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आज के ग्लोबलाइज़ेशन (Globalisation) के दौर में, हमें अक्सर अलग-अलग तरह के लोगों से मिलने का मौका मिलता है। खासतौर पर तब, जब हमें बिज़नेस के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों से मिलना होता है। इसलिए क्या आप भी चाहते हैं कि किसी मुसलमान से मिलते समय उसका आदर के साथ अभिवादन किया जाए? इन कुछ आसान दिशा-निर्देशों के ज़रिए आप आसानी से किसी भी मुसलमान का अभिवादन करना सीख सकते हैं।
चरण
विधि 1
विधि 1 का 3:
अगर आप मुस्लिम नहीं हैं, तो इस तरह किसी मुस्लिम का अभिवादन करें
- मुस्लिम से अभिवादन के लिए सलाम का इस्तेमाल करें: मुस्लिम का उसी तरह अभिवादन करें, जिस तरह वह एक-दूसरे का अभिवादन करते हैं।
- अभिवादन के लिए इन शब्दों का इस्तेमाल करें "अस्सलामू अलैकुम" ("आप पर सलामती हो")।[१]
- इन शब्दों को सही बोलने का तरीका “अस सलामू अलेयकुम” है।
- आप चाहें तो लंबा अभिवादन भी कर सकते हैं "अस्सलामू अलैकुम वराहमतुल्लाही वबारकातोहु" ("आप पर अल्लाह की सलामती, रहमत और बरकत हो”)।
- इसको सही बोलने का तरीका “अस सलामू अलेयकुम वराह मतुल्लाही वबा रकातोहु” है।
- मुस्लिमों से सलाम की आशा ना रखें: परंपराओं के हिसाब से सलाम केवल मुस्लिमों के लिए हैं। इसलिए अगर आप मुस्लिम नहीं हैं, तो हो सकता है कि आपको सलाम ना किया जाए।[२]
- कुछ मुस्लिम विद्वानों का मानना है कि गैर मुस्लिमों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए, उन्हें भी सलाम करने में कोई हर्ज नहीं है।
- अगर कोई मुस्लिम आपको सलाम करे, तो "वा अलैकुम अस्सलाम वराहमतुल्लाह" कहकर इसका जवाब दें।
- इसको कहने का सही तरीका "वा अलेयकुम अस सलाम वराह मतुल्लाह" है।
- जिसका मतलब "तुम पर भी अल्लाह की सलामती और रहमत हो" है।[३]
- इसका लंबा जवाब "वा अलेयकुम अस सलाम वराह मतुल्लाही वबा रका तोहु" है।
- मुस्लिम से सलाम का जवाब देने की आशा रखें: अगर कोई गैर मुस्लिम, मुसलमान को सलाम करता है, तो वह मुस्लिम उसको जवाब में ("वा अलैकुम अस्सलाम वराहमतुल्लाह") कहेगा।
- मुस्लिम को सलाम का जवाब देना जरूरी (वाजिब) होता है, भले ही सलाम करने वाले का ताल्लुक किसी भी मज़हब से हो। सलाम का जवाब ना देना इस्लाम धर्म के खिलाफ है।
- मुस्लिम धार्मिक ग्रंथ क़ुरान के हिसाब से दुनिया में आए पहले इंसान यानी आदम से लेकर अब तक सभी के लिए सलाम करना अल्लाह ने ज़रूरी कर दिया है।
- हो सकता है कि बहुत से मुस्लिम आपके सलाम का जवाब "वाअलेयकुम" कहकर दें। अगर ऐसा है, तो इसके पीछे मजहबी मामला है। जो मुस्लिमों के पवित्र शहर मदीना के इतिहास से जुड़ा हुआ है। ऐसी रिवायत है कि मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम के दौर में कुछ गैर मुस्लिमों ने मुसलमानों को "अस्सामो अलैकुम" कहकर सलाम किया, जिसके शब्द अरबी में बिल्कुल सलाम से मिलते जुलते हैं, पर उसका मतलब यह है कि "तुम्हारे ऊपर तबाही आए"। इस गलत सलाम का जवाब मुसलमानों ने वाअलैकुम कह कर दिया, जिसका मतलब है, तुम्हारे ऊपर भी आए और इस तरह से भी सलाम का जवाब देने का यह रिवाज आज भी जारी है।[४]
- अगर आप मर्द हैं, तो अपने मर्द मुस्लिम साथी से हाथ मिलाएं: मुस्लिम मर्दो का सलाम करके एक दूसरे से हाथ मिलाना एक आम रिवाज है।
- मर्दों का मर्दो से हाथ मिलाने में कोई हर्ज नहीं है।
- लेकिन कुछ शिया मुस्लिमों के मुताबिक गैर मुस्लिमों से हाथ मिलाना ग़लत है।
- अगर कोई मुस्लिम आपसे हाथ ना मिलाए, तो नाराज़ ना हों और अपना अपमान ना समझें। इससे उसका मकसद आपका अपमान करना नहीं है, बल्कि ऐसा करना उनके धार्मिक मामलों से जुड़ा हुआ है।
- अगर आप मर्द हैं, तो मुस्लिम औरतों से हाथ ना मिलाएं: इस बात में काफी मतभेद है कि क्या मुस्लिम औरतों को मर्दों से हाथ मिलाना चाहिए। लेकिन आपको कभी भी हाथ मिलाने की शुरुआत नहीं करना चाहिए, जब तक कि वह महिला खुद इसकी शुरुआत ना करें।
- ज्यादातर मुस्लिम महिलाएं मर्दों से हाथ नहीं मिलातीं, क्योंकि इस्लाम इस बात की इजाज़त नहीं देता कि कोई भी गैर मर्द जो उसके परिवार का नहीं है, उसको छुए।[५]
- कुछ मुस्लिम महिलाएं, खास तौर पर जो खुले माहौल में पली-बढ़ी होती हैं, हो सकता है कि वह मर्दों से हाथ मिला लें।[६]
- कुछ मुस्लिम महिलाएं हाथों में दस्ताने पहनती हैं, क्योंकि इस्लाम में परिवार के बाहर किसी भी मर्द को हाथ लगाने की मनाही है।[७]
- अगर आप महिला हैं, तो मुस्लिम मर्दो से हाथ ना मिलाएं: आपकी धार्मिक मान्यताएं जो भी हों, लेकिन आपको मुस्लिम मर्दो से हाथ नहीं मिलाना चाहिए, जब तक कि वह खुद इसकी शुरुआत ना करें।
- अपने मुस्लिम साथी को सलाम करके उसका अभिवादन करें: हमेशा अपने मुस्लिम साथी को सलाम करना चाहिए।
- मुस्लिमों को "अस्सलामू अलैकुम" कहकर सलाम करना एक काम और सबसे प्रचलित तरीका है।
- यह मुस्लिम को सलाम करने का सबसे कम शब्दों वाला तरीका है।
- समय कम होने की स्थिति में इस तरीके से सलाम करना जायज़ है, जैसे सड़क पर एक दूसरे से आमना-सामना होने की स्थिति में आप इस तरह से सलाम कर सकते हैं।
- सलाम को मुकम्मल करने के लिए इसके आगे “वराहमतउल्लाही वबारकातोहू” जोड़ें।
- इस बात का ध्यान रखें कि अल्लाह ने मुस्लिमों को एक दूसरे को सलाम करने का हुक्म दिया है: सलाम से जुड़े हुए नियमों की वजह से इस बात का भी खास ख्याल रखें कि किसको पहले सलाम करना है।
- आने वाला पहले से मौजूद मुस्लिम को सलाम करेगा।
- गाड़ी पर चलने वाला पैदल चलने वाले को सलाम करेगा।
- पैदल चलने वाला बैठे हुए को सलाम करेगा।
- लोगों का छोटा समूह बड़े समूह को सलाम करेगा।
- छोटे लोग बड़ों को सलाम करेंगे।
- किसी भी सभा में आते और जाते समय सलाम किया जाएगा।[१०]
- सलाम का जवाब दें: हमेशा सलाम का जवाब देकर उसके सलाम को स्वीकार करें।
- सलाम का जवाब "वा अलैकुम अस्सलाम वराहमतुल्लाह" कहकर दें।[११]
- सलाम का पहला हिस्सा यानी "वालेकुम अस्सलाम" कहकर सलाम का जवाब देना भी उचित है।
सलाह
- अजनबियों के साथ-साथ पहचान वालों को भी सलाम करें।
- हमें मुस्लिम बच्चों को भी सलाम करना चाहिए, ताकि वह भी इस्लामी आदाबों से वाकिफ हो सकें।
- अगर आप मुस्लिम हैं और दुनिया में कहीं गैर मुस्लिम लोगों से मिल रहे हैं, तो आप हेलो, गुड मॉर्निंग आदि या उस इलाके में चलने वाले अभिवादन के खास शब्दों का इस्तेमाल करें।
चेतावनी
- अगर आप धार्मिक मुस्लिमों से मिल रहे हैं, तो सलाम की बजाय हाय, हेलो या गुड मॉर्निंग का इस्तेमाल बिल्कुल ना करें।
रेफरेन्स
- ↑ http://www.merriam-webster.com/dictionary/as-salaam%20alaikum
- ↑ http://www.virtualmosque.com/islam-studies/rules-of-greeting-non-muslims-in-islam-saying-salaamreplying-salaam-bynurideen-lemu-an-nigeri/
- ↑ http://en.islamway.net/article/13263/assalam-alaikum-the-islamic-greeting
- ↑ http://www.quranandhadith.com/greeting-in-islam/
- ↑ http://www.islamicinsights.com/news/community-affairs/to-shake-or-not.html
- ↑ http://newamericamedia.org/2014/04/local-muslims-scholars-weigh-in-on-shaking-hands-with-the-opposite-sex.php
- ↑ http://newamericamedia.org/2014/04/local-muslims-scholars-weigh-in-on-shaking-hands-with-the-opposite-sex.php
- ↑ http://www.talktoislam.com/answer/14/Why+Don't+Muslim+Men+Shake+Hands+with+Women%3F
- ↑ http://www.talktoislam.com/answer/14/Why+Don't+Muslim+Men+Shake+Hands+with+Women%3F
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