कैसे मुंह के कैंसर के चिन्ह पहचानें

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भारत में हर साल डायग्नोज़ होने वाले सभी कैंसर में से लगभग 2% केस मुंह और गले के कैंसर के होते हैं |[१] मुंह के कैंसर का जल्दी से जल्दी पता चलना और समय पर उपचार होना बहुत जरुरी होता है क्योंकि इससे जीवित रहने की सम्भावनायें बढ़ जाती हैं | उदाहरण के लिए, मुंह के कैंसर से पीड़ित ऐसे लोग जिनमे कैंसर 83% से ज्यादा न फैला हो बल्कि केवल 32% तक ही शरीर के अन्य भागों के फैला हो, जीवित रहने की सम्भावना दर पांच साल होती है |[२] हालाँकि डॉक्टर और डेंटिस्ट मुंह के कैंसर का पता लगाने में सक्षम होते हैं लेकिन खुद अपने लक्षणों को पहचानने से डायग्नोसिस जल्दी हो सकती है और समय पर इलाज़ भी हो सकता है | आप जितने जागरूक रहेंगे, उतना ही बेहतर होगा |

विधि 1
विधि 1 का 3:

शारीरिक चिन्ह पहचानें

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  1. How.com.vn हिन्द: Step 1 अपना मुंह रोज़ चेक करें:
    मुंह और गले के अधिकतर कैंसर का कारण कुछ ऐसे पहचान योग्य चिन्ह और लक्षण होते हैं जो केवल प्रारंभिक अवस्था में ही दिखाई देते हैं लेकिन सभी लोग इन पर ध्यान नहीं देते | कुछ केसेस में, एडवांस स्टेज में पहुँचने तक कोई लक्षण नहीं दिखाई देते | फिर भी, डॉक्टर्स और डेंटिस्ट रेगुलर चेकअप के साथ ही इस बात ही भी सिफारिश करते हैं कि आप किसी भी संभावित असामान्य चिन्ह पर नज़र रखने के करने के लिए महीने में कम से कम एक बार दर्पण के सामने अपने मुंह को सावधानीपूर्वक चेक करना चाहिए |[३]
    • ओरल कैंसर (oral cancer) मुंह और गले में कहीं भी बढ़ सकता है जिसमे होंठ, मसूड़े, जीभ, कठोर तालू और नर्म तालू, टॉन्सिल्स और गालों का अंदरूनी हिस्सा शामिल है |[४] केवल दांत ही ऐसे हिस्से हैं जिनमे कैंसर नहीं हो सकता |
    • डेंटिस्ट से एक छोटा डेंटल मिरर खरीदें या उधार लें जिससे आप अपने मुंह का बार-बार ठीक तरह से परीक्षण कर सकें |
    • मुंह को एक्सामिन करने से पहले दांतों को ब्रश और फ्लॉस करें | अगर ब्रश या फ्लॉस करने के बाद सामान्य तौर पर मसूड़ों से खून आये तो थोड़े नमक वाले गुनगुने पानी से मुंह धो लें और थोड़ी देर बाद एक्सामिन करें |
  2. How.com.vn हिन्द: Step 2 छोटे-छोटे सफ़ेद छालों पर नज़र डालें:
    मुंह में सभी जगह छोटे-छोटे सफ़ेद छालों पर नज़र डालें जिन्हें डॉक्टर्स की भाषा में ल्यूकोप्लाकिया (leukoplakia) कहा जाता है | ल्यूकोप्लाकिया ओरल कैंसर के सामान्य प्रीकर्सर (precursor) होते हैं लेकिन इन्हें अक्सर नासूर या घर्षण या छोटी-मोटी चोट के कारण होने वाले दूसरे घावों के कारण डायग्नोज़ करने में गलती हो जाती हैं |[५]ल्यूको प्लाकिया को, मसूड़ों और टॉन्सिल्स के बैक्टीरियल इन्फेक्शन और इसी तरह कैंडिडा यीस्ट की मुंह में अतिवृद्धि होने (जिसे ओरल थ्रश या मुंह आना भी कहा जाता है) के कारण डायग्नोज़ होने में गलती हो जाती हैं |
    • हालाँकि नासूर और अन्य अल्सर आमतौर पर काफी पीड़ादायक होते हैं लेकिन ल्यूकोप्लाकिया तब तक पीड़ा नहीं देते जब तक ये अपनी एडवांस स्टेज में न पहुँच जाएँ |
    • नासूर आमतौर पर होंठ के अंदरूनी हिस्से, गालों और जीभ के किनारों में होते हैं जबकि ल्यूकोप्लाकिया मुंह में कहीं भी हो सकते हैं |
    • अच्छी देखभाल के साथ, नासूर और अन्य छोटे-मोटे घाव और कट्स आमतौर पर एक सप्ताह में अपनेआप ठीक हो जाते हैं | जबकि, ल्यूकोप्लाकिया ठीक नहीं होते और अक्सर समय के साथ और बढे और पीड़ायुक्त होते जाते हैं |

    नोट: किसी भी तरह के सफ़ेद छाले या घाव होने पर, जो दो सप्ताह में ठीक न हों, डॉक्टर को दिखाना चाहिए

  3. How.com.vn हिन्द: Step 3 लाल छालों या पैचेज पर नज़र रखें:
    मुंह के अंदर और गले के पिछले हिस्से को चेक करते समय छोटे-छोटे लाल छालों या पैचेज पर नजर डालें | लाल छाले (घाव) को डॉक्टर, इरिथ्रोप्लाकिया (erythroplakia) कहते हैं और ये मुंह में होने वाले ल्यूकोप्लाकिया की अपेक्षा कम देखे जाते हैं | इन छालों की कैंसर में बदलने की सम्भावना बहुत ज्यादा होती है |[६] इरिथ्रोप्लाकिया शुरुआत में छूने पर पीड़ायुक्त हो सकते हैं लेकिन इनके जैसे दिखने वाले अन्य छालों जैसे नासूर, हर्पीस के घाव (कोल्ड सोर्स) या सूजे हुए मसूड़े की तरह पीड़ायुक्त नहीं होते |
    • नासूर, अल्सर बनने और सफ़ेद होने से पहले आरंभिक अवस्था में लाल होते हैं | जबकि इरिथ्रोप्लाकिया एक सप्ताह या उसके बाद भी लाल ही बने रहते हैं |
    • मुंह में हर्पीस के छाले भी हो सकते हैं लेकिन ये आमतौर पर होंठों के बाहरी किनारों पर होते हैं | इरिथ्रोप्लाकिया हमेशा मुंह के अंदरूनी हिस्सों में होते हैं |
    • अम्लीय भोजन के कारण होने वाले फफोले या उत्तेजना से भी इरिथ्रोप्लाकिया होने का धोखा हो सकता है लेकिन ये जल्दी गायब हो जाते हैं |
    • अगर ऐसा कोई लाल छाला या हिस्सा हो, जो दो सप्ताह के बाद भी ठीक न हो, उसे डॉक्टर को जरुर दिखाएँ |
  4. How.com.vn हिन्द: Step 4 लम्प और खुरदुरे स्पॉट्स अनुभव करें:
    मुंह के कैंसर के अन्य मुख्य चिन्हों में लम्प की ग्रोथ और कठोर पैचेज बनना भी शामिल होता है |[७] आमतौर पर, कैंसर को सेल्स के अनियंत्रित विभाजन के रूप में परिभाषित किया जाता है इसलिए इसमें अंततः लम्प, सूजन या अन्य ग्रोथ भी दिखाई देगी | किसी भी तरह के असामान्य लम्प, उभार, या बाहर निकले हुए हिस्सों या कठोर पैचेज को फील करने के लिए अपनी जीभ को पूरे मुंह में घुमाएँ | आरंभिक स्टेज में ये लम्प और कठोर पैचेज पीड़ायुक्त नहीं होते और मुंह में होने वाली कई चीज़ों से भ्रमित कर सकते हैं |
    • जिन्जिवाइटिस (मसूड़ों की सूजन) में अधिकतर काफी खरतनाक लम्प को छिपा देती है लेकिन जिन्जिवाइटिस में ब्रश और फ्लॉस करने पर ब्लीडिंग होती है जो आरंभिक कैंसरग्रस्त लम्प में नहीं होती |
    • मुंह के टिश्यू की कठोरता या लम्प अक्सर दांतों की पंक्ति की सुविधा और फिटिंग को प्रभावित कर सकती है जो मुंह के कैंसर का पहला संकेत हो सकता है |
    • मुंह में लगातार बढ़ने वाले उभार (लम्प) या खुरदुरे पैच होने पर हमेशा सतर्क रहें |
    • मुंह में होने वाले खुरदुरे पैचेज तम्बाकू चबाने, नकली दांतों की पंक्ति के झड़ने, मुंह सूखने (लार की कमी) से और कैंडिडा इन्फेक्शन (फंगल इन्फेक्शन) के कारण भी हो सकते हैं |

    नोट: मुंह में कोई भी दो से तीन सप्ताह तक बने रहने वाले लम्प या खुरदुरे पैच होने पर डॉक्टर को दिखाएँ

  5. How.com.vn हिन्द: Step 5 दर्द या सूजन को अनदेखा न करें:
    आमतौर पर मुंह में होने वाला दर्द या सूजन नॉन-कैंसरस परेशानी होती हैं जैसे कैविटी (दांत में कीड़ा लगना), अक्कल दाढ़ फंसी होना, मसूड़ों में सूजन, गले का संक्रमण, नासूर और दांत खराब होना | इसीलिए, प्रभावी रूप से कैंसर के कारण होने वाले दर्द को इनमे से पहचानना काफी मुश्किल होता है लेकिन अगर आप दांतों की अच्छी देखभाल करते हैं और फिर भी ये लक्षण हों तो आपको कैंसर होने की सम्भावना हो सकती है |
    • आमतौर पर दांत /नर्व टिश्यू में अचानक तेज़ दर्द मुंह के कैंसर का आरंभिक लक्षण नहीं होता |
    • लम्बे समय तक बने रहने वाली सूजन या चुभने वाले दर्द जो समय के साथ बढ़ते जाएँ, काफी चिंता के विषय होते हैं लेकिन ये दांतों की किसी समस्या में कारण भी हो सकते हैं जो डेंटिस्ट से दवा लेकर ठीक किये जा सकते हैं |
    • मुंह में होने वाले दर्द के और जबड़े और गर्दन के चारों ओर के लिम्फनोड्स की सूजन काफी चिंता का विषय है और इन्हें जल्दी ही डॉक्टर को दिखाना चाहिए |
    • होंठ, मुख या गले में लम्बे समय तक रहने वाली सुन्नता या सेंसिटिविटी भी अतिरिक्त जागरूकता और इन्वेस्टीगेशन कराने के संकेत देते हैं |
विधि 2
विधि 2 का 3:

अन्य चिन्ह पहचानें

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  1. How.com.vn हिन्द: Step 1 चबाने में होने वाली परेशानी को अनदेखा न करें:
    ल्यूकोप्लाकिया, इरिथ्रोप्लाकिया, लम्प, कठोर पैचेज और/या दर्द होने के कारण मुंह के कैंसर से पीड़ित व्यक्ति को अधिकतर चबाने में परेशानी होती है और इसके साथ ही चबाने की प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले जबड़े या जीभ में भी परेशानी होती है |[८] कैंसर की ग्रोथ के कारण दांतों के डिस्प्लेसमेंट या ढीले होने से भी सही तरीके से चबाने में परेशानी हो सकती है इसलिए अगर इसे बदलाव दिखें तो ध्यान दें |
    • अगर आप वृद्ध हैं तो चबाने में होने वाली परेशानी के लिए हमेशा ढीली फिटिंग वाले डेन्चर (dentures) को दोष न दें |
    • मुंह के कैंसर विशेषरूप से जीभ और गालों के कैंसर के कारण चबाते समय अधिकतर अपने ही टिश्यू चब सकते हैं |

    नोट: अगर आप वयस्क हैं और आपके दांत हिलने या ढीले होने लगे हैं तो जल्दी से जल्दी डेंटिस्ट से सम्पर्क करें

  2. How.com.vn हिन्द: Step 2 निगलने में होने वाले परेशानी पर ध्यान दें:
    छाले युक्त स्पॉट्स और लम्प की ग्रोथ होने के साथ ही जीभ को हिलाने में होने वाली परेशानी के कारण कई मुंह के कैंसर वाले रोगियों को सही तरीके से निगलने में परेशानी होने की शिकायत रहती है |[९] यह परेशानी भोजन निगलने से शुरू होती है लेकिन अगर पेय पदार्थ या अपनी ही लार को निगलने में परेशानी होने लगे तो यह समस्या गंभीर रूप धारण करके गले के कैंसर में बदल सकती है |
    • गले के कैंसर के कारण आहारनली (इसोफेगस- आमाशय तक जाने वाली नली) में सूजन और संकरापन (narrowing) हो सकती है और इसके साथ ही धीरे-धीरे गले में सूजन आ सकती है जिससे हर बार निगलने में परेशानी हो सकती है | आहारनली के कैंसर को तेजी से बढ़ने वाले डिसफेजिया या निगलने में होने वाली परेशानी के रूप में जाना जाता है |
    • गले के कैंसर के कारण गले में सुन्नपन आ सकता है और/या गले में कुछ फंसे होने जैसी फीलिंग होती है, जैसे गले में "मेंडक" उछल रहा हो |
    • टॉन्सिल्स और जीभ के पिछले आधे हिस्से के कैंसर के कारण भी निगलने में काफी परेशानी हो सकती है |
  3. How.com.vn हिन्द: Step 3 आवाज़ में होने वाले बदलाव सुनें:
    विशेषरूप से आखिरी स्टेज में मुंह के कैंसर का एक अन्य चिन्ह बोलने में होने वाली परेशानी भी होती है | इसमें जीभ और/या जबड़ा हिला नहीं पाते और इसके कारण शब्दों के उच्चारण में परेशानी होने लगती है | आवाज़ भी काफी भारी हो जाती है और उसकी लय गले के कैंसर या वोकल कॉर्ड्स को प्रभावित करने वाली अन्य परेशानियों के समान बदल जाती है |[१०] इसलिए आवाज़ में होने वाले बदलाव पहचानें या जो लोग आपकी आवाज़ में बदलाव होने के बारे में दावा करें उनकी बात पर गौर करें |
    • अचानक, बिना किसी कारण आवाज़ में होने वाले बदलाव आपके वोकल कॉर्ड्स पर या उनके नजदीक कैंसर ग्रस्त हिस्से होने का संकेत देते हैं |
    • गले में कुछ फंसे होने की फीलिंग वाले मुंह के कैंसर से पीड़ित लोगों में कई बार गला साफ़ करने की लगातार कोशिश से टिक जैसी आवाज़ सुनाई देती है |
    • कैंसर से श्वासनली में रूकावट होने के कारण बोलने के तरीके और आवाज़ की क्वालिटी में बदलाव भी हो सकते हैं |
विधि 3
विधि 3 का 3:

मेडिकल डायग्नोसिस का सहारा लें

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  1. How.com.vn हिन्द: Step 1 डेंटिस्ट या डॉक्टर को दिखाएँ:
    अगर मुंह में कोई चिन्ह या लक्षण दो सप्ताह से ज्यादा बन रहे या बहुत जल्दी स्थिति खराब होती जाए तो तुरंत डॉक्टर या डेंटिस्ट को दिखाएँ | अगर आपके फॅमिली फिजिशियन नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ (otolaryngologist) नहीं हैं तो डेंटिस्ट को दिखाना बेहतर होगा क्योंकि वे मुंह की नॉन-कैंसरस समस्याओं को ज्यादा जल्दी पहचान सकते हैं और उनका इलाज़ करके आपको परेशानी से मुक्त कर सकते हैं |
    • मुंह के परीक्षण (जिसमे होंठ, गाल, जीभ, मसूड़े, टोंसिल और गला शामिल हैं) के अलावा आपके नाक, कान और गर्दन का भी निरीक्षण किया जाना चाहिए जिससे परेशानी का कारण पता चल सके |
    • डॉक्टर या डेंटिस्ट आपकी आदतों (तम्बाकू, धूम्रपान और अल्कोहल के सेवन) और फैमिली हिस्ट्री के बारे में भी जानकारी लेंगे क्योंकि कुछ कैंसर की लिंक वंशानुगत भी होती है |
    • 40 वर्ष से अधिक आयु वाले पुरुषों को विशेषरूप से सचेत रहना चाहिए क्योंकि उन्हें मुंह के कैंसर होने की सम्भावना बहुत ज्यादा होती है |
  2. How.com.vn हिन्द: Step 2 डॉक्टर से मुंह...
    डॉक्टर से मुंह के लिए स्पेशल डाई के बारे में पूछें: मुंह और गले के परीक्षण के साथ ही कुछ डॉक्टर या डेंटिस्ट मुंह के असामान्य हिस्सों को बेहतर तरीके से देखने के लिए स्पेशल डाई का इस्तेमाल भी कर सकते हैं, विशेषरूप से अगर आप मुंह के कैंसर की हाई रिस्क में आते हैं |[११] उदहारण के लिए, एक विधि में टोलुईडीन (toluidine) नामक डाई का इस्तेमाल किया जाता है |
    • मुंह में कैन्सरग्रस्त हिस्सों पर टोलुईडीन ब्लू डाई लगाने से मुंह के रोगग्रस्त टिश्यू आस-पास के स्वस्थ टिश्यू की अपेक्षा गहरे नीले रंग में रंग जाते हैं |
    • कई बार संक्रमित या घावयुक्त टिश्यू भी डार्क ब्लू रंग में रंग जाते हैं इस्ल्लिये यह कैंसर की पुष्टि करने वाला टेस्ट नहीं हैं बल्कि इससे केवल देखने में सुविधा मिलती है |
    • कैंसर की पुष्टि के लिए एक टिश्यू के सैंपल (बायोप्सी) लेने की जरूरत पड़ती है और इसे कैंसर स्पेशलिस्ट द्वारा माइक्रोस्कोप से जांचा जाता है |
  3. How.com.vn हिन्द: Step 3 डॉक्टर से लेज़र...
    डॉक्टर से लेज़र लाइट के इस्तेमाल के बारे में पूछें: मुंह में स्वस्थ टिश्यू में से कैन्सरग्रस्त टिश्यू की पहचान करने के एक अन्य विधि है- स्पेशल लेज़र विधि | आमतौर पर, लेज़र लाइट असामान्य टिश्यू को प्रदर्शित करते हैं और ये नार्मल टिश्यू से अलग (धुंधले) दिखाई देते हैं |[१२] एक अन्य विधि है- फ्लोरोसेंट लाइट का इस्तेमाल जिसमें मुंह को एसिटिक एसिड सलूशन ( आमतौर पर विनेगर) से धोने के बाद देखा जाता है | इससे भी कैन्सरग्रस्त टिश्यू अलग दिखाई देने लगते हैं |
    • अगर मुंह में कोई असामान्य भाग होने का संदेह होता है तो आमतौर पर टिश्यू बायोप्सी कराई जाती है |
    • इसके विकल्प के रूप में, कई बार असामान्य टिश्यू की पहचान एक्स्फोलीएटीव सायटोलोजी से की जाती है, जिसमे संदेहात्मक हिस्से को एक कठोर ब्रश की मदद से खुरचकर उन कोशिकाओं को माइक्रोस्कोप से देखा जाता है |

सलाह

  • मुंह के कैंसर की रिस्क को कम करने के लिए अल्कोहल और तम्बाकू का सेवन करने से बचें |
  • ओरल कैंसर की प्रारंभिक स्टेज का पता लगाने के लिए रेगुलर डेंटल स्क्रीनिंग जरुरी होती है |
  • ओरल कैंसर के इलाज़ में आमतौर पर कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी की जाती है | कई बार कैन्सरग्रस्त हिस्सों को सर्जरी के द्वारा भी हटाना पड़ता है |
  • ओरल कैंसर होने की सम्भावना महिलाओं की तुलना में पुरुषों में दुगुनी होती है |
  • फलों और सब्जियों (विशेषरूप से गोभी प्रजाति की सब्जियां जैसे ब्रोकॉली) से भरपूर डाइट लेने से मुंह और श्वासनलिका के कैंसर होने की सम्भावना बहुत होती है |[१३]

चेतावनी

  • अग्राप्को अपने मुंह में कुछ असामान्य या पीड़ायुक्त अनुभव हो जो कुछ दिनों में ठीक न हो रहा हो तो तुरंत डॉक्टर या डेंटिस्ट को दिखाएँ |

विकीहाउ के बारे में

How.com.vn हिन्द: Chris M. Matsko, MD
सहयोगी लेखक द्वारा:
फॅमिली मेडिसिन फिजिशियन
यह आर्टिकल लिखा गया सहयोगी लेखक द्वारा Chris M. Matsko, MD. डॉ. मात्सको पेंसिल्वेनिया सिटी में एक रिटायर्ड फिजिशियन हैं। उन्होंने 2007 में टेम्पल यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन से अपनी MD की डिग्री पूरी की। यह आर्टिकल ८,०१९ बार देखा गया है।
श्रेणियाँ: स्वास्थ्य
सभी लेखकों को यह पृष्ठ बनाने के लिए धन्यवाद दें जो ८,०१९ बार पढ़ा गया है।

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