।[२५]
    • आप इस तरह के “चाहिए” वाले वाक्यों के सामने आने के असली कारण को समझकर, इन “चाहिए” वाले वाक्यों को चैलेंज कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, क्या आपको इसलिए ऐसा लगता है कि आपको डाइट पर जाना “चाहिए”, क्योंकि दूसरों ने आप से ऐसा करने को बोला है? क्योंकि आपके ऊपर अच्छा दिखने का दवाब है? किसी भी चीज़ को करने के ये सब न तो उचित, ना ही मददगार कारण हैं।
    • हालाँकि, अगर आप बस इसलिए डाइट पर जाने को तैयार हैं, क्योंकि आपने आपके डॉक्टर से बात की और उन्होंने आपको, आपकी अच्छी सेहत के लिए डाइट करने की सलाह दी है, तो फिर आप आपके इस “चाहिए” वाले वाक्य को किसी और भी रचनात्मक वाक्य में बदल सकते हैं: “मैं अपनी सेहत का ख्याल रखना चाहती हूँ, तो इसलिए अब से मैं अच्छा, ताज़ा और सेहतमंद खाना खाने की कोशिश करूंगी।” इस तरीके से आप अपने लिए बहुत ज्यादा कठिन तरीके से भी नहीं सोच रहें है और अपने लिए एक पॉजिटिव प्रेरणा का इस्तेमाल कर रहे हैं -- और यही रास्ता आपको आगे भी काम आने वाला है।[२६]
    • आप जब इस तरह के चाहिए वाले वाक्यों को किसी और पर इस्तेमाल करते हैं, तो ये अक्सर ही भावनाओं की ओवर सेंसिटिविटी का कारण बन जाते हैं। उदाहरण के लिए, आप किसी के साथ में बात कर रहे हैं और वो आपकी बातों पर उस तरह की प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है, जिस तरह से आप चाह रहे हैं, तो उस वक्त आप हताश हो सकते हैं। आप अगर अपने आप से कहकर चलते हैं, कि “मैं उसे जो भी बताने जा रहा हूँ, उससे उसे उत्साहित होना चाहिए” लेकिन आप उस वक्त बहुत दुखी हो जाते हैं, जब वो आपके सोचे अनुसार, उसे जिस तरह की प्रतिक्रिया देना “चाहिए,” वो नहीं देती है। याद रखिये, आप कभी भी किसी की प्रतिक्रिया को कंट्रोल नहीं कर सकते हैं। कभी भी किसी ऐसी परिस्थिति में जाने से बचने की कोशिश करें, जहाँ पर आप सामने वाले से आपके लिए किसी विशेष प्रतिक्रिया की उम्मीद कर रहे हैं।
  5. How.com.vn हिन्द: Step 5 भावनात्मक तर्कों को पहचानें और चैलेंज करें:
    जब भी आप भावनात्मक तर्कों का इस्तेमाल करते हैं, तब आपको लगने लगता है कि आप जो भी बोलते हैं, बस वही सच है। इस तरह की विकृति होना एक बहुत आम बात है, और आप कुछ जरा सी कोशिश करके, इसे आसानी से पहचान सकते हैं और इससे छुटकारा पाने की कोशिश भी कर सकते हैं।[२७]
    • उदाहरण के लिए, हो सकता है कि आप इसलिए बुरा महसूस कर रहे हैं, क्योंकि आपके बॉस ने, आपके किसी प्रोजेक्ट में आपकी गलतियाँ गिना दी हैं। आप अगर भावनात्मक तर्कों का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो क्योंकि आपके मन में नेगेटिव भावनाओं के कारण आपको आपके बॉस की कही हुई बातें अनुचित लग रही होंगी। आप ऐसा इसलिए भी सोच सकते हैं क्योंकि आपको लगता हैं कि आप एक “लूजर” हैं, और आप किसी काम के लायक नहीं हैं । इस तरह की कल्पनाओं के कोई तार्किक सबूत नहीं होते हैं।
    • भावनात्मक तर्कों को चैलेंज करने के लिए, ऐसी कुछ परिस्थितियों के बारे में लिखने की कोशिश करें, जहाँ पर आपको नेगेटिव भावनाएँ आती हैं। फिर उन भावनाओं को लिख लें, जो आपके मन से जा चुकी हैं। फिर आपको इन भावनाओं के बाद में जैसा भी महसूस होता है, उसे लिखने की कोशिश करें। फिर अंत में, इस परिस्थिति के असली कारणों के बारे में जानने की कोशिश करें। क्या ये आपकी भावनाओं के अनुसार यही “सच्चाई” है? अब आपको पता चलेगा कि आपकी भावनाएँ सच में इतनी अच्छी सबूत नहीं थीं।[२८]
  6. How.com.vn हिन्द: Step 6 सीधे निष्कर्ष पर...
    सीधे निष्कर्ष पर पहुँचने की आदत को पहचानें और इसे दूर करने की कोशिश करें: निष्कर्ष पर पहुँचना भी, लगभग भावनात्मक तर्कों की ही तरह होता है। आप जब कभी भी किसी निष्कर्ष पर पहुँचते हैं, तब आप किसी भी परिस्थिति के बारे में बिना किसी सबूत के एक नेगेटिव धारणा बना लेते हैं। कुछ बड़े मामलों में, आप किसी स्थिति को गलत समझ लेते (catastrophize) हैं, जहाँ पर आप अपने अंदर उमड़ने वाले विचारों को तब तक नियंत्रित नहीं कर पाते हैं, जब तक आप एक सबसे खराब परिस्थिति में नहीं पहुँच जाते।
    • “मन पढ़ना (माइंड-रीडिंग या Mind-reading)” ये भी एक तरह से निष्कर्ष पर पहुँच जाना ही है, जो भी आपकी भावनात्मक ओवर सेंसिटिविटी को जन्म देते हैं। आप जब लोगों का मन पढ़ना शुरू करते हैं, तो आप अपने ही मन में ऐसा सोचने लगते हैं, कि सामने वाला अपने मन में आपके बारे में कुछ गलत सोच रहा है, फिर भले ही आपके पास में इस बात का कोई सबूत ना भी हो।[२९]
    • उदाहरण के लिए, अगर आपने आपके पार्टनर को मैसेज करके पूछा है, कि आज वो डिनर में क्या लेना चाह रहे हैं, और उन्होंने काफी देर तक आपको इसका जवाब नहीं दिया, तो आप ऐसा सोचने लगते हैं कि वो आपको नजरअंदाज कर रहे हैं। वैसे तो आपके पास आपकी इस सोच का कोई सबूत नहीं है, लेकिन फिर भी आप ऐसा सोचकर अपने आप को दुःख ही पहुँचा रहे हैं या जबरदस्ती में नाराज़ हो रहे हैं।
    • भविष्यवाणी (Fortune-telling) भी एक और तरह से सीधे निष्कर्ष पर पहुँचने का ही एक प्रकार है। ऐसा तब होता है, जब आप, बिना किसी ठोस सबूत के, पहले ही अपने साथ कुछ बुरा होने की कल्पना कर लेते हैं। उदाहरण के लिए, आप अपने ऑफिस में कभी किसी नए प्रोजेक्ट की बात नहीं करते हैं, क्योंकि आपको लगता है, कि आपके बॉस इसे नहीं मानेंगे।
    • सीधे निष्कर्ष पर पहुँचने का एक और बड़ा प्रकार तब सामने आता है, जब आप “किसी स्थिति को गलत समझकर (catastrophize)” कोई प्रतिक्रिया दे देते हैं। उदाहरण के लिए, आपको जब आपके पार्टनर की ओर से कोई जवाब नहीं मिलता है, तो आप ऐसा मान लेते हैं, कि वो आप से नाराज़ हैं। फिर इसके बाद आप सीधे ये निष्कर्ष निकाल लेते हैं, कि वो आप से बात करना इसलिए नजरअंदाज कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास में एक ऐसा सच है, जो वो आप से छिपाना चाहते हैं, जैसे वो शायद अब आप से प्यार ही नहीं करते। फिर आप सीधे ऐसा निष्कर्ष निकाल लेते हैं, कि अब आपका रिश्ता टूट रहा है, और फिर आप उसे छोड़कर, अकेले रहने चले जाते हैं। ये एक सबसे बड़ा उदाहरण है, लेकिन ये आपके विचारों में मौजूद तार्किक कमी को दर्शाता है, जो उस वक्त हो सकती है, जब आप सीधे किसी निष्कर्ष पर पहुँच जाते हैं।
    • आप सीधे लोगों से खुलकर और ईमानदारी के साथ बात करके, लोगों के मन को पढ़ने की आदत को सुधार सकते हैं। कभी भी अपने मन से किसी भी तरह का आरोप लगाने या किसी को दोष देने से पहले, एक बार जरा आराम से पता लगाने की कोशिश करें, कि आखिर चल क्या रहा है। जैसे कि, आप आपके पार्टनर को कुछ इस तरह से मैसेज कर सकते हैं, “क्या ऐसा कुछ चल रहा है, जिसके बारे में तुम मुझसे बात करना चाहते हो?” आपका पार्टनर अगर इसके जवाब में ना कहता है, तो फिर उसकी बोली हुई बात को ही सही मान लें।
    • अपने अंदर उमड़ने वाले हर एक विचार के लिए पक्के सबूत ढूंढकर, भविष्यवाणी और किसी परिस्थिति को गलत समझ लेने वाली आदत को सुधारें। क्या आपके पास में पहले का कोई ऐसा सबूत मौजूद है, जो आपकी इस सोच को जन्म दे रहा है? क्या आपने इस परिस्थिति में कुछ ऐसा देखा है, जो आपकी इन भावनाओं को उचित साबित करता है? अक्सर ही, जब आप आपकी भावनाओं को एक-एक करके समझने की कोशिश करते हैं, तब आप खुद को अपने विचारों में कुछ ऐसी कमी नजर आती है, जिसकी आपको जरूरत ही नहीं है। कुछ कोशिश करके, आप इस तरह की कमियों को बेहतर तरीके से भर सकेंगे।
विधि 3
विधि 3 का 3:

सुधारने के लिए काम करना (Taking Action)

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  1. How.com.vn हिन्द: Step 1 मेडिटेट करें:
    मेडिटेशन, खासकर सचेतन मन से किये जाने वाला मेडिटेशन, ये आपको आपकी भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को व्यक्त करने में और इन्हें मैनेज करने में मदद करेगा।[३०] साथ ही ये ज्यादा तनाव में आपके मन में उमड़ने वाली प्रतिक्रियाओं को भी नियंत्रित करती हैं।[३१] सचेतन रूप से किया हुआ मेडिटेशन, आपको आपकी भावनाओं को बिना जज किये, स्वीकारने और मानने पर केंद्रित होता है। ये इमोशनल ओवर-सेंसिटिविटी से निपटने में मददगार होता है। आप चाहें तो एक क्लास कर सकते हैं, या फिर ऑनलाइन मेडिटेशन का इस्तेमाल कर सकते हैं, या फिर अपने मन से ही मेडिटेशन कर सकते हैं।[३२]
    • एक ऐसा शांत स्थान चुनें, जहाँ पर आपको किसी तरह का विचलन ना हो, और ना ही कोई आपको परेशान कर सके। या तो जमीन पर या फिर किसी सीधी चेयर पर एकदम सीधे बैठ जाएँ। अगर आप झुककर बैठेंगे, तो आपको सही ढ़ंग से सांस लेने में परेशानी होगी।[३३]
    • आपकी साँस लेने की हर एक मूल स्टेप, जैसे कि आपकी छाती के फूलने और कम होने को या फिर आपकी साँस लेने की आवाज पर ध्यान देते हुए शुरुआत करें। आप जब गहरी साँस लेते वक्त भी इन्हीं स्टेप्स पर ध्यान देने की कोशिश करें।
    • अब आपकी अन्य सेंस पर `ध्यान देने की कोशिश करें। उदाहरण के लिए, आप क्या सुनते हैं, क्या छूते हैं और कैसी महक ले पा रहे हैं। अब क्योंकि हम किसी भी दिखाई देने वाली चीज़ से बहुत जल्दी विचलित हो जाते हैं, इसलिए ये आपको आपकी ऑंखें बंद करे रखने में मदद करेंगे।
    • आपको महसूस होने वाले विचारों और संवेदना को स्वीकार करें, लेकिन इन्हें किसी भी तरह से “अच्छा” या “बुरा” समझने की कोशिश ना करें। इससे आपको इनके आते ही इन्हें सतर्कता से स्वीकारने में मदद मिलेगी, खासकर पहली बार में: “मुझे ऐसा महसूस हो रहा है, कि मेरे पैर के अंगूठे ठंडे पड़ गए हैं। मुझे ऐसा लग रहा है कि, मैं विचलित हो रहा हूँ।”
    • अगर आप अपने आपको विचलित होते हुए पा रहे हैं, तो फ़ौरन ही अपना ध्यान, अपनी साँसों पर केंद्रित करने लगें। हर रोज कम से कम 15 मिनट के लिए मेडिटेशन करने की कोशिश करें।
    • आप अगर माइंडफुलनेस (सचेतन) मेडिटेशन के लिए ऑनलाइन गाइड की तलाश कर रहे हैं, तो आप उसे UCLA Mindful Awareness Research Center[३४] और BuddhaNet[३५] से पा सकते हैं।
  2. How.com.vn हिन्द: Step 2 स्वीकारात्मक (असर्टिव/assertive) कम्युनिकेशन...
    स्वीकारात्मक (असर्टिव/assertive) कम्युनिकेशन इस्तेमाल करके देखें: कभी-कभी इंसान केवल इसलिए ओवर-सेंसिटिव हो जाते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वो अपनी इच्छाओं, चाहत और भावनाओं को सामने वाले के साथ, सही ढ़ंग से पेश नहीं कर पा रहे हैं। आप जब आपके कम्युनिकेशन में बहुत ज्यादा निष्क्रिय हो जाते हैं, तब आपको किसी से भी “ना” बोलने में परेशानी होने लगती है, और आप आपकी भावनाओं को और आपके विचारों को भी सामने वाले के साथ सही ढ़ंग से पेश नहीं कर पाते। असर्टिव कम्युनिकेशन सीखकर, आपको दूसरों के साथ में, आपकी चाहत और भावनाओं को ज्यादा बेहतर तरीके से पेश करने में मदद मिलेगी, जिसकी वजह से लोग आपको सुनना और आपकी कद्र करना भी शुरू कर देंगे।[३६][३७]
    • अपनी भावनाओं को पेश करने के लिए, “मैं”-वाले स्टेटमेंट्स का इस्तेमाल करें, जैसे कि “मैं बहुत आहत हुआ, जब तुम डेट पर देर से आये” या “मैं किसी भी अपॉइंटमेंट के लिए, जरा जल्दी निकलना सही समझता हूँ, क्योंकि अगर मुझे अपने लेट होने का अहसास होने लगता है, तो मैं बहुत ज्यादा चिंतित होने लगता हूँ।” इस तरह से ऐसा लगता है कि आप सामने वाले को किसी बात के लिए दोषी नहीं ठहरा रहे हैं, और इससे आपका सारा ध्यान आपकी ही भावनाओं पर होता है।
    • बातचीत के दौरान, फॉलो अप क्वेश्चन करते रहें। खासकर अगर कोई चर्चा बेहद इमोशनल होते जा रही है, तब इस समय पर आपके द्वारा सवाल करने से, आप को स्थिति की बेहतर समझ हो जाएगी और आप ओवररियेक्ट करने से बचे रहेंगे। उदाहरण के लिए, सामने वाले इंसान के बोलना बंद करते ही, उससे कहें: “मैंने ऐसा सुना, कि तुम_____ बोल रहे थे। क्या ऐसा ही बोला है ना?” फिर सामने वाले इंसान को स्पष्टीकरण देने का मौका दें।[३८]
    • “स्पष्ट अनिवार्यताओं” का इस्तेमाल करने से बचें। इस तरह के, “करना चाहिए” या “होना ही चाहिए” शब्द, दूसरों के व्यवहार पर नैतिक निर्णय लगा सकते हैं, और इनसे ऐसा भी लग सकता है कि आप या तो उन्हें दोषी मान रहे हैं या फिर बहुत ज्यादा माँग कर रहे हैं। यहाँ पर इनकी जगह पर “मैं ऐसा करता/करती” या “मैं चाहता हूँ कि तुम” जैसे शब्दों का इस्तेमाल करें। उदाहरण के लिए, “तुम्हें याद रखना चाहिए, कि सारा कचरा बाहर रखना होता है” कहने की बजाय, कहें कि “मैं तुम्हें याद दिलाना चाहता था कि, सारा कचरा बाहर रख दो, क्योंकि मुझे लगता है कि तुम इतने सारे काम करते-करते, कहीं इसे भूल ना जाओ।”[३९]
    • सारी कल्पनाओं पर रोक लगा दें। हमेशा ऐसा सोचने की जरूरत नहीं है, कि आपको सब पता है, क्या चल रहा है। सामने वाले को भी उसकी भावनाएँ और अनुभव शेयर करने का मौका दें। ऐसे वाक्य इस्तेमाल करें, जैसे कि “तुम्हारे क्या विचार हैं?” या “क्या तुम्हारे पास में कोई सलाह मौजूद है?”[४०]
    • ये बात स्वीकार लें, कि सामने वाले की अलग भावनाएँ हो सकती हैं। किसी भी स्थिति में, कौन “सही है” को लेकर लड़ने से, आप केवल और ज्यादा उत्तेजित और नाराज ही होने वाले हैं। भावनाएँ हमेशा ही व्यक्तिपरक होती हैं; इस बात को याद रखिये कि भावनाओं के लिए ऐसा कोई “सही” जवाब मौजूद नहीं है, भावनाएँ सही या गलत नहीं होती हैं। सामने वाले इंसान की भावनाओं को स्वीकार करते हुए, अपने लिए कुछ इस तरह के वाक्य इस्तेमाल करें, जैसे कि “मेरी भावनाएँ कुछ अलग हैं,” ताकि हर किसी की भावनाओं के लिए जगह बनी रहे।
  3. How.com.vn हिन्द: Step 3 प्रतिक्रिया देने से...
    प्रतिक्रिया देने से पहले, अपने शांत होने का इंतजार करें: किसी भी परिस्थिति में आपकी भावनाएँ, आपकी प्रतिक्रिया का विरोध कर सकती हैं। किसी उत्तेजित भावना के चलते आप गलती से कोई ऐसा कदम उठा सकते हैं, जिससे आगे जाकर आपको पछतावा हो सकता है। किसी भी ऐसी परिस्थिति में, जहाँ पर आपके अंदर ना जाने कितनी ही उत्तेजित भावनाएँ उठ रही हो, तब कोई भी प्रतिक्रिया देने से पहले, खुद को जरा सा वक्त दें, भले ही ये एक-या दो मिनट ही क्यों ना हों।[४१]
    • अपने आप से “अगर ऐसा...तो वैसा” वाले सवाल करें। “अगर मैं अभी ऐसा कर दूँ, तो फिर बाद में कैसा हो सकता है?” अपने द्वारा दी जाने वाली प्रतिक्रिया के लिए, मिल सकने वाले दोनों ही, -- पॉजिटिव और नेगेटिव तरह के -- परिणामों के बारे में विचार करें। फिर आपकी प्रतिक्रिया और मिले परिणाम का मूल्यांकन करके देखें।
    • उदाहरण के लिए, हो सकता है कि आपका, आपके पति (या पत्नी) के साथ में बहुत बड़ा झगड़ा हुआ हो। आप अभी इतने गुस्से में और दुखी हैं, कि आप उसे तलाक लेने देने का बोलने वाले हैं। पहले कुछ समय इंतजार करें और अपने आप से “यदि ऐसा...तब” वाला सवाल करके देखें। अगर आपने उसे तलाक देने का बोल दिया, तो फिर क्या हो सकता है? आपका पति/पत्नी आहत हो सकता है या फिर ऐसा भी सोच सकता है, कि वो एक अप्रिय इंसान है। आप दोनों का गुस्सा शांत होने के बाद, वो इसे याद करेंगे, और इसे आप जब गुस्से में हों, तब आपके ऊपर भरोसा ना करके के एक इशारे की तरह देखें। वो अपनी ही नाराजगी की लड़ाई में इससे सहमत हो जाएँगे। क्या आप इस तरह के परिणाम पाना चाहते हैं?
  4. How.com.vn हिन्द: Step 4 संवेदना के साथ...
    संवेदना के साथ अपने आप से और हर एक इंसान से मिलें: हो सकता है कि आप, आपकी ओवर-सेंसिटिविटी के कारण ऐसी किसी भी परिस्थिति, जिसकी वजह से आपको तनाव हो सकता है या फिर आपको अजीब सा महसूस हो सकता है, को नजरअंदाज करने लगे हों। आपको ऐसा भी लग सकता है कि आपके रिश्ते की कोई भी गलती, बस इसे कैसे भी तोड़ सकती है, इसलिए आप अपनी लाइफ में किसी भी तरह का रिश्ता भी नहीं बनाना चाहते हैं या अगर रिश्ते हैं, भी तो बहुत कम। दूसरों (और अपने भी) के पास संवेदना लेकर जाएँ। उस इंसान के बारे में, कुछ अच्छा ही मानकर चलें, खासतौर पर जब, वो आपके जाने-पहचाने हों। अगर आपकी भावनाएँ आहत हैं, तो ऐसा मत मान लीजिये कि, ये सब जान-बूझकर हो रहा है: हर किसी के साथ में संवेदनात्मक समझ दिखाएँ, फिर चाहे वो आपके फ्रेंड हों, आपके प्यारे साथी हों, या फिर कोई ऐसा इंसान हो, जिसने गलती की हो।[४२]
    • अगर आपको आपकी भावनाएं आहत हो रही हैं, तो इन्हें अपने प्यारे लोगों के साथ में व्यक्त करने के लिए, असर्टिव कम्युनिकेशन की मदद लें। हो सकता है, कि उनको इस बात की भनक भी ना हो, कि उन्होंने आपको आहत कर दिया है, वो भी जानना चाहते होंगे, ताकि अगली बार वो इस तरह से आपको आहत ना कर पायें।
    • किसी भी इंसान की आलोचना ना करें। उदाहरण के लिए, अगर आपका फ्रेंड, आपके साथ में उसकी लंच डेट को भूल जाता है, और आपको इससे दुःख पहुँचा है, तो उनके पास ऐसा कहते हुए ना चले जाएँ कि “तुम तो मुझे भूल ही गए, और तुमने मेरी भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।” इसकी जगह पर कहें, कि “जब तुम हमारी लंच डेट को भूले, तो मुझे बहुत दुःख पहुँचा, क्योंकि तुम्हारे साथ में वक्त बिताना, मेरे लिए बेहद जरूरी है।” फिर इसके बाद में आपके फ्रेंड के अनुभव को शेयर करने दें: “क्या कुछ हुआ था? क्या तुम मुझसे उस बारे में बात करना चाहोगे?”
    • इस बात पर ध्यान दें, कि जरूरी नहीं है कि सारे लोग उनकी भावनाओं या अनुभव के बारे में बात करना पसंद करते हों, खासतौर पर, जब वो आपके साथ अभी-अभी मिले हों। अगर आपका प्यारा दोस्त, आपसे फौरन इसके बारे में बात नहीं करना चाहता, तो इसे अपने ऊपर लेने की जरूरत नहीं है। इसका मतलब ये नहीं है, कि आपने कुछ गलत किया है; इसका मतलब कि उसे अपनी भावनाओं को समझने के लिए कुछ वक्त की जरूरत है।
    • अपने आप से भी उसी तरह मिलें, जैसे कि आप आपके उस साथी से मिला करते हैं, जो आपको बहुत प्यारा है। आप अगर आपके फ्रेंड को ऐसा कुछ नहीं बोल सकते, जो कि उसे ठेस पहुँचाये या उसके दर्द का कारण बने, तो फिर आप अपने साथ भी कैसे ऐसा कर सकते हैं?[४३]
  5. How.com.vn हिन्द: Step 5 अगर जरूरत हो, तो प्रोफेशनल सहायता की तलाश करें:
    कभी-कभी आप आपकी इमोशनल सेंसिटिविटी को मैनेज करने के लिए, बहुत कुछ कर रहे होते हैं, और इनसे हम एकदम से भरा हुआ सा महसूस करने लगते हैं। किसी एक लाइसेंस प्राप्त मेंटल हैल्थ प्रोफेशनल के साथ में काम करके, आपको आपकी भावनाओं को समझने में और इन्हें सुरक्षित, सपोर्टिव तरीके से पेश करने में भी मदद मिलेगी। एक प्रशिक्षित काउंसलर या एक थेरेपिस्ट, आपको आपके सोचने के हानिकारक तरीकों के बारे में तलाशना सिखाएगा और साथ ही आपकी भावनाओं को एक सुरक्षित तरीके से मैनेज करना सिखाएगा।
    • सेंसिटिव लोगों को, किसी भी परिस्थिति में, अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में और अपने नेगेटिव विचारों को मैनेज करना सीखने में, कुछ ज्यादा मदद की जरूरत होती है। ये आपकी मानसिक बीमारी का ई लक्षण नहीं है, लेकिन ये आपको दुनिया के साथ, बातचीत करने के सही तरीके जानने में मदद करता है।
    • आम लोग, मदद के लिए मेंटल हैल्थ प्रोफेशनल के पास जाया करते हैं। किसी काउंसलर, साइकोलोजिस्ट, थेरेपिस्ट या अन्य किसी से मदद लेने के लिए आपको "दिमागी तौर पर बीमार" होने की जरूरत नहीं है, या फिर जरूरी नहीं है कि आप किसी गंभीर समस्या से ही जूझ रहे हैं। ये भी एक डेंटिस्ट, फिजिशियन, ऑय स्पेशलिस्ट या अन्य किसी डॉक्टर की ही तरह एक हैल्थ प्रोफेशनल होते हैं। हालाँकि, मेंटल हैल्थ ट्रीटमेंट को अक्सर ही लोग हीनता (जोड़ों के दर्द, केविटी या अन्य मोच आदि की बजाय) की नजर से देखा करते हैं, ये एक ऐसा इलाज है, जिससे ज्यादातर लोगों को आराम मिलता है।[४४]
    • कुछ लोगों को ऐसा लगता है, कि लोगों को बस इसे “कैसे भी अपना लेना चाहिए” और उन्हें खुद ही साहस दिखाना चाहिए। इस तरह की सोच, बहुत ही हानिकारक होती है। आपको आपकी भावनाओं को सँभालने के लिए, अपनी तरफ से तो कोशिश करना ही चाहिए, लेकिन अगर आपको किसी और से मदद मिल जाए, तो ये आपके लिए और भी बेहतर होगा। कुछ खास विकार, जैसे कि डिप्रेशन, चिंता और बाइपोलर डिसऑर्डर, ये सारे ही विकार, किसी भी व्यक्ति के अपनी ही भावनाओं से निपटने के लिए शारीरिक रूप से असंभव बना देते हैं। अगर आप काउंसलिंग की तलाश कर रहे हैं, तो इसमें परेशान या शर्म करने जैसी कोई जरूरत नहीं है। ये आपकी, आपके प्रति परवाह को दर्शाता है।[४५]
    • ज्यादातर काउंसलर और थेरेपिस्ट, आपके लिए किसी तरह की दवाई लेने की सलाह नहीं देते हैं। हालाँकि, एक प्रशिक्षित मेंटल हैल्थ प्रोफेशनल, समझकर आपको जरूरत पड़ने पर, किसी दूसरे स्पेशलिस्ट या फिर किसी ऐसे मेडिकल डॉक्टर के पास भेज सकता है, जो आपकी किसी और बीमारी, जैसे कि डिप्रेशन या चिंता का पता लगा सकते हैं, और आपके लिए जरूरी दवाओं की भी सलाह दे सकते हैं।[४६]
  6. How.com.vn हिन्द: Step 6 आपकी हाई सेंसिटिविटी,...
    आपकी हाई सेंसिटिविटी, का कारण आपका डिप्रेशन या अन्य कोई परेशानी भी हो सकती है: कुछ लोग जन्म के साथ ही बेहद सेंसिटिव होते हैं, और ये उनके बचपन से ही नजर आने लगता है। ये ना तो किसी तरह का डिसऑर्डर है, ना ही मानसिक बीमारी है, या ना ही कुछ "गलत" है --ये तो हर किसी का अपना गुण होता है। हालांकि, अगर कोई व्यक्ति सामान्य संवेदनशीलता से बहुत संवेदनशील हो जाता है, "चिड़चिड़ा", "रोने लगना", "तुनकमिजाज" या अन्य किसी तरह से अप्रसन्न हो जाता है, तो समझ जाइये, कि कुछ तो गड़बड़ है।
    • कभी-कभी डिप्रेशन की वजह से भी लोग ओवर-सेंसिटिव हो जाते हैं, उनमें अचानक ही भावनाओं का गुबार (पॉजिटिव और नेगेटिव, दोनों ही तरह की भावनाएँ) फूटने लगता है।
    • केमिकल का असंतुलन भी हाई इमोशनल सेंसिटिविटी का कारक होता है। उदाहरण के लिए, एक प्रेगनेंट महिला, बहुत ज्यादा भावनात्मक रूप से प्रतिक्रिया दे सकती है। या फिर एक बच्चा, जो यौवन से गुजर रहा है। या फिर थाइराइड से जूझ रहा एक इंसान। कुछ दवाइयाँ, या मेडिकल ट्रीटमेंट भी, भावनाओं में बदलाव का कारण होते हैं।
    • एक प्रशिक्षित मेडिकल प्रैक्टिस करने वाला, आपको आपके डिप्रेशन को पहचानने में मदद कर सकता है। अपने आप से इसको पहचानना बेहद आसान होता है, लेकिन आखिरी में, बेहतर होगा अगर आप किसी ऐसे प्रोफेशनल के पास चले जाते हैं, जो आपको ये बता सके कि आप डिप्रेस्ड हैं, या फिर किसी अन्य वजह से बहुत ज्यादा सेंसिटिव हैं।
  7. How.com.vn हिन्द: Step 7 धैर्य रखें:
    भावनात्मक विकास भी, शारीरिक विकास की ही तरह होता है; इसमें समय लगता है, और इसके दौरान आपको अनकम्फर्टेबल भी महसूस हो सकता है। आप आपकी गलतियों से सीखेंगे, ये भी करना जरूरी है। किसी भी काम को करने में असफलता या नाकामयाबी भी बेहद जरूरी होती है।
    • एक बहुत ही सेंसिटिव इंसान होने के नाते, अक्सर एक युवा वयस्क को किसी व्यस्क इंसान से अधिक कठिनाई होती है। आप जैसे-जैसे समझदार होते जाते हैं, वैसे-वैसे आप आपकी भावनाओं को बेहतर तरीके से मैनेज करना और इनसे निपटने लायक स्किल भी तैयार कर लेते हैं।
    • एक बात का ध्यान रखें, इससे पहले कि आप किसी भी बात पर प्रतिक्रिया दें, जरूरी है कि आप उसके बारे में बेहतर जानकारी पा लें, नहीं तो ये बिल्कुल वैसा हो जाएगा, जैसा कि आप एक मैप लेकर, बिना पहले उस मैप को समझे, किसी एक नए स्थान की ओर चल दिए हैं - और साथ में ना ही आपको उस जगह पर यात्रा करने के बारे में कुछ ज्यादा जानकारी है, फिर तो आपका खो जाना निश्चित है। अपने मन का मैप समझें और देखिये, किस तरह आपको आपकी सेंसिटिविटी के बारे में और उन्हें बेहतर ढ़ंग से मैनेज करने लायक समझ आ जाएगी।

सलाह

  • अपने किसी अवगुण पर या फिर अपने परफेक्ट ना होने पर संवेदना दिखाकर, आप आपकी शर्म को छोड़ देंगे और दूसरों के लिए भी संवेदना व्यक्त करना शुरू कर देंगे।
  • ऐसा ना सोचें कि आपको हर बार आपकी भावनाओं को उचित ठहराने के लिए, हर किसी से आपकी चिंता को व्यक्त करने की जरूरत है। आप अगर इन्हें अपने तक ही रखना चाहते हैं, तो इसमें कोई खराबी नहीं है।
  • नेगेटिव विचारों को चैलेंज करें। नेगेटिव आंतरिक डायलॉग बेहद हानिकारक हो सकते हैं। जब कभी भी आप खुद को अपनी ही बहुत ज्यादा आलोचना करता हुआ पायें, तो ऐसा सोचें: "अगर मैं यही बात किसी और से कहूँ, तो उसे कैसा महसूस होगा ?"
  • हर किसी की भावनाएँ अलग-अलग होती हैं। भले ही फिर आपकी पहचान के किसी इंसान की, किसी मामले में बिल्कुल आपकी ही तरह भावनाएँ क्यों न हों, लेकिन हो सकता है कि, इसने आपको जितना प्रभावित किया हो, उतना उसे ना किया हो। ये सब कुछ बस समय का खेल है, ये सबके लिए एक सामान नहीं होते।
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  36. http://psychcentral.com/lib/9-myths-and-facts-about-therapy/
  37. http://mentalhealthdaily.com/2014/09/15/who-can-prescribe-antidepressants/

विकीहाउ के बारे में

How.com.vn हिन्द: Chloe Carmichael, PhD
सहयोगी लेखक द्वारा:
लाइसेंस्ड क्लीनिकल सायकोलॉजिस्ट
यह आर्टिकल लिखा गया सहयोगी लेखक द्वारा Chloe Carmichael, PhD. क्लोइ कारमाइकल, पीएचडी एक लाइसेंस्ड क्लीनिकल सायकोलॉजिस्ट हैं, जो न्यूयॉर्क शहर में एक सक्सेसफुल प्राइवेट प्रैक्टिस करते है, और जो मुख्यतः रिश्ते के मुद्दों, तनाव प्रबंधन और कैरियर कोचिंग पर फोकस करते है। उन्होंने लांग आइलैंड यूनिवर्सिटी से क्लीनिकल साइकोलॉजी में पीएचडी प्राप्त की और अमेजन बेस्टसेलर Dr. Chloe’s 10 Commandments of Dating के लेखक हैं। यह आर्टिकल १३,०५१ बार देखा गया है।
श्रेणियाँ: स्वास्थ्य
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