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विनोदप्रियता, अपनी बुद्धिमता एवं ज्ञान से लोगों का दिल बहलाने एवं बातचीत को जीवंत बनाने की एक उत्तम विधि है। यह इश्कबाज़ी का भी एक प्रभावकारी साधन हो सकता है। सभी लोग ऐसे व्यक्ति के साथ रहना चाहते हैं जो विनोदप्रिय हो और यह और भी अधिक प्रभावी हो जाता है जब आप इतने विनोदप्रिय हो जाएँ कि सामने वालों को भी यह लगने लगे कि वे भी विनोदशील हैं।
- ध्यान से सुनिए: किसी की बात ध्यान से सुनने से शुरुआत करें और फिर उसको अपने शब्दों में दोहराएँ। इससे लगता है कि न केवल आपने उनके विचारों को परिष्कृत किया है बल्कि वास्तव में उन का विवेचन भी किया है।
- हालांकि विनोदप्रिय होने पर आप उनके शब्दों को किसी और ही प्रकार से दोहराएंगे – किसी और ही चीज़ से तुलना करेंगे, आदर्श रूप से किसी ऐसी चीज़ से जिससे आप और बातचीत का साथी दोनों ही परिचित हों।
- आप उनके वक्तव्य की तुलना किसी और चीज़ से करके यह “समझाएँगे” कि आप उनकी बात समझ गए हैं। आप जितना अधिक पढे लिखे होंगे, जितनी अधिक वह “कोई और चीज़” होगी जिसे आप जानते हों, जितनी अधिक तुलनाएँ आप कर सकेंगे, उतने ही अधिक विनोदप्रिय आप होंगे।
- विशद सृजनात्मक अतिशयोक्ति का प्रयोग करें: इससे न केवल आपकी विनोदप्रियता को एक मंच मिलेगा बल्कि यह बहस का मुद्दा भी हो सकता है।
- मान लेते हैं कि आपका मित्र आपको बता रहा है कि उसकी शिक्षक कितनी भेंगी है। आप प्रतिउत्तर में कह सकते हैं कि, “वह इतनी भेंगी है कि जब वह रोती है तो उसके आँसू उसकी पीठ पर बहते हैं!”
- द्विअर्थी शब्दों का प्रयोग करें: कोई भी ऐसा शब्द या मुहावरा चुन लें जिसका दूसरे व्यक्ति ने हाल ही में उपयोग किया हो, और उसे दूसरी तरह से प्रयोग करें जो कि अब भी बातों मे ठीक बैठ सके।
- पिछले कदम से ही एक उदाहरण लेते हैं: “....आंसुओं का पीठ पर बहना”। यदि आप विनोदशील होना चाह रहे हैं और पास में कोई स्टेथोस्कोप पड़ा हो तो, क्योंकि आप तो हमेशा स्टेथोस्कोप लेकर ही चलते हैं, उसे उठाइये और डॉक्टर की नकल करते हुये कहिए, “स्पष्ट रूप से बैक्टीरिया का मामला है!”
- और अगर आपको कहना पड़ता है “समझ में आया क्या..... बैक-टियर-इया” तब आपको अपना कहने का तरीका सुधारने की आवश्यकता है।
- विनोदशीलता का अर्थ है कि संदर्भ स्पष्ट रहना चाहिए। यदि बातचीत में कोई चिकित्सकीय संदर्भ नहीं होगा तो यह उत्तर बिलकुल असंगत होगा और न ही विनोदशील।
- आप वाक्य का कोई एक शब्द भी ऐसे प्रयोग कर सकते हैं कि उसका एक से अधिक अर्थ भी प्रासंगिक लगे।
- शेक्सपियर और औसकर वाइल्ड को पढ़िये। उनके द्वारा, वाक्यों में द्विअर्थी शब्दों के उपयोग को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।
- टेलीविज़न कार्यक्रम कॉमेडी सर्कस के चरित्रों का अध्ययन करिए। हर एपिसोड में आपको द्विअर्थी विनोदशील शब्दों का खूब प्रयोग मिल जाएगा और साथ ही उसकी कमियाँ भी पता चल जाएंगी।
- अन्य उत्तम उदाहरण है यह जो है ज़िंदगी। उसमें विशेष रूप से सतीश शाह, राकेश बेदी और स्वरूप सम्पत को देखिये।
- अन्योक्तियों का प्रयोग करिए: मान लीजिये कि कोई एकाएक कहता है कि, “6 बज गए!” आप कह सकते हैं “बिग बेन, धन्यवाद!” (“बिग बेन” लंदन में लगी हुयी विशालकाय घंटाघड़ी का प्यार का नाम है।) यह एक विशिष्ट व्यंग्यात्मक उदाहरण है क्योंकि आप यह भी संकेत कर रहे हैं (“धन्यवाद” कह कर) कि स्पष्ट ही आप आभारी तो नहीं ही हैं!
- सभी अन्योक्तियों का व्यंग्यात्मक होना आवश्यक नहीं है। जैसे कि, अपने बेटे के अस्त व्यस्त कमरे को हरीकेन बॉब का ठौर ठिकाना कहना उसको गंदा संदा कहने का एक सृजनात्मक और विनोदशील तरीका है और बॉब पर ज़िम्मेदारी डालने का भी। आप विनोदशील अन्योक्तियों का प्रयोग किसी की प्रशंसा एवं अभिनंदन करने के लिए भी कर सकते हैं।
- पूरे ज्ञान के लिए ‘हाऊ टु राइट मेटाफ़ोर’ देखिये।
- किसी फिल्म, पुस्तक अथवा महत्वपूर्ण व्यक्ति के प्रसंगोचित उद्धरण से प्रतिउत्तर दें। संदर्भ जितना अधिक अज्ञात होगा, वक्तव्य उतना ही विनोदशील होगा – परंतु, यदि वह व्यक्ति जिससे आप बात कर रहे हों और उसे प्रसंग का पता ही न हो, तब तो भ्रांति भी उतनी ही बढ़ जाएगी ।
- यदि कोई कहता है “मैं प्रयास करूंगा” और आप कहते हैं “करो या मत करो, प्रयास तो है ही नहीं”, हो सकता है और नहीं भी हो सकता है कि वे जान जाएँ कि आप स्टार वॉर का संदर्भ ले रहे हैं। यदि वे विनोदप्रियता से जवाब देते हैं “आप में बल अधिक है” तो आप जान जाएँगे कि उन्होने पकड़ लिया है।
- शीघ्रता और निर्लिप्तता से उत्तर दीजिये: विनोदप्रियता का अर्थ केवल यह नहीं है कि आप कितनी सृजनशीलता से विचारों को जोड़ सकते हैं और तुलना कर सकते हैं, बल्कि यह भी कि कितनी शीघ्रता से आप यह कर सकते हैं। विनोदशील टिप्पड़ियों को लापरवाह स्वर में कहने से लगता है कि यह कार्य कितना “आसान” था। एक खिलंदड़ी मुस्कान और भौंहों का मटकाना सोने में सुहागा कर देगा!
- कुछ भी होने से पहले ही उसके बारे में सोच लीजिये! यदि कुछ भी होने से पहले ही आपके पास उसके लिए जवाब है तो जब (और यदि) वह होता है तो ऐसा लगेगा जैसे कि आपके लिए उत्तर सोचना आसान था। केवल इतना सुनिश्चित करिए कि जो हुआ हो, आपने उस पर ध्यान दिया हो और आपके कुछ भी कहने या करने के “पहले की” आपकी टिप्पड़ियाँ प्रासंगिक रहीं हों।
चेतावनियाँ
- अपनी विनोदप्रियता को किफायत से प्रयोग करें। यदि एकाएक हर कोई वही प्रसंग बार बार सुनने लगेगा तो उन्हें आपकी विनोदप्रियता एवं बुद्धिमता पर संदेह होना प्रारंभ हो जाएगा, और वे सोचेंगे कि आप मूर्ख हैं।
- यदि वह व्यक्ति जिससे आप बात कर रहे हैं, आपकी विनोदशीलता को नहीं समझ पा रहा है, तो आप घमंडी समझे जा सकते हैं या बस निराले। एक तरह से यह एक अच्छी बात होगी कि आपको पता चल जाएगा कि आप अपने बराबर की बुद्धि वालों से मिल रहे हैं अथवा नहीं।
- अत्याधिक विनोदशीलता भी एक चीज़ होती है – विनोदशील बातचीत करने और दिखावा करके उन लोग (या लोगों) को , जिनसे आप बातें कर रहे हों, स्वयं से दूर कर लेने के बीच में बहुत ही सूक्ष्म अंतर होता है।
- कुछ आक्रामक प्रवृत्ति के विनोदशील व्यक्ति, बातचीत के दौरान आपके द्वारा विनोदशीलता के प्रयोग को विनोद के युद्ध के निमंत्रण के रूप में देख सकते हैं। जहां एक ओर यह एक मनोरंजक और दिलचस्प क्रियाकलाप हो सकता है, इसमें इसके व्यक्तिगत होने की संभावना भी है। अपनी सीमाओं का निर्धारण करने को तैयार रहें और दूसरे की सीमाओं का सम्मान करें ताकि भावनाओं को चोट न पहुंचे।
- जब भी आप कोई विनोदशील बात कहें तो दूसरे व्यक्ति की भावनाओं और मनोभावों का ध्यान रखें।
- अन्य लोगों को पता लगे बिना, अपनी विनोदशीलता से दूसरों को नीचा दिखाना नीचता है। यह नैतिकता के हिसाब से “नीचता” है और आलंकारिक रूप से भी “नीचता” है क्योंकि आप किसी व्यक्ति को “नीचा” दिखा रहे होते हैं।
विकीहाउ के बारे में
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