यह आर्टिकल लिखा गया सहयोगी लेखक द्वारा Anne Dunev, PhD, NP, ACN. ऐनी डुनेव एक सर्टिफाइड क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट, नेचुरोपैथिक प्रैक्टिशनर और वेल बॉडी क्लिनिक की मालिक हैं, जो लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया में एक वेलनेस क्लिनिक है। 25 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ, ऐनी हर्बल दवा, कार्यात्मक चिकित्सा, महिलाओं के स्वास्थ्य, हार्मोनल संतुलन और पाचन में माहिर हैं। ऐनी ने ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी से स्वास्थ्य विज्ञान में बीएस (BS)और प्राकृतिक चिकित्सा में पीएचडी (PHD) की है। इसके अलावा, ऐनी के पास सदर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के लिए एप्लाइड क्लिनिकल न्यूट्रिशन में पोस्ट-डॉक्टरेट सर्टिफिकेशन है। उन्होंने लंदन, यूके में कॉलेज ऑफ नेचुरोपैथिक मेडिसिन में क्लिनिकल न्यूट्रिशन, काइन्सियोलॉजी और सॉफ्ट टिशू मैनिपुलेशन पढ़ाया है। वह सन वैली, इडाहो और सेंट हिल, यूके में अंतर्राष्ट्रीय कल्याण समारोहों में एक विशेष वक्ता रही हैं। ऐनी 150 से अधिक रेडियो और टेलीविजन कार्यक्रमों में अतिथि भी रह चुकी हैं। वह "द फैट फिक्स डाइट" नामक वजन घटाने वाली किताब की लेखिका हैं।
यहाँ पर 11 रेफरेन्स दिए गए हैं जिन्हे आप आर्टिकल में नीचे देख सकते हैं।
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कॉलेस्ट्रोल को लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव लाकर तुरंत कम किया जा सकता है लेकिन अगर डॉक्टर के अनुसार इसे कम करना बहुत जरुरी हो तो कुछ दवाएं भी ली जा सकती हैं | इसे कम करने का कोई तुरंत उपाय नहीं होता लेकिन अगर आपका कॉलेस्ट्रोल लेवल बहुत ज्यादा है तो इसे कम करना जरुरी होता है | हाई कॉलेस्ट्रोल के कारण आर्टरीज ब्लॉक होने और हार्ट अटैक होने की रिस्क बढ़ सकती है |[१]
चरण
- एक्सरसाइज शुरू करें: एक्सरसाइज करने से शरीर फैट और कॉलेस्ट्रोल का सही इस्तेमाल करने लगता है | लेकिन इसके लिए जरुरी है कि एक्सरसाइज की शुरुआत धीरे-धीरे की जाए और शरीर की क्षमता से ज्यादा न की जाए | कोई भी एक्सरसाइज रूटीन शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें जिससे सुनिश्चित हो सके कि वो आपके लिए सही है या नहीं | अब समय के साथ-साथ हर दिन 30 मिनट से लेकर एक घंटे तक धीरे-धीरे एक्सरसाइज की इंटेंसिटी बढाते जाएँ | आप निम्नलिखित एक्टिविटी कर सकते हैं:
- वॉकिंग
- जॉगिंग
- स्विमिंग
- बाइकिंग
- बास्केटबाल, वॉलीबॉल या टेनिस जैसी कम्युनिटी स्पोर्ट्स टीम ज्वाइन करें
- स्मोकिंग बंद करके अपने स्वास्थ्य में तुरंत सुधार लायें: स्मोकिंग छोड़ने से कॉलेस्ट्रोल लेवल में सुधार लाया जा सकता है, ब्लड प्रेशर कम किया जा सकता है और हार्ट डिजीज, स्ट्रोक्स, कैंसर और फेफड़ों के रोग होने की रिस्क को कम किया जा सकता है | स्मोकिंग की आदत को छोड़ने के लिए निम्नलिखित चीज़ों से मदद मिल सकती है:[२][३]
- फैमिली, फ्रेंड्स जैसे सोशल सपोर्ट लें और लोकल सपोर्ट ग्रुप्स, ऑनलाइन फोरम और हॉटलाइन का सहारा लें |
- डॉक्टर से सलाह लें |
- निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी आजमायें |
- किसी एडिक्शन काउंसलर से मिलें | कई स्पेशलाइज्ड काउंसलर स्मोकिंग छोड़ने में लोगों की मदद करते हैं |
- रेजिडेंशियल ट्रीटमेंट लेने के बारे में विचार करें |
- वज़न नियंत्रित रखें: वज़न को नियंत्रित रखने से कॉलेस्ट्रोल कम रखने में मदद मिलेगी | अगर आप बहुत मोटे हैं तो अपने वज़न का 5% वज़न कम करने से कॉलेस्ट्रोल कम हो सकता है | डॉक्टर आपको वज़न कम करने की सलाह दे सकते हैं, अगर:[४][५]
- आप 35 या उससे ज्यादा इंच के कमर के घेरे वाली महिला या पुरुष हैं |
- आपका BMI (बॉडी मास इंडेक्स) 25 या उससे ज्यादा है |
- अल्कोहल कम लें अल्कोहल में कैलोरी बहुत ज्यादा और न्यूट्रीशन बहुत कम होता है: इसका मतलब यह है कि अल्कोहल लेने से मोटापे का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है | मेयो क्लिनिक अल्कोहल की निम्नलिखित मात्रा की सिफारिश करती है:
- महिलाओं के लिए प्रतिदिन एक ड्रिंक और पुरुषों के लिए प्रतिदिन दो ड्रिंक्स |
- 12 ओज (355 मिलीलीटर) बियर, 5 ओज (148 मिलीलीटर) वाइन या 1.5 ओज (44.4 मिलीलीटर) लिकौर शॉट एक ड्रिंक के बराबर होते हैं |
- आपके द्वारा कंज्यूम किये जाने वाले कॉलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करें: कॉलेस्ट्रोल उस फैट में पाया जाता है जो आपके शरीर में होता है | शरीर खुद कुछ मात्रा में कॉलेस्ट्रोल बनाता है इसलिए अगर आप खाने में इसकी मात्रा कम कर देते हैं तो इससे काफी मदद मिल सकती है | बहुत ज्यादा कॉलेस्ट्रोल होने से आर्टरीज ब्लॉक होने और हार्ट डिजीज होने की रिस्क बढ़ जाती है | हार्ट डिजीज से ग्रसित लोगों को हर दिन 200 मिलीग्राम से ज्यादा कॉलेस्ट्रोल नहीं लेना चाहिए | बल्कि, अगर आपको हार्ट डिजीज न हो तो भी 300 मिलीग्राम या इससे कम कॉलेस्ट्रोल लेना ही बेहतर होता है | ऐसा आप इन तरीकों को आजमाकर कर सकते हैं:[६][७]
- ऑर्गन मीट न खाएं | इनमे बहुत ज्यादा कॉलेस्ट्रोल होता है |
- रेड मीट न खाएं |
- फुल फैट डेरी प्रोडक्ट्स की जगह पर कम फैट वाले प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें | इनमें मिल्क प्रोडक्ट्स, दही, क्रीम और पनीर शामिल हैं |
- ट्रांस फैट और सैचुरेटेड फैट न लें: ये फैट कॉलेस्ट्रोल लेवल को बढाते हैं | हालाँकि बॉडी को बहुत थोड़ी सी मात्रा में फैट की जरूरत होती है इसलिए आप यह मात्रा मोनोसैचुरेटेड फैट्स से ले सकते हैं | आप निम्नलिखित तरीके आजमाकर अपने खाने में से अनहेल्दी फैट की मात्रा कम कर सकते हैं:[८]
- पाम ऑइल, बटर जैसी चीज़ों की जगह पर केनोला ऑइल, पीनट ऑइल और ऑलिव ऑइल जैसे मोनोसैचुरेटेड फैट का इस्तेमाल खाना पकाने में करें |
- पॉल्ट्री और फिश जैसे लीन मीट खाएं |
- आपके द्वारा खायी जाने वाली क्रीम, हार्ड चीज़, सॉसेज और मिल्क चॉकलेट की मात्रा सीमित रखें |
- कमर्शियली तैयार किये गये फ़ूड पर दिए गये इन्ग्रेडीएंट्स को जांच लें | बल्कि जिन फूड्स का विज्ञापन ट्रांस-फैट फ्री के तौर पर किया जाता है, उनमे में अक्सर ट्रांस-फैट पाया जाता है | इंग्रेडीएंट्स पढ़ें और उनमे से आंशिक हाइड्रोजनेटेड ऑयल्स पर नज़र डालें | ये ट्रांस फैट ही होते हैं | जिन प्रोडक्ट्स में आमतौर पर ट्रांस फैट पाया जाता है, उनमे शामिल हैं- मार्जरीन और कमर्शियली तैयार किये गये क्रैकर्स, केक्स और कूकीज़ | मार्जरीन में भी ट्रांसफैट पाया जाता है |
- फल और सब्जियों से अपनी भूख शांत रखें: इनमे काफी सारे विटामिन्स और फाइबर होते हैं लेकिन फैट और कॉलेस्ट्रोल बहुत कम होते हैं | हर दिन 4 से 5 सर्विंग फ्रूट्स और 4 से 5 सर्विंग सब्जियां लें | इसका मतलब है कि हर दिन लगभग 2 से 2.5 कप फल और सब्जियां दोनों लें | आप निम्नलिखित रूप से फल और सब्जियों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं:[९]
- खूब तेज़ भूख लगने पर अपने खाने की शुरुआत सलाद के साथ करें | सबसे पहले सलाद खाने से आपकी भूख उस समय तक काफी कम रह जायेगी जब आपको मीट जैसे फैटी फूड्स खाने होंगे | इससे आप अपनी डाइट का पोर्शन साइज़ कण्ट्रोल करने में मदद मिलेगी | अपनी सलाद में हरी पत्तेदार सब्जियां, खीरा, गाजर, टमाटर, अवोकेडो, संतरे और सेव जैसे फल और सब्जियां शामिल करें |
- केक्स, पाई, पेस्ट्रीज या कैंडी जैसे फैटी अल्टरनेटिव की जगह पर मिठाई के रूप में फल खाएं | अगर आप फ्रूट सलाद बना रहे हैं तो उसमे चीनी न डालें | इसकी बजाय फलों की प्राकृतिक मिठास का आनंद लें | फलों के पॉपुलर ऑप्शन्स है; आम, संतरे, सेव, केले और नाशपाती |
- ऑफिस या स्कूल जाते समय अपने साथ फल और सब्जियां ले जाएँ जिससे खाने में बीच भूख लगने पर खा सकें | एक रात पहले आप अपने बैग में गाजर छील कर रख सकते हैं, सेव और केले ले जा सकते हैं |
- हाई फाइबर फूड्स खाकर कॉलेस्ट्रोल कम करें: फाइबर कॉलेस्ट्रोल को कण्ट्रोल करने में मदद कर सकते हैं | फाइबर्स को शरीर से गंदगी को साफ़ करने वाला "प्राकृतिक झाडू" माना जाता है और यह समय के साथ धीरे-धीरे विशेषरूप से कॉलेस्ट्रोल को कम करने में मदद करते हैं | ये आपको संतुष्ट रखने में एमएसएस करेंगे जिससे आप हाई कैलोरी, हाई कॉलेस्ट्रोल वाले फूड्स कम खायेंगे | फाइबर इन्टेक बढाने का सबसे अच्छा तरीका है कि साधारण अनाज की जगह पर साबुत अनाज लेना शुरू कर दें | इसके ऑप्शन्स हैं:
- व्होल ग्रेन ब्रैड या साबुत अनाज वाले आटे की रोटी
- चोकर
- सफ़ेद चावल की जगह पर ब्राउन राइस
- ओटमील
- साबुत अनाज युक्त पास्ता (व्होल वीट पास्ता)
- डॉक्टर से सप्लीमेंट के बारे में चर्चा करें: ऐसा हर एक प्रोडक्ट्स पर संशय करें जो तुरंत कॉलेस्ट्रोल कम करने का दावा करते हों | सप्लीमेंट्स आमतौर पर मेडिकेशन के समान सख्ती से रेगुलेट नहीं किये जाते | इसका मतलब यह है कि इन पर कम टेस्ट किये जाते हैं और इनके डोज़ भी अनियमित होते हैं | हालाँकि, यह जानना बहुत जरुरी है कि ये नेचुरल हो सकते हैं और दूसरी मेडिकेशन बल्कि बाज़ार में मिलने वाली दवाओं के साथ लिए जाने पर भी इंटरेक्ट कर सकते हैं | इसीलिए, विशेषरूप से अगर आप प्रेग्नेंट हैं, स्तनपान कराती हैं या बच्चों का लालन-पालन करती हाँ तो कोई भी दवा शुरू करने से पहले जरुरी है कि डॉक्टर से सलाह ले लें | इनमे से कुछ सप्लीमेंट्स हैं;[१०][११]
- आर्टीचोक
- दलिया (ओट ब्रान)
- जौ (बार्ली)
- लहसुन
- व्हेय प्रोटीन
- सुनहरा इसबगोल
- सिटोस्टेनॉल (Sitostanol)
- बीटा-सिटोस्टेरोल
- रेड यीस्ट सप्लीमेंट लेने से बचें: कुछ रेड यीस्ट सप्लीमेंट में लोवास्टेटिन (lovastatin) पाया जाता है जो किसी मेडिकल प्रोफेशनल की देखरेख में न लेने पर खतरनाक साबित हो सकता है | इसे लेने की बजाय डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लें और सख्ती से दवा नियम का पालन करें और उचित चिकित्सीय देखरेख में रहें |
- डॉक्टर से स्टेटिन्स दवाओं के बारे में पूछें: आमतौर पर ये दवाएं कॉलेस्ट्रोल कम करने के लिए ली जाती हैं | ये लिवर में कॉलेस्ट्रोल बनने और फिर बलपूर्वक उसे ब्लड में छोड़ने की प्रोसेस को रोकती हैं | ये दवाएं आर्टरीज में ब्लॉकेज कम करने में भी मदद करती हैं | अगर आप इन्हें एक बार लेना शुरू कर देते हैं तो पूरे जीवनभर लगातार लेनी होती हैं क्योंकि अगर आप इन्हें लेना बंद कर देंगे तो कॉलेस्ट्रोल फिर से बढ़ने लगेगा | इनके साइड इफेक्ट्स में शामिल हैं; सिरदर्द, मसल्स डिसकम्फर्ट और डाइजेस्टिव प्रॉब्लम | आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली स्टेटिन्स हैं:[१२][१३]
- अटोर्वास्टेटिन (Atorvastatin) (ब्रांड नेम: लिपिटोर (Lipitor)
- फ्लुवास्टेटिन (Fluvastatin) (ब्रांड नेम: लेस्कॉल (Lescol)
- लोवास्टेटिन (Lovastatin) (ब्रांड नेम: मेवाकॉर, अल्ट्रोप्रेव (Mevacor, Altoprev)
- पिटावास्टेटिन (Pitavastatin) (ब्रांड नेम: लिवेलो (Livalo)
- प्रवास्टेटिन (Pravastatin) (ब्रांड नेम: प्रवाकॉल (Pravachol)
- रोजुवास्टेटिन (Rosuvastatin) (ब्रांड नेम: क्रेस्टर (Crestor)
- सिम्वास्टेटिन (Simvastatin) (ब्रांड नेम: ज़ोकोर (Zocor)
- डॉक्टर से बाइल-एसिड-बाइंडिंग रेजिन्स के बारे में पूछें: ये दवाएं बाइल एसिड्स को बाँध देती हैं जिनके कारण लिवर ज्यादा बाइल एसिड्स बनाने की प्रोसेस में ब्लड से कॉलेस्ट्रोल को खींच लेता है | इनमे शामिल हैं:[१४]
- कॉलेसटायरामाइड (Cholestyramine) (ब्रांड नेम: प्रेवालाइट (Prevalite)
- कॉलेसेवेलम (Colesevelam) (ब्रांड नेम: वेलकॉल (Welchol)
- कॉलेस्टिपोल (Colestipol) (ब्रांड नेम: कॉलेस्टिड (Colestid))
- दवाओं के द्वारा शरीर में कॉलेस्ट्रोल अवशोषण को रोकें: ये दवाएं पाचन के दौरान डाइट से छोटी आंत द्वारा कॉलेस्ट्रोल के अवशोषण को रोकती हैं |[१५][१६]
- एजेटीमिब (Ezetimibe) (ब्रांड नेम: ज़ेटिया (Zetia) को स्टेटिन के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है | इसे अकेला लेने कको कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होते |
- एज़ेटिमिब-सिम्वास्टेटिन (Ezetimibe-simvastatin) (ब्रांड नेम: व्योटोरिन (Vytorin) एक कॉम्बिनेशन ड्रग है जो कॉलेस्ट्रोल के अवशोषण और शरीर की कॉलेस्ट्रोल बनाने की क्षमता दोनों को कम करती है | इसके साइड इफेक्ट्स में रूप में डाइजेस्टिव प्रॉब्लम्स और मसल्स पैन होते हैं |
- अगर उचित दवाए भी काम न कर पा रही हो तो डॉक्टर से नई दवाओं के बारे में पूछें: फ़ूड और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ऐसी दवाओं को एप्रूव्ड कर चुके हैं जो महीने में एक या दो बार घर पर मरीज़ को इंजेक्ट की जा सकती हैं | ये दवाएं लिवर के द्वारा अवशोषित होने वाले कॉलेस्ट्रोल की मात्रा को बढ़ा देती हैं | ये अधिकतर हार्ट अटैक्स या स्ट्रोक्स के मरीजों और इन रोगों की हाई रिस्क रखने वाले मरीजों को दी जाती हैं | इन दवाओं में शामिल हैं:[१७]
- एलिरोकुमेब (Alirocumab) (ब्रांड नेम: प्रालुएंट (praluent)
- एवोलोकुमेब (Evolocumab) (ब्रांड नेम: रेपेथा (Repatha)
चेतवानी
- अगर आप प्रेग्नेंट हैं या आपको लगता है कि आप प्रेग्नेंट हो सकती हैं तो कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें |
- आपके द्वारा ली जा रही सभी दवाओं की जानकारी डॉक्टर को दें जिसमे डॉक्टर द्वारा लिखी गयी मेडिसिन, बाज़ार में मिलने वाली दवाएं, सप्लीमेंट और हर्बल मेडिसिन शामिल हों | डॉक्टर आपको बताएँगे कि इनमे से कोई दवा आपको नुकसान करेगी या नहीं |
रेफरेन्स
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