कैसे अतीत को पीछे छोड़ें

आर्टिकल डाउनलोड करेंआर्टिकल डाउनलोड करें

अतीत की नकारात्मक घटनाओं के कारण आपके लिए वर्तमान में जीना भी मुश्किल हो सकता है | परेशान करनेवाली यादों के कारण आपके लिए सोना या दिन गुजारना भी मुश्किल हो जाता है | आपके जीवन में कोई समय ऐसा जरूर आएगा जब आपको अपने अतीत को भूलना ही पड़ेगा, नहीं तो आपका अतीत ही आपके भविष्य की कहानी को लिखेगा और ऐसा आप कतई नहीं चाहेंगे/चाहेंगी | यह सब जानते हुए भी हम जिस तरह से सोचते हैं, बात करते हैं, या इस दुनिया को देखते हैं, उसमे हम हमेशा अपने अतीत से प्रेरित होते हैं या सच कहा जाये तो अपने अतीत को ढो रहे होते हैं | अतीत की यादों से घिरे रहने की समस्या को मैनेज करना बिना अंत का अता-पता चले किसी तनी हुई रस्सी पर चलते जाने के समान है | अगर आप घटनाओं को स्टेप-बाय-स्टेप देखें और अपने दिमाग को खुला रखें तो ये संभव है कि आप अपने अतीत को अपने अस्तित्व के एक हिस्से के रूप में स्वीकार कर सकें | आप ऐसी नकारात्मक आदतों को पीछे छोड़ सकते/सकती हैं जो आपको उन सपनों से बाँध के रखती हैं जो कभी पूरे नहीं हुए या फिर उन वादों की याद दिलाती रहती हैं जो तोड़ दिए गए थे |

विधि 1
विधि 1 का 3:

अतीत के अनुभवों के प्रभाव को स्वीकार करना

आर्टिकल डाउनलोड करें
  1. How.com.vn हिन्द: Step 1 अतीत में आपने...
    अतीत में आपने जिन चुनौतियों का सामना किया है, उन्हें स्वीकार करें: अतीत के अनसुलझे अनुभव कई बार स्थायी मानसिक और शारीरिक प्रभाव छोड़ देते हैं | ऐसे मामलों में यह महत्वपूर्ण हो जाता है आप इस बात को देख और स्वीकार सकें कि किस तरह आपके अतीत के अनुभवों का प्रभाव आपकी आज की आदतों और दुनिया को देखने के नजरिये पर पड़ रहा है |
    • एक महत्वपूर्ण पहला स्टेप ये है कि आप इस बात का दिखावा करना बंद करें कि आप अतीत की घटनाओं से प्रभावित नहीं हैं | आप अतीत से छुटकारा तबतक नहीं पा सकते/सकती हैं जबतक आप अपने अतीत के अस्तित्व को स्वीकार ना लें | अगर कोई ऐसी बात होती है जो आपको किसी ऐसी घटना की याद दिलाती है जिससे आपको काफी बुरा अनुभव हुआ था या आप जोरदार भावनात्मक प्रतिक्रिया करने के लिए प्रेरित हो जाते/जाती हैं तो शांतिपूर्ण तरीके से अपनेआप को समझाने की कोशिश करें कि वास्तव में आपके साथ क्या हुआ था और अभी क्या हो रहा है | अपने अतीत के बारे में आप जो महसूस करते/करती हैं वो अपनेआप को ठीक से महसूस करने दें | इस लेख में आगे दिए गये चरणों में आप ऐसा आसानी से कर पाने के लिए कुछ खास युक्तियाँ सीखते/सीखती हैं |
    • उदाहरण के लिए, अगर आप अपनेआप को ऐसी सामाजिक परिस्थिति में पाते/पाती हैं जिसमें आपके अंदर अतीत के लिए जोरदार भावनाएं उत्पन्न हो जाती हैं तो इन भावनाओं को दबाने की कोशिश ना करें | ऐसा करने की बजाय अपनेआप को कुछ पल दें और ग्रुप से थोड़े समय के लिए कुछ दूर हो जाएँ | इसके बाद ग्रुप को दोबारा ज्वाइन करने से पहले अतीत पर विचार करने के लिए और आपका अतीत आपके वर्तमान को किस तरह से प्रभावित कर रहा है, ये सोचने में कुछ पल जरूर बिताएं |
    • अतीत के सदमों का असर तब बहुत ज्यादा असरदार बना रह जाता है अगर वर्तमान समय में आपके पास एक मजबूत सोशल सपोर्ट नेटवर्क नहीं हो |[१]
    • कभी-कभी अतीत के अनुभवों के कारण होने वाले सदमे इतने गहरे होते हैं कि ये उन लोगों को भी प्रभावित कर देते हैं जिनकी आपको बहुत परवाह होती है |[२] अतीत के अनसुलझे अनुभव आपको उन चहेते लोगों से मजबूत रिश्ता बनाने से भी रोक देते हैं जिनकी आप सबसे ज्यादा परवाह करते/करती हैं | इनकी वजह से आप उन सपनों में खोये रहते/रहती हैं जो कभी सच नहीं हो सके | और इसका ये परिणाम हो सकता है कि आपके आज के सोचने के तरीके और आदतों पर भी असर पड़ता है, और आपकी जिंदगी की परेशानियों का सामना करने की क्षमता कम हो जाती है |[३]
  2. How.com.vn हिन्द: Step 2 इस बात को...
    इस बात को समझें कि कोई हादसा या बुरा अनुभव दिमाग को कैसे प्रभावित करता है: बेहद बुरे या विशेष रूप से मानसिक चोट पहुंचाने वाले अनुभव आपकी न्यूरोकेमिस्ट्री पर असर डालते हैं | कई बार ऐसा भी हो सकता है कि ऐसे अनुभव आपके दिमाग की बनावट पर भी प्रभाव डाल दें |
    • अगर आप ऐसा महसूस कर रहे/रही हों कि आपको “यादों से बाहर निकलना चाहिए”, तो अपनेआप को ये याद दिलाएं कि जैसा आप सोच रहे हैं, वास्तविकता उससे कहीं ज्यादा जटिल है | मानसिक आघात पहुँचाने वाली घटनाओं के अनुभव आपके दिमाग के काम करने के तरीके को बदल देते हैं | इससे उबरने में बहुत लम्बा समय लग सकता है, इसलिए अपनेआप को थोड़ी आजादी दें और धैर्य रखने की कोशिश करें |
    • न्यूरोसाइंस में हुए नए शोध से ये पता चलता है कि मनुष्य के दिमाग में कुछ “प्लास्टिसिटी” होती है | शक्तिशाली अनुभवों के बाद हमारी आनुवांशिक प्रवृतियाँ बदल सकती हैं और अप्रत्याशित तरीकों से दर्शायी जा सकती हैं |[४] दूसरे शब्दों में, आपका दिमाग बदल सकता है | आपका दिमाग वास्तव में आपके वंशाणुओं (genes) और अनुभवों का मिला-जुला प्रोडक्ट है |
    • अतीत के अनुभवों के शारीरिक और मानसिक प्रभावों से उबर पाना और उन्हें अपने जीवन में स्वीकार पाना काफी मुश्किल लग सकता है | लेकिन, आपके लिए यह याद रखना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आपका शरीर और आपका दिमाग, ये दोनों नए अनुभवों के आधार पर लगातार अपनेआप को पुनर्गठित करते रहते हैं |[५] आपका दिमाग और आपका शरीर, ये दोनों पहले भी बदले हैं और आगे भी बदलते रहेंगे | आप इस बदलाव को सकारात्मक बना सकते/सकती हैं |
  3. How.com.vn हिन्द: Step 3 इस बात को...
    इस बात को स्वीकार करें कि जो हो चुका है, आप उसे बदल नहीं सकते/सकती हैं लेकिन आप उसे किस तरह से देखते/देखती हैं, ये आप जरूर बदल सकते/सकती हैं: आप अतीत में दोबारा नहीं जा सकते/सकती हैं, लेकिन आप इसके बारे में क्या सोचते/सोचती हैं और इसे कैसे हैंडल करते/करती हैं, ये आप इस पल के बाद से जरूर बदल सकते/सकती हैं |[६] अगर आप ऐसा नहीं करते/करती हैं तो आप अपनेआप को दुख देते/देती रहेंगे/रहेंगी और आगे के नए अनुभवों में और नए रिश्तों में अतीत के कारण मिली भावनात्मक पीड़ा को ढ़ोते रहेंगे/रहेंगी |
    • यहाँ आपके प्रयत्नों का लक्ष्य अतीत को स्वीकार करना और उन लोगों को माफ़ कर देने का होना चाहिए जिन्होंने अतीत में आपका कुछ बुरा किया है |[७] अपने अतीत के विषय में आपकी चाहे जो भी भावनाएं हों, अपनेआप को उन्हें महसूस करने दें | इसके बाद इन भावनाओं को गायब होने के लिए छोड़ दें |[८]
    • जब आप अतीत के बारे में क्रोध और दुख का अनुभव करें, तो अपनेआप को ये याद दिलाएं कि इन नकारात्मक भावनाओं में अटके रहकर अंत में आप अपना ही नुकसान करेंगे/करेंगी | आप चाहे जितना भी क्रोध कर लें, उससे अतीत में जो हुआ है उसे बदला नहीं जा सकता है | इसलिए अपनी भावनाओं को स्वीकार करें और इसके बाद अपने अंदर झांककर उस प्रेम की भावना को ढूंढ निकालें जिससे आपको अतीत को भूलने और उन लोगों को माफ़ कर देने की शक्ति मिले जिन्होंने आपके साथ बुरा किया है |[९]
    • इस प्रक्रिया में समय लगेगा और हर इंसान के लिए यह अलग भी होगी | इस लेख के अन्य चरणों को इस तरह से डिजाईन किया गया है कि वो इस प्रक्रिया में सहायक हों |
    • आप सचेत मन से चाहे ऐसी कोई इच्छा ना करें लेकिन अतीत की यादों में झूलते रहने के कारण आपको समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है |
  4. How.com.vn हिन्द: Step 4 मैडिटेशन और योग का अभ्यास करें:
    ऐसी कुछ क्रियाएं हैं जो आपके लिए अतीत को भूलकर शांत होने की प्रक्रिया में सहायक हैं | इन्हें एमबॉडीड फिजिकल प्रैक्टिसेज (embodied physical practices) कहा जाता है | उदाहरण के लिए, मैडिटेशन और योग से आप मुश्किलों का डटकर सामना करने और अपनेआप को संभालने (personal coping) के कुछ असरदार तरीके सीख सकते/सकती हैं और नए तरीके विकसित भी कर सकते/सकती हैं | इन क्रियाओं से आप इस बात को समझने के लिए ज्यादा संवेदनशील हो जाते/जाती हैं कि आपकी तरह-तरह की भावनाएं किस प्रकार से आपके शरीर के भिन्न-भिन्न हिस्सों को प्रभावित करती हैं |[१०]
    • योग किसी प्रोफेशनल इंस्ट्रक्टर के गाइडेंस में सबसे अच्छी तरह से सीखा जा सकता है | अगर आपने पहले कभी योग ट्राई नहीं किया है तो आपकी कम्युनिटी में कुछ फ्री या सस्ती इंट्रोडक्टरी क्लासें उपलब्ध हैं या नहीं, ये जानने के लिए आप ऑनलाइन चेक करें | कई जगहों पर ऐसे अफोर्डेबल आप्शन मिल जाते हैं जिनका उपयोग आप योग सीखने के लिए और ये आपके लिए ठीक रहेगा या नहीं, ये जानने के लिए कर सकते/सकती हैं |
    • मैडिटेशन एक ऐसी क्रिया है जो आप आराम से अपने घर में अकेले बैठे हुए कर सकते/सकती हैं | अपने पैरों को क्रॉस की स्थिति में रखकर और अपने हाथों को अपनी गोद में रखकर किसी ऐसी जगह को ढूंढ़कर बैठ जाएँ जो आपको आरामदायक लगे | अपनी आँखें बंद कर लें और धीमे-धीमे गहरी सांसे लें | अगर आपका दिमाग इधर-उधर भटकने लगे तो आराम से अपना ध्यान वापस अपनी सांस पर लेकर आयें | किसी ऐसी सीडी (CD ) या डाउनलोड की हुई एमपीथ्री (MP3) का उपयोग करें जिससे आपको मैडिटेशन करने के लिए सही निर्देश मिलते रहें |[११]
    • इन अभ्यासों से आपको वह साइकोलॉजिकल टाइम और स्पेस मिल जाता है जिसकी जरूरत आपको अतीत के अनुभवों से जुड़ी कुछ खास भावनाओं को पहचानने के लिए होती है | ऐसा करने से वो भावनाएं आपको उन प्रभावों को नोटिस और उन्हें ठीक करने देती हैं जो उन भावनाओं के कारण आपके व्यवहार और सोचने की प्रक्रियाओं पर पड़ता है |[१२]
  5. How.com.vn हिन्द: Step 5 एक डायरी रखें:
    इस डायरी में अपनी रोजमर्रा की जिंदगी की घटनाओं के विषय में या अतीत के विषय में लिखें | जटिल भावनाओं को समझने और उनसे निपटने के लिए ये बहुत असरदार तरीके हैं |[१३]
    • किसी रात को सिर्फ उन घटनाओं की सूची बनाकर शुरुआत करें जो आपने दिनभर अनुभव की हों | आपको जबर्दस्ती उन घटनाओं को विवरणात्मक रूप में नहीं लिखना है | उन घटनाओं के विषय में दिमाग पर जोर डालकर याद ना करें | अपने दिमाग को खुला रखें और सिर्फ वो बातें लिखें जो आपको स्वभाविक रूप से याद आयें | ऐसा करने से आपको डायरी लिखना आसान लगेगा और आप डायरी लिखने की आदत भी बना सकेंगे/सकेंगी |
    • जैसे-जैसे आपको ऐसा करने की आदत पड़ती जायेगी, आपके लिए हर दिन ये काम और आसान होता चला जायेगा | इस स्थिति में पहुंचकर आप अतीत के उन अनुभवों के विषय में लिखना शुरू कर सकते/सकती हैं जो आपके राइटिंग सत्रों के दौरान आपके दिमाग में आ जाएँ |
    • अपने विचारों और एहसासों पर ध्यान दें | यहाँ यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आप कोई बढ़िया कहानी सुना सकें बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनेआप को अभिव्यक्त कर सकें |[१४]
    • डायरी लिखने की आदत से आपको अतीत की बुरी घटनाओं को स्वीकार कर सकने में सहायता मिलेगी और अब वो यादें आपकी रोजमर्रा की जिंदगी में कम दखल देंगी | एक्सप्रेसिव राइटिंग से आपको मेंटल और फिजिकल हेल्थ बेनिफिट्स मिलेंगे | इससे आप अपनी भावनाओं को सही तरीके से नियंत्रित कर सकेंगे/सकेंगी और आपके बिगड़े हुए स्लीप पैटर्न भी सुधर जायेंगे |[१५]
    • इस तरह के भावनात्मक काम में कुछ समय लग सकता है और इसके लिए आपको अपने अंतर्मन में झांकना भी पड़ सकता है, लेकिन अगर यह प्रक्रिया आप अपनेआप होने दें तो यह काम काफी प्रोडक्टिव भी हो सकता है |
  6. How.com.vn हिन्द: Step 6 दूसरे लोगों के साथ भी कुछ समय बिताएं:
    अतीत के उलझे हुए अनुभवों के कारण कई बार अपनी जिंदगी में आने वाले नए लोगों पर विश्वास कर पाना लगभग असंभव सा हो जाता है | लोगों के साथ हेल्दी रिलेशनशिप बनाना भी बहुत मुश्किल हो जाता है | फिर भी, मजबूत सोशल सपोर्ट सिस्टम वह सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर है जिसके होने पर अतीत के बहुत बुरे अनुभवों के बुरे प्रभावों को मिटा कर आपके तन और मन को स्वस्थ किया जा सकता है |[१६]
    • यह महत्वपूर्ण है कि दूसरे लोगों से घिरे रहने पर आप भयभीत महसूस करने की बजाय सपोर्टेड महसूस करें, इसलिए सबसे पहले लोगों से घुलने-मिलने की प्रक्रिया की धीमी शुरुआत करें, जैसे किसी नए व्यक्ति के साथ कॉफ़ी के लिए मिलकर |
    • अगर आप वालंटियर की तरह काम करें तो दूसरे लोगों के साथ दोबारा सहज बन पाने के लिए यह तरीका काफी अच्छा रहेगा | ऐसा करने से आप अपनी कमजोरियों (vulnerabilities) को ठीक से समझ सकेंगे/सकेंगी क्योंकि आप बहुत सारे दूसरे लोगों को भी उनकी कमजोरियों को ढ़ोते हुए देखेंगे/देखेंगी |
  7. How.com.vn हिन्द: Step 7 प्रोफेशनल हेल्प पाने की कोशिश करें:
    अगर आप कभी भी पूरी तरह से पराजित, या एकदम लाचार महसूस करें तो प्रोफेशनल हेल्प लेने से ना झिझकें | अगर ऊपर दिए गए चरणों का अनुसरण करने पर भी आप जिन परेशानियों से जूझ रहे/रही हैं वो दूर ना हो या स्थिति में कुछ भी सुधार ना हो तो किसी काउंसलर या थेरेपिस्ट से जरूर बात करें |[१७]
    • कई बार ऐसा भी होता है कि अतीत के अनुभव इतने बुरे होते हैं कि आप मानसिक और शारीरिक रूप से एकदम दुर्बल हो जाते/जाती हैं | ऐसे में किसी ऐसे एक्सपर्ट से मदद लेना बहुत जरूरी हो जाता है जिसने आपकी ही तरह की समस्याओं को झेल चुके बहुत सारे लोगों की पहले भी मदद की हो | काउंसलरों और चिकित्सकों का यही काम है |
    • अगर आपको ये नही पता हो कि किसी काउंसलर या थेरेपिस्ट को कैसे कांटेक्ट करना है तो अपने प्राइमरी केयर डॉक्टर से संपर्क करें और वो आपको सही थेरेपिस्ट/काउंसलर के पास जरूर भेज देगा |
    • किसी मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल को कुछ बार विजिट करने का जो खर्च होगा वो आपकी इन्स्योरेंस पालिसी से मैनेज किया जा सकता है | इस विषय में ज्यादा पता करने के लिए अपनी पालिसी डिटेल्स को चेक करें |
विधि 2
विधि 2 का 3:

नयी आदतें विकसित करना

आर्टिकल डाउनलोड करें
  1. How.com.vn हिन्द: Step 1 अपने सोशल सर्किल को आंकें:
    उन दोस्तों का साथ छोड़ देने के विषय में विचार करें जो बार-बार आपका ध्यान आपके अतीत की तरफ ले जाते हों | जिस सामाजिक परिवेश में हम रहते हैं, वो यह परिभाषित करने में एक अहम भूमिका निभाता है कि हम कौन हैं |[१८]सामाजिक परिवेश का असर इस बात पर भी पड़ता है कि हम अपने अतीत के बुरे/उलझे हुए अनुभवों को अपने वर्तमान जीवन में किस तरह स्वीकार करते हैं |
    • उन लोगों के विषय में सोचते हुए कुछ समय बिताएं (या अपनी डायरी में कुछ लिखें) जो आपके आसपास हमेशा रहते हैं | आप यह भी सोचे कि ये लोग जब आपके आसपास रहते हैं तो आप कैसा महसूस करते/करती हैं | अगर आपके जीवन से कुछ ऐसे लोग जुड़े हुए हैं जो आपको बुरा महसूस कराते हैं या आपको नकारात्मक आदतों को अपनाने की सलाह देते रहते हैं तो ऐसे लोगों के साथ कम-से-कम समय गुजारा करें |
    • उदहारण के लिए, ऐसे लोग जो लगातार आपको नीचा दिखाने में लगे रहते हैं, उन्हें आपकी जिंदगी में शामिल रहने का कोई अधिकार नहीं है | आपके वो दोस्त जो आपके लिए अपने अतीत के बुरे अनुभवों को स्वीकार कर जीवन में आगे बढ़ने के लिए किये गए प्रयत्नों को विफल करने की कोशिश में लगे रहते हैं, उनसे आप दूरी बना लें तो ज्यादा अच्छा है | नए दोस्त बनाने के विषय में विचार करें, या कम-से-कम स्थिति में कुछ बदलाव जरूर लायें |
    • यह आपके लिए आसान तो नहीं होगा, लेकिन आपको आपके कम्फर्ट जोन से बाहर निकालकर एक सामान्य इंसान के रूप में जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए एक सहायक कदम सिद्ध होगा |
    • नए साथियों के साथ नयी रुचियों में मन लगाना एक बढ़िया विचार है | जब आप तैयार हों, तो अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलकर लोकल स्पोर्ट्स टीम या आर्ट क्लास ज्वाइन कर लें | आपको धीरे-धीरे अपनी जिंदगी में कुछ नयी दिशाएँ मिलेंगी और ऐसी चीजें होंगी जो शायद किसी और तरीके से आपको संभव नहीं लगी होंगी |
  2. How.com.vn हिन्द: Step 2 जो दोस्त आपको...
    जो दोस्त आपको सपोर्ट करते हैं, उनके प्रति कृतज्ञता का भाव दिखाएँ: जो लोग आपको स्वीकृति और सम्मान नहीं देते हैं, उनके बारे में सोचकर अपनेआप को दुखी ना करें | इसकी बजाय, उन लोगों पर ध्यान केन्द्रित करें जो हमेशा आपका साथ देते हैं | उन्हें ये जरूर बताएं कि उनकी मदद के लिए आप उनके प्रति कृतज्ञता का भाव रखते/रखती हैं |[१९]
    • आपका ध्यान नकारात्मक बातों की तरफ नहीं जाए, ये मुश्किल है | लेकिन, आपके वो दोस्त जो आपको सपोर्ट करते हैं, वो आपका ध्यान और समय पाने के अधिकारी हैं |
    • ऐसे समय में करीबी दोस्तों से नजदीकी बनाकर रखें | अगर आपके आसपास लोगों की एक सहायक कम्युनिटी हो तो आप मजबूत बने/बनी रहेंगे/रहेंगी | इस तरह से जब भी आप अतीत के उलझनों से भरे अनुभवों या जटिल भावनाओं से जूझेंगे/जूझेंगी, आप अपनेआप को कमजोर और अकेला/अकेली नहीं बल्कि कांफिडेंट महसूस करेंगे/करेंगी |
    • जब आप ऐसा महसूस करें कि आप फिसल रहे/रही हैं तो किसी ऐसे व्यक्ति के साथ समय बिताने की कोशिश करें जिसपर आपको भरोसा हो और जो आपको सही राह पर चलने में मदद दे सकने में सक्षम हो |[२०]
    • अगर आपको ऐसा महसूस हो रहा हो कि आप दोबारा किसी बुरी आदत के चक्कर में फंसने वाले/वाली हैं या आप निराशा की कगार पर हैं, तो किसी विश्वसनीय मित्र को कॉल करें और उससे आपसे कॉफ़ी पर मिलने के लिए या आपके घर की तरफ चक्कर लगाने के लिए कहें | अगर कोई करीबी आपके पास होगा तो आप मजबूत महसूस करेंगे/करेंगी | मुश्किल के समय में आप इस तरीके को अपना सकते/सकती हैं |
  3. How.com.vn हिन्द: Step 3 सिस्टेमेटिक डीसेंसिटाइजेशन ट्राई करें:
    यह संभावित दुखदायी परिस्थितियों में लोगों को धीरे-धीरे रिलैक्सेशन तरीकों का प्रयोग करते हुए कष्ट से राहत देने की प्रक्रिया है | इसका लक्ष्य ये है कि आप ऐसी परिस्थितियों में अपनेआप को डालकर एक्सपेरिमेंट करते हुए धीरे-धीरे ऐसी अवस्थाओं में सहज रहना सीख सकें |[२१]
    • यह एक ऐसा तरीका है जिससे आप ऐसी अवस्थाओं में सहज रहना सीख सकते/सकती हैं जिनमे आपको सबसे ज्यादा परेशानी और बेचैनी होती है |
    • शुरुआत बेसिक रिलैक्सेशन तरीकों को सीखकर करें, जैसे डीप ब्रेदिंग एक्सरसाइज या मैडिटेशन | इसके बाद अपनेआप को ऐसी अवस्थाओं में रखें जो आपको उन अवस्थाओं की याद दिलाती हों जब आप काफी असहज महसूस करते/करती हों | अब आपने शांत रहने के लिए जो रिलैक्सेशन तरीके सीखे हों उनका प्रयोग करें |
    • अपनेआप को थोड़े-थोड़े समय के लिए तनावपूर्ण अवस्थाओं में रखकर शुरुआत करें | इस प्रक्रिया में सफलता पाने की कुंजी ये है कि आप अपनेआप पर दबाव डालने की बजाय उस गति के साथ आगे बढ़ें जिसमें आप सहज महसूस करें | आख़िरकार आप अपनेआप को ऐसी स्थितियों में सहज रख पाने में सक्षम हो जायेंगे/जाएँगी जिनमे अभी आप असहज महसूस करते/करती हैं |
    • उदाहरण के लिए, कल्पना कीजिये कि किसी दुष्ट कुत्ते ने आपके ऊपर आक्रमण किया था और आपको बहुत ही ज्यादा बुरी तरह से नोच डाला था | इसके बाद आप शायद किसी भी कुत्ते से दूर रहने की कोशिश करेंगे/करेंगी | इससे उबरने के लिए आप किसी भरोसेमंद दोस्त के पास जा सकते/सकती हैं जिसके पास कोई ऐसा कुत्ता हो जिसके बारे में आपको पता हो कि वो फ्रेंडली है | अपने दोस्त के घर एक शार्ट विजिट के लिए जाने से पहले और विजिट के दौरान रिलैक्सेशन के तरीकों का अभ्यास करें | उस दोस्त के घर अक्सर जाया करें और हर बार वहां रुकने का समय पहले से थोड़ा बढ़ा दें | यह शुरू-शुरू में मुश्किल हो सकता है लेकिन अगर आप ऐसे कुत्ते के साथ कुछ समय बिता लेते/लेती हैं जो बिलकुल भी आक्रामक नहीं है तो कुत्ते के आक्रमण के विषय में सोचकर आपको जो डर लगता है वो ख़त्म हो सकता है |
  4. How.com.vn हिन्द: Step 4 अपनी डर वाली...
    अपनी डर वाली भावनाओं से लड़ें और अपनी आदतों को बदलें: कभी-कभी हम ऐसी आदतें बना लेते हैं जो हमें अतीत के बुरे/उलझे हुए अनुभवों का सामना करने और उनसे उबरने से रोकती हैं | ये आदतें हमें इन अनुभवों से मिली सीख को अपने आज के निर्णयों में समाहित करने से भी रोकती हैं |[२२] इन प्रभावों/सीखों को स्वीकार करने का एक मतलब इन आदतों को छोड़ने और अपने अनुभवों का सामना करना भी है |
    • चलिए हम कुत्ते के डर वाले उदाहरण को ही लेकर चलते हैं | अगर आपके ऊपर कुत्ते का आक्रमण हुआ है तो आप शायद किसी को कुत्ते को लेकर घूमते हुए देखने पर गली को क्रॉस कर जाने की आदत बना सकते/सकती हैं | आप बिना सोचे ही अपनेआप ऐसा करते/करती हैं और उस समय अपनेआप को सुरक्षित भी महसूस करते/करती हैं | थोड़े समय के लिए भले ही ऐसा करने से आपकी बेचैनी कम हो जाती हो लेकिन अगर आप भविष्य के बारे में सोचे तो ऐसा करते रहने से आप कभी भी कुत्ते के आक्रमण के डर से उबर नहीं सकेंगे/सकेंगी | चलिए ये बात भी छोड़ दीजिये, लेकिन फिर भी, यह आपके लिए एक असुविधाजनक काम तो है ही | इसलिए ऐसी स्थिति में आपको इस आदत को छोड़ने की कोशिश करनी चाहिए | आपको कुत्तों के आसपास घूमने की जरूरत नहीं है लेकिन अगर कोई कुत्ता आता हुआ दिखे तो गली क्रॉस करने की जरूरत भी नहीं है | जब आप ये आदत छोड़ के सहज महसूस करने लगें तो फिर आप अजनबी व्यक्ति से थोड़ी देर के लिए उसके कुत्ते की देखभाल करने की प्रार्थना भी कर सकते/सकती हैं | धीरे-धीरे आप उस बुरी घटना को भूलने लगेंगे/लगेंगी |
    • सिस्टेमेटिक डीसेंसिटाइजेशन से आपको प्रतिकूल (counterproductive) आदतों को बदलने में सहायता मिलेगी |
    • कभी-कभी हम ये महसूस नहीं कर पाते हैं कि बुरे अनुभवों ने हमें कितना बदल दिया है | हम इन बदलावों को नजरअंदाज करने की अपनी रोज की आदत बना लेते हैं | अपने व्यवहार में आये परिवर्तनों के बारे में जानने का सबसे अच्छा तरीका ये है कि हम अपने किसी भरोसेमंद जान-पहचान वाले से पूछें कि उसे हमारे व्यवहार में कुछ अजीब सा बदलाव तो नहीं महसूस हो रहा है | अक्सर दूसरे लोग उन परिवर्तनों को नोटिस कर लेते हैं जो हम खुद नोटिस नहीं कर पाते हैं |[२३]
    • उदाहरण के लिए, किसी ब्रेकअप के बाद आप अपने बेस्ट फ्रेंड से पूछ सकते/सकती हैं: “जब से मेरा मेरे गर्लफ्रेंड/बॉयफ्रेंड से ब्रेकअप हुआ है, तब से क्या मै कुछ अजीब सा व्यवहार कर रहा/रही हूँ” |
  5. How.com.vn हिन्द: Step 5 अपने व्यवहार को...
    अपने व्यवहार को ट्रैक करने के लिए एक लिस्ट बनाएं: बैठ जाएँ और उन सभी मौकों की एक लिस्ट बनायें जब आपने कुछ इसलिए नहीं किया था क्योंकि या तो आपको किसी बात का भय था, या आप असहज नहीं महसूस करना चाहते/चाहती थे/थीं | आपको ये जानने की जरूरत भी नहीं है कि उस समय आपको किस बात का भय था | कभी-कभी अतीत के अनुभवों के बारे में सिर्फ लिख लेने का तरीका उन अनुभवों से उत्पन्न भावनाओं का अच्छी तरह से व्यक्त होने का बहुत अच्छा तरीका सिद्ध होता है |
    • अगर आपके आसपास आपका ऐसा कोई अच्छा दोस्त नहीं हो जिससे आप अपने व्यवहार के विषय में पूछ सकें तो यह तरीका बहुत अच्छा है |
    • जैसे ही आपके विचारों का प्रवाह शुरू हो, आप भविष्य में इन स्थितियों में सहज रहने के नए तरीकों के विषय में सोचना शुरू कर दें |
    • उदाहरण के लिए, कल्पना कीजिये कि आपकी लिस्ट से ये साफ़ तौर पर पता चलता है कि आप दोस्तों के साथ बाहर घूमने में संकोच करते/करती हैं | ऐसे में आप अपने दोस्तों को अपने घर पर बुलाएँ ताकि स्थिति पर आपका थोड़ा ज्यादा नियंत्रण हो सके | शायद आपको सबसे पहले उन दोस्तों को बुलाना चाहिए जो आपके सबसे ज्यादा करीब हैं | और इसके बाद जब आपके ये दोस्त कुछ बार आपके घर आ चुके हों तो उनसे कहें कि अब वो ऐसे लोगों को अपने साथ ले आया करें जिनसे आप ठीक से परिचित नहीं हैं |
    • ऐसा धीमी गति से करें और उन लोगों से मदद मांगने में हिचके नहीं जिनपर आपको भरोसा हो | अगर आप धीरे-धीरे आगे बढ़ें तो आप अतीत के सबसे ज्यादा नकारात्मक अनुभवों के प्रभाव/सीख को भी अपनी जिंदगी में स्वीकार सकते/सकती हैं |
    • अगर आप अपनेआप को धीरे-धीरे वैसी स्थितियों में रखें जिनमे आप अतीत में काफी असहज रहे/रही हों तो आपकी असामान्य आदतें धीरे-धीरे छूट सकती हैं | इसके बाद आप अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ नयी, अच्छी आदतों को शामिल कर सकते/सकती हैं |
विधि 3
विधि 3 का 3:

बुरे दौर का सामना करना

आर्टिकल डाउनलोड करें
  1. How.com.vn हिन्द: Step 1 परेशान करनेवाली चीजों को दूर रखें:
    बुरे दौर में अगर आप ऐसी चीजों को किसी बॉक्स में बंद करके रख दें जो आपको अतीत की उलझनों से भरी बातों की याद दिलाती हों तो आपको काफी मदद मिलेगी | एक बड़ा बॉक्स लें और इसमें ऐसी हर चीज को डाल दें जो आपको किसी पुराने असफल रिश्ते की याद दिलाती हों, या किसी ऐसी नौकरी की याद दिलाती हों जो आपने दुखी होकर छोड़ी थी | कोई भी ऐसी भौतिक चीज जो आपको अतीत के दुखदायी अनुभवों की याद दिलाये, इस बक्से में बंद हो जानी चाहिए |
    • जब कुछ समय गुजर जाए, तब आपको ये निर्णय ले लेना चाहिए कि ये बॉक्स रखा जाना चाहिए या फेंक दिया जाना चाहिए | दोनों ही स्थितियों में आप इस बॉक्स की चीजों के विषय में ये हल निकाल रहे होते/होती हैं कि ये आगे आपको और प्रभावित नहीं कर सकती हैं |
  2. How.com.vn हिन्द: Step 2 अपने एहसासों को...
    अपने एहसासों को लिखें या उन्हें जोर-जोर से बोल के व्यक्त करें: अपनी भावनाओं और अतीत के बुरे अनुभवों को शब्द और नाम देकर आप उन्हें ज्यादा वास्तविक बना सकते/सकती हैं | ऐसा करके आप अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकेंगे/सकेंगी |
    • उदहारण के लिए, आप अपने अतीत से जुड़े किसी ऐसे व्यक्ति को एक लैटर लिख सकते/सकती हैं जिसने आपको चोट पहुंचाई हो या आपके साथ किसी कष्टदायक घटना का अनुभव किया हो | अतीत से जुड़े ऐसे लोगों को शामिल करने से आपको मदद मिलेगी, चाहे वो बातचीत के लिए वास्तव में उपस्थित नहीं हों |[२४]
    • आप गद्य या पद्य लिख सकते/सकती हैं | आप ऐसा कोई भी काम कर सकते/सकती हैं जिससे आपने अतीत के अनुभवों से उत्पन्न जिन भावनाओं को अपने मन में दबा रखा है, वो मुक्त हो सकें | इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि जो शब्द आपके दिमाग में आ रहे हैं वो कितने भयानक हैं | आप बस शब्दों को बाहर निकलने दें |
  3. How.com.vn हिन्द: Step 3 सोच-विचारकर निर्णय लें:
    जब आप अपनेआप को स्वस्थ कर रहे/रही हों तो उन बातों के विषय में सावधान रहें जो आपको वापस पुरानी आदतों की तरफ आकर्षित कर सकती हैं | इसमें ऐसे किसी व्यक्ति के कांटेक्ट में दोबारा आना भी शामिल है जिसने अतीत में आपको चोट पहुंचाई हो | कभी-कभी कोई मूवी भी आपके लिए किसी ट्रिगर की तरह काम कर सकती है |
    • जब आप ऐसी स्थितियों में हों तो ऊपर बताये गए तरीकों का प्रयोग करें | आदतन होने वाली प्रतिक्रियाओं पर सक्रिय रूप से अंकुश लगाने की कोशिश करें और अपनेआप को चीजें नए तरीकों से करने के लिए चुनौती दें |
    • इसका मतलब यह भी है कि आपको जल्दीबाजी में ऐसे निर्णय नहीं लेना चाहिए जिनके बारे में सोचकर आपको बाद में पछतावा हो| उदाहरण के लिए, अपने परिवार के किसी सदस्य से संबंध तोड़ने से पहले या किसी को गुस्से से भरा पत्र भेजने से पहले 100 बारे सोचे | कुछ ऐसा छोड़ने से पहले जो आप लंबे समय से कर रहे/रही हों, जैसे आपकी जॉब, आप काफी सोच-विचार करें | शुरू-शुरू में इस अभ्यास का उद्देश्य बस यही होता है कि आप शांत रहें और समझ-बूझ के साथ निर्णय लें, लेकिन आगे चलकर इस अभ्यास से आप जीवन में सही-गलत राहों का चयन करने लगेंगे/लगेंगी |
    • किसी थेरेपिस्ट या मेंटल हेल्थ काउंसलर को विजिट करने से आपको काफी मदद मिल सकती है | वो आपको ऐसी सलाहें दे सकेंगे जिससे आपको नकारात्मक भावनाओं को उत्पन्न करनेवाले बुरे अनुभवों का सामना करने की शक्ति मिलेगी |
    • बुरे दौरों में ये याद रखें कि आपको आने वाले कल के विषय में सोचना है | आपका लक्ष्य एक अच्छे भविष्य के निर्माण का होना चाहिए जिसपर अतीत की बुरी घटनाओं और बुरी आदतों का साया ना पड़ सके |
  4. How.com.vn हिन्द: Step 4 बदलाव लाने की...
    बदलाव लाने की प्रक्रिया धीमे-धीमे पूरी करें लेकिन उत्तरदायित्व के साथ पूरी करें जरूर: रातोंरात बदलाव आने की आशा ना करें | सबसे अच्छे परिणाम पाने के लिए आपको अपनेआप को समय और स्पेस देना पड़ेगा |
    • हर व्यक्ति अलग-अलग गति से स्वस्थ होता है | अगर आप ऐसा सोचना शुरू कर दें: "अभी तक मुझे इन यादों से उबर जाना चाहिए था", तो इस सोच को इस बात से बदल दें: "मैंने प्रगति की है और आगे भी करता/करती रहूँगा/रहूँगी" |

सलाह

  • कुछ नुकसान हमेशा के लिए नहीं होते हैं | बहुत सारी ऐसी खुशियाँ या चीजें जो आपको बचपन में नहीं मिल सकी हैं, व्यस्क होने पर भी मिल सकती हैं | आप चाहे बड़े/बड़ी हो गए/गयी हैं फिर भी आप कॉमिक पुस्तकों, गुड़ियों, या जो भी आपने बचपन में मिस कर दिया है, उसका आनंद उठा सकते/सकती हैं | आप उस पॉइंट तक विकास कर सकते/सकती हैं जहाँ बचपन की तरह ही तरह-तरह की चीजों के प्रति आप आश्चर्य व्यक्त कर सकें, चाहे आपको बचपन में ऐसा करने का मौका मिला हो या नहीं |
  • हमेशा अपनेआप में विश्वास करें | कभी भी ऐसी बातों पर ध्यान ना दें जिनसे आपको नीचा महसूस हो |
  • हमेशा सकरात्मक रहें और पुरानी असफलताओं की जगह आज जो प्रगति आप कर रहे/रही हैं, उसपर ध्यान दें |

चेतावनी

  • अतीत को वर्तमान में विकास नहीं कर पाने के लिए एक बहाने के रूप में प्रयोग ना करें | जब आपके जीवन में बातें उस तरह से ना हों जैसा आप चाहते/चाहती हैं तो अतीत में चीजें कितनी अच्छी थी ऐसा सोचने और बोलने की बजाय वर्तमान की असफलताओं के कारणों का पता कर के स्थिति को सुधारने की कोशिश करें | आप एक प्रगतिशील, क्रिएटिव, परिस्थिति के अनुसार ढल जाने वाले/वाली मनुष्य हैं जो अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए नए चयन कर सकता/सकती है | लेकिन, अगर आप अपनी वर्तमान स्थिति की तुलना अतीत से करें तो आपकी प्रगति में बाधा उत्पन्न हो सकती है |
  • दुखद बचपन होना कोई ऐसी बात नहीं है जो सिर्फ आपके साथ हुई है | इसे लगातार अपनी स्थिति को बेहतर नहीं बना पाने का बहाना बनाने से आपका ही नुकसान होता रहेगा | इससे अतीत के उलझे हुए अनुभवों के प्रभाव से मुक्त हो पाने की आपकी क्षमता पर बुरा असर पड़ेगा | आपके दुखद बचपन में जो कुछ भी हुआ उसे गलत या बुरा समझकर स्वीकार कर लें लेकिन अपने तन और मन को स्वस्थ बनाने की कोशिश जरूर करें | इसके लिए अगर थेरेपी की जरूरत हो तो थेरेपी जरूर करवाएं लेकिन आपकी एक खुशहाल जिंदगी जी सकने की जो वर्तमान संभावनाएं हैं, उन्हें ख़त्म ना करें | अगर आप अपने वर्तमान अवसरों को खो देते हैं तो आपके अतीत के भूत आपका पीछा कभी नहीं छोड़ेंगे |

संबंधित लेखों

रेफरेन्स

  1. Mock, S. E., & Arai, S. M. (2011). Childhood trauma and chronic illness in adulthood: mental health and socioeconomic status as explanatory factors and buffers. Developmental Psychology, 1, 246. http://doi.org/10.3389/fpsyg.2010.00246
  2. Van der Kolk, B. (2014). The Body Keeps the Score: Brain, Mind, and Body in the Healing of Trauma (1 edition). New York: Viking.
  3. Sparrow, T. (2011). Ecological Necessity. Thinking Nature, 1. Retrieved from http://issuu.com/naughtthought/docs/ecological_necessitybytomsparrow
  4. Changeux, J.-P. (2012). Synaptic Epigenesis and the Evolution of Higher Brain Functions. In P. S. Corsi & Y. Christen (Eds.), Epigenetics, Brain and Behavior (pp. 11–22). Springer Berlin Heidelberg. Retrieved from http://link.springer.com/chapter/10.1007/978-3-642-27913-3_2
  5. Malabou, C. (2012). The New Wounded: From Neurosis to Brain Damage. (S. Miller, Trans.) (1 edition). New York: Fordham University Press.
  6. http://www.restorativejustice.org/articlesdb/articles/1273
  7. http://www.restorativejustice.org/articlesdb/articles/1273
  8. http://sayw.com/articles/how-to-accept-your-past-and-move-on
  9. https://www.psychologytoday.com/blog/happiness-in-world/201002/how-forgive-others
  1. NurrieStearns, M., & NurrieStearns, R. (2013). Yoga for Emotional Trauma: Meditations and Practices for Healing Pain and Suffering (1 edition). Oakland, CA: New Harbinger Publications.
  2. http://theconsciouslife.com/how-to-meditate-a-guide-for-beginners.htm
  3. Siegel, D. J. (2010). Mindsight: The New Science of Personal Transformation (Reprint edition). New York: Bantam.
  4. D’Mello, S., & Mills, C. (2014). Emotions while writing about emotional and non-emotional topics. Motivation & Emotion, 38(1), 140–156. http://doi.org/10.1007/s11031-013-9358-1
  5. https://www.psychologytoday.com/blog/brain-babble/201208/turning-trauma-story-the-benefits-journaling
  6. https://www.psychologytoday.com/blog/brain-babble/201208/turning-trauma-story-the-benefits-journaling
  7. http://trauma-recovery.ca/recovery/building-a-support-system/
  8. http://www.rcpsych.ac.uk/healthadvice/problemsdisorders/copingafteratraumaticevent.aspx
  9. Casey, E. S. (2009). Getting Back into Place, Second Edition: Toward a Renewed Understanding of the Place-World (Second Edition edition). Bloomington: Indiana University Press.
  10. http://www.huffingtonpost.com/gloria-horsley/8-things-you-can-do-to-ta_b_5673735.html
  11. http://www.traumasurvivorsnetwork.org/traumapedias/772
  12. http://www.simplypsychology.org/Systematic-Desensitisation.html
  13. Duhigg, C. (2014). The Power of Habit: Why We Do What We Do in Life and Business (Reprint edition). New York: Random House Trade Paperbacks.
  14. Merleau-Ponty, M., & Edie, J. M. (1964). The Primacy of Perception: And Other Essays on Phenomenological Psychology, the Philosophy of Art, History and Politics. Northwestern University Press.
  15. Johnson, W. R., & L, W. (1997). Gestalt empty-chair dialogue versus systematic desensitization in the treatment of a phobia. Gestalt Review, 1(2), 150–162.

विकीहाउ के बारे में

How.com.vn हिन्द: Catherine Boswell, PhD
सहयोगी लेखक द्वारा:
लाइसेंसधारी मनोविज्ञानी
यह आर्टिकल लिखा गया सहयोगी लेखक द्वारा Catherine Boswell, PhD. डॉ कैथरीन बोसवेल एक लाइसेंसधारी साइकोलॉजिस्ट और हॉस्टन, टेक्सास स्थित सिनर्जी साइकोलॉजिकल एसोसिएट्स नामक एक प्राइवेट थेरेपी प्रैक्टिस की सह-संस्थापक हैं | अपने 15 वर्षों के अनुभव के साथ ही डॉ बोसवेल ट्रॉमा, रिलेशनशिप, दुःख और लम्बे समय से चले आ रहे दर्द के इलाज़ में विशेषज्ञ हैं | इन्होनें यूनिवर्सिटी ऑफ़ हॉस्टन से काउंसलिंग साइकोलॉजी में Ph.D. की डिग्री हासिल की है | डॉ बोरवेल हॉस्टन यूनिवर्सिटी में मास्टर लेवल के स्टूडेंट्स को भी पढ़ाती हैं | ये लेखिका, स्पीकर और कोच भी हैं | यह आर्टिकल २२,८२६ बार देखा गया है।
श्रेणियाँ: स्वास्थ्य
सभी लेखकों को यह पृष्ठ बनाने के लिए धन्यवाद दें जो २२,८२६ बार पढ़ा गया है।

यह लेख ने कैसे आपकी मदद की?