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ये हर पैरेंट्स के लिए बहुत मुश्किल होता है: आप और आपका बच्चा, दोनों ही बुरी तरह से थक गए हैं, लेकिन इसके बाद भी किसी भी चीज से आपके बच्चे को सुलाने में सफलता नहीं मिल रही है। सोना हमारे स्वास्थ्य और मन दोनों के लिए ही अच्छा होता है और नए जन्मे बच्चे के लिए तो हर रोज 18 घंटे तक की नींद की जरूरत होती है, जबकि 1 साल की उम्र के बच्चे के लिए करीब 14 घंटे की नींद जरूरी होती है।[१] अगर आपको आपके बच्चे को सुलाने में मुश्किल हो रही है, तो यहाँ आपके लिए कुछ टिप्स और ट्रिक्स दी गई हैं, लेकिन आपके लिए एक ऐसा रूटीन बनाना भी जरूरी है, जिसके साथ में आप जुड़े रहें और जो आपके बच्चे और फैमिली के हिसाब सूट होने के लिए अलग-अलग मेथड्स को अपना सके।
चरण
- सोने का एक शेड्यूल बनाएँ: रात का एक रूटीन आपके बच्चे को हर शाम को एक ही समय पर सोने जाने की आदत अपनाने में मदद करेगा, जिससे आपके लिए उसे सुलाना आसान करने में मदद मिलेगी। एक ऐसा रूटीन बनाएँ, जो आपके लिए काम करे। इसमें बाथ टाइम, कम्फ़र्टेबल बेडटाइम कपड़े, एक स्टोरी, एक फ़ाइनल फीडिंग, मसाज या फिर ऐसा कुछ भी, जो आपके बच्चे को सोने के पहले उसकी आँखों में नींद लाने में मदद करे, वो सब शामिल हो सकता है।
- ऐसा नहीं है कि आपको आपके रूटीन के सभी पहलुओं को (न ही यहाँ पर दर्शाए हुए क्रम में) हर एक रात को पूरा करना पड़े, लेकिन इस बात की पुष्टि कर लें कि आप हमेशा आपके रूटीन के मुताबिक ही सारी चीजें करते हैं, ताकि आपके बेबी को पता रहे कि उसे किस चीज की उम्मीद रखना है और उसे रिलैक्स होने के संकेत को पहचान सके।[२]
- फिर चाहे वो समझ पाने के हिसाब से बहुत छोटा ही क्यों न हो, अपने बच्चे को बताएं कि उसके सोने का टाइम हो गया है, ताकि वो आपके बोले जाने वाले इशारों को समझना शुरू कर दे।
- अपने बच्चे को फीड करें: उसे इतना ज्यादा भी मत दें कि उसका पेट काफी ज्यादा भर जाए और वो अनकम्फ़र्टेबल हो जाए, लेकिन उसे इतना दें कि वो संतुष्ट हो जाए और सोने के पहले भूखा न रहे।
- उसे एक जेंटल मसाज दें: सोने के पहले, छोटी मसाज देकर देखें। 10 से 15 मिनट के लिए, स्लो, लॉन्ग स्ट्रोक्स का यूज करें और बहुत थोड़ा सा दवाब देकर उसके आर्म्स, पैरों, हाथों, पंजों पीठ और पेट की मसाज करें।[३] सनफ्लावर या ग्रेपसीड के जैसे एक बेबी-फ्रेंडली ऑइल का यूज करें।
- आराम से उसके चेहरे को, जिसमें उसका माथा, उसके नाक के ब्रिज और उसका सिर शामिल है, रगड़ें।[४]
- नहाने का एक टाइम रखें: एक वार्म बाथ एडल्ट्स और बेबी के लिए काफी आरामदायक होती है और ये आपके रात के रूटीन के लिए एक अच्छा एडिशन भी होता है। अगर आपके बेबी को बाथ में ज्यादा मजा नहीं आता है या फिर उसको पानी में जाना अच्छा नहीं लगता है, तो आप इस स्टेप को छोड़ सकते हैं।
- खिलौने या फिर इसी तरह की दूसरी खेलने के लिए उकसाने वाली चीजों को रात की बाथ में मत रखें, क्योंकि इस समय पर बाथ लेने का मकसद, सोने के पहले एक शांत, आरामदायक टाइम से होता है।[५]
- फ्रेश डायपर और पाजामा पहना दें: रात में, बीच में लीकेज होने से और बदलने की जरूरत से बचने के लिए एक अच्छे, मोटे, एक रात वाले डायपर का यूज करें। आरामदायक कपड़े वाला एक बहुत सॉफ्ट पाजामा चुनें, क्योंकि बेबी को जब ठंडा लगता है, तब वो गर्मी के मुक़ाबले ज्यादा बेहतर तरीके से सो पाते हैं। क्योंकि ब्लैंकेट से सफ़ोकेशन या साँस रुकने का रिस्क रहता है, इसलिए ब्लैंकेट के ऊपर बूटीज (booties), स्कल कैप्स (skull caps) और स्लीपिंग सैक (sleeping sacks) का यूज करें।[६]
- अपने बच्चे के लिए एक स्टोरी पढ़ें: एक बहुत धीमी आवाज को एक-समान स्वर में इस्तेमाल करें, जिससे बच्चे में जोश न आए या उसकी नींद उड़ जाए। हर एक बच्चा अलग होता है और वो बहुत अलग तरीके से ही प्रतिक्रिया भी देता है और अगर आपका बच्चा स्टोरी के दौरान रिलैक्स नहीं होता है,तो फिर इस तरह की दूसरी मेथड्स ट्राय करके देखें:
- उसे अपनी आर्म्स में या फिर एक केरियर में लेकर यहाँ-वहाँ वॉक करें
- उसे एक चेयर पर या आपकी आर्म्स में बहुत आराम से झूला झुलाएँ
- उसके लिए एक गाना गाएँ
- उसके लिए एक शांत म्यूजिक चलाएँ
- जब उसकी आँखों में नींद आने लगे, लेकिन वो फिर भी पूरी तरह से सोया न हो, तब उसे बेड पर लिटा दें: थकान के संकेत, जैसे कि भारी आँखें, रोना, मुट्ठी बनाना और आँखें रगड़ना, की तरफ ध्यान दें। उसे बेड पर लिटाना और उसे अपने आप सोने देना, उसे खुद को सुलाना सिखाने में मदद करेगा।
- इस समय पर आइ कांटैक्ट न करें, क्योंकि इसकी वजह से शायद वो फिर से उत्तेजित हो सकता है और एक बार फिर से जाग सकता है।
- उसे उसकी पीठ के बल लिटा दें: बेबी को हमेशा उनकी पीठ के बल सोना चाहिए, क्योंकि ऐसे बच्चे, जो उनके पेट के बल सोते हैं, उनमें SIDS (सडन इंफेंट डैथ) का बहुत ज्यादा रिस्क रहता है।[७]
- जब आप अपने बच्चे को बेड पर लिटाएँ, तब उसे आपके फिजिकल कांटैक्ट के साथ आराम दें। अपने बच्चे को ये अहसास दिलाने के लिए, कि आप वहीं हैं और उसे सेफ और सिक्योर महसूस कराने के लिए, हाथों को आराम से उसके पेट, आर्म्स या सिर पर रखें।[८]
- लाइट्स बंद कर दें: इसमें बेडरूम की लाइट्स, लैंप्स, नाइटलाइट्स, मॉनिटर्स और स्क्रीन्स शामिल और हर वो चीज, जो आर्टिफ़िशियल लाइट देती है, वो सभी शामिल हैं। अननेचुरल लाइट्स हमारे सर्कडियन रिदम (circadian rhythms) में बाधा डाल सकती है, जो कि हमारा नेचुरल स्लीप-वेक साइकिल होता है।
- अपने बच्चे को लाइट के सामने रखने से बचाने के लिए, उसके प्री-बेड रूटीन के दौरान ही लाइट्स को धीमा करने का ख्याल रखें।[९]
- कमरे को सारी रात अंधेरा रखें। रात के समय आर्टिफ़िशियल लाइट्स के सामने आने की वजह से बच्चे के शरीर में मेलाटोनिन (melatonin) का प्रॉडक्शन कम हो जाता है, जो कि स्लीप-वेक साइकिल के लिए जिम्मेदार हॉरमोन होता है।[१०]
- रात में सोने आपके जाने के पहले, उसे एक बार फीड करें: बच्चे को उसकी नींद में फीड करना, उसकी भूख को लंबे समय तक रोके रखेगा और शायद आपके बच्चे को सुबह और ज्यादा देर तक सोते रहने में मदद करेगा। क्योंकि वो बहुत धीमे-धीमे फीड कर रहा होगा और उसके साथ में ज्यादा हवा नहीं ले रहा होगा, इसलिए बेडटाइम या मिड-नाइट फीड कराने के बाद उसे डकार देना छोड़ सकते हैं, क्योंकि ये शायद उसके लिए वापस सो पाना मुश्किल बना देगा।[११]
- बच्चे को झूले को खाली रखें: सारे ब्लैंकेट्स, खिलौने और दूसरी चीजों को हटा दें। न केवल ये आपके बच्चे की नींद के लिए डिसट्रेक्शन होंगे, बल्कि वो सफ़ोकेट होने और SIDS के रिस्क में होता है।[१२]
- उसे अच्छे से लपेटें (Swaddle): अगर आपका बच्चा रात में आसानी से नहीं सो पाता है और अक्सर उठ जाता है, तो उसे लपेटकर देखें। उसके शरीर पर ब्लैंकेट को बहुत सावधानी के साथ लपेटने से उनमें झटका लगने से और उसकी नींद के खुलने से बचाए रखने में मदद करेगा,[१३] उसे गर्माहट देगा, उसे सेफ फील कराएगा और गर्भ में होने का अहसास दिलाएगा और शायद उसे बेहतर तरीके से सोने में मदद कर सकता है।[१४] इसके अलावा, ब्लैंकेट को टाइट और सावधानी के साथ लपेटना उसे ढीला होने से और उसके सफ़ोकेट होने के रिस्क से बचा लेगा।
- दो महीने की उम्र से ज्यादा उम्र के बच्चों को कभी भी सोने के अनचाहे समय पर मत लपेटें, क्योंकि इस उम्र के बच्चे पलटना शुरू कर देते हैं।[१५]
- आसपास किसी तरह की हलचल मत करें: माँ के गर्भ में, बच्चे डेली 24 घंटे तक सबकी आवाजें सुनते हैं। अपने बच्चे के कमरे में आवाजें करने या व्हाइट नोइज़ शुरू करने से उसने जो भी कुछ गर्भ में सुना है, उसी जैसा अहसास दिलाने में मदद करेगा,[१६] और उसको लाइट या सेंसिटिव स्लीपर बनने से रोक लेगा।
- एशेन्सियल ऑइल्स से आराम देने की कोशिश करें: छह महीने से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए, लैवेंडर और कैमोमाइल जैसे एशेन्सियल ऑइल्स को बहुत जरा सी मात्रा में उनके कमरे में, नींद को बढ़ावा देने के लिए, एक बहुत अच्छी महक तैयार करने के लिए, यूज किया जा सकता है। इन सेंट्स को एक डिफ्यूजर में यूज करके देखें या फिर एक टिशू पर, झूले या उनके खिलौने के पास रखे फेसक्लॉथ पर कुछ बूंदें रख दें।[१७]
- कमरे से एलर्जी के स्त्रोत हटा दें: ये करना खासतौर पर तब और भी जरूरी है, अगर आपका बच्चा सुबह भरी हुई या कंजस्टेड (फंसी हुई) नाक के साथ उठता है। जहां तक हो सके, आपके बच्चे के कमरे को और पूरे घर को साफ, सूखा और धूल से फ्री रखने की कोशिश करें। ऐसे कॉमन इरिटेंट्स,जो आपके बच्चे की नींद को डिस्टर्ब कर सकते हैं और जिन्हें बेडरूम से दूर रखा जाना चाहिए, में ये शामिल हैं:[१८]
- धुआँ और पेंट की महक
- पैट डैंडर (Pet dander), लिंट और सॉफ्ट टॉय से निकली हुई धूल, कैनोपी (canopies) और ड्रेप्स (drapes)
- तकिये और कंफ़र्टर्स के रेशे
- बेबी पाउडर
- परफ्यूम्स और हेयरस्प्रे
- पौधे
- शांत रहें और अपना काम करें: अपने बच्चे को रात में संभालना, उसे आराम देने में और एक बार फिर से सुलाने में मदद कर सकता है, लेकिन ये बच्चे को बीच रात में और जागने के लिए भी प्रेरित कर सकता है। उसके साथ में आइ कांटैक्ट मत बनाएँ और बहुत कम समय तक बात करना और गाना जारी रखें। उसके पेट, सिर और चेहरे को टच करके देखें और बहुत सॉफ्ट वॉइस में बोलें।[१९]
- मुमकिन है कि आपके बच्चे के रात में उठने के पीछे का एक कारण ये हो सकता है कि शायद वो भूखा है, क्योंकि बच्चों को हर एक से तीन घंटे के अंदर भूख लग जाती है और न्यूबोर्न को खासतौर पर बिना खाए चार घंटे से ज्यादा नहीं रह सकते हैं।[२०]
- लाइट्स को बंद रखें: खासतौर पर बड़े बच्चों के लिए, जिनके शरीर में सर्कडियन रिदम का बनना शुरू हो गया है, जो लाइट और अंधेरे से चलती है, लाइट्स चालू मत करें या न ही जब आप रात के बीच में अपने बच्चे को वापस सुलाने के लिए उसे आराम देने की कोशिश करें, तब उसे रौशनी वाले कमरे में लेकर जाएँ।
- डायपर चेंज करने से बचें: भले ही गीले और बदबूदार डायपर को तुरंत बदला जाना जरूरी होता है, एक अनचाहा डायपर चेंज आपके बच्चे को जरूरत से ज्यादा जगा सकता है और आपके बच्चे को हर बार फीड करने के बाद डायपर चेंज करने की जरूरत नहीं होती है, इसलिए रात में, केवल तभी डायपर बदलें, जब वो गंदा हुआ हो।[२१]
- एक पेसिफायर (pacifier) यूज करके देखें: न सिर्फ ये आपके बच्चे को वापस सुलाने में मदद करेगा, बल्कि ये उसमें SIDS को रोकने में भी मदद करेगा। चोक होने और ग्ले के घुटने जैसी मुश्किल को रोकने के लिए, एक कॉर्ड- और क्लिप-फ्री पेसिफायर यूज करने का ख्याल रखें[२२]
- दांत में परेशानी के लक्षणों को पहचानें: खासतौर से चिढ़े हुए बच्चे शायद दांत के दर्द से जूझ रहे होते हैं, जो तीसरे महीने की शुरुआत से शुरू हो सकता है। अगर आपको शक है कि दांत का दर्द आपके बच्चे को रात में सोने से रोक रहा है, तो अपने डॉक्टर से एक ऐसी बेबी-सेफ पेनकिलर के बारे में पूछें। दांत के लक्षणों में, ये शामिल हैं:[२३]
- बहुत ज्यादा लार बनाना (drooling) या फिर उसके सिर के नीचे की चादर गीली होना
- मसूड़ों का नरम और उनमें सूजन होना
- हल्का फीवर
चेतावनी
- बड़ी उम्र के ऐसे बच्चे, जो रात में प्यासे उठते हैं, उन्हें दूध की बजाय पानी दिया जाना चाहिए, क्योंकि रात में बहुत ज्यादा बॉटल यूज करने से दांतों का क्षय होना शुरू हो जाता है।
वीडियो
रेफरेन्स
- ↑ http://www.webmd.com/parenting/guide/sleep-children
- ↑ http://www.babysleepsite.com/baby-sleep-patterns/how-to-put-your-baby-to-sleep-at-night-6-steps/
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- ↑ http://www.wahm.com/articles/5-infant-massage-techniques-for-calming-your-baby-1.html
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- ↑ http://www.babycenter.com/404_whats-the-best-sleepwear-for-my-baby_7628.bc
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- ↑ https://sleepfoundation.org/sleep-news/lights-out-good-nights-sleep/page/0/1
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विकीहाउ के बारे में
अपने बच्चे को सुलाने से पहले, उसका डायपर बदल दें और उसे अच्छे से फीड करें, ताकि वो ज्यादा से ज्यादा कम्फ़र्टेबल रहे। अपने बच्चे के लिए गर्माहट बनाए रखने के लिए, उसे कोई सॉफ्ट पायजामा पहना दें। बच्चे को तैयार करने के बाद, आप देखेंगे, कि बच्चे को झुलाने, कोई मीठा सा सॉन्ग या लोरी सुनाने या फिर उसे बहुत आराम से अपनी बाँहों में हिलाने से, उसे रिलैक्स होने में मदद मिलेगी। आपका बच्चा जब एकदम सुस्त होने या झुकी हुई आँखों के जैसे थकान को दिखाने वाले संकेत देना शुरू करे, उसे उसके झूले में, उसकी पीठ के बल सुला दें। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडिऐट्रिक्स रिकमेंड करती है कि हैल्दी बेबी को उसकी पीठ के बल सुलाने से, उनमें सडन इन्फ़ेंट डैथ सिंड्रोम (SIDS) का खतरा कम हो जाता है। अगर आपका बेबी 2 महीने से कम उम्र का है, तो आप उसे माँ के गर्भ में होने का अहसास देने के लिए, उसे लपेट भी सकते हैं, जिसे ज़्यादातर बेबीज बहुत रिलैक्सिंग पाते हैं। उसकी उम्र 2 महीने से ज्यादा हो जाने के बाद, उसे लपेटना बंद कर दें, क्योंकि इस तरह से लपेटकर रखना, बच्चों के मूवमेंट को रोक देता है। एक बार आपका बेबी उसके झूले के अंदर सेफली अपनी पीठ के बल आ जाता है तो लाइट्स बंद कर दें और फिर फ़ैन, व्हाइट नोइज़ मशीन या एप चालू कर दें, जो आपके बेबी को आराम पहुँचाए और उसे जगाए रखने वाली आवाजों को ब्लॉक कर सके। एक बात का ध्यान रखें, चाहे आप कितना कुछ भी क्यों न ट्राई कर लें, मुमकिन है, कि आपके बच्चे की नींद रात में कुछ बार खुले। साथ ही आपके उसे नीचे सुलाने के बावजूद भी शायद वो सो नहीं पाए। अगर एक बार जागने के बाद, आपके बच्चे को सोने में मुश्किल हो रही है, तो उसके लिए कुछ गाकर, उसे अपनी बाँहों में झुलाकर, उसके डायपर को बदलकर, अगर उसे भूख लगी है, तो उसे फिर से फीड करके या फिर स्लिंग या केरियर में लेकर, उसे आराम से हिलाते हुए, घर में घूमकर देखें। अपने बच्चे को और आसानी से सुलाने में मदद के लिए, एक कंसिस्टेंट रूटीन बनाए रखें और इसे हर रात एक ही समय पर शुरू करें। अपने बच्चे को हर रात एक ही वक़्त पर सोने के लिए ट्रेन करने जैसी, और भी सलाह पाने के लिए, पढ़ते जाएँ।