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रेगिस्तानी इलाके में सफर करना अन्य इलाकों की अपेक्षा ज्यादा चुनौती-भरा होता है। चाहे आप पैदल ही क्यों ना चल रहे हों, आपको कांटेदार नागफनी (कैक्टस) के पौधों से सचेत होकर चलना होगा ताकि ये काँटें आपके कपड़ों से ना चिपक जाय और ना ही आपके शरीर में चुभे। नागफनी (कैक्टस) की कुछ प्रजातियाँ जैसे कूदने वाले चोला और टेडी बियर कैक्टस के दर्जनों, बाल-जैसे महीन काँटें होते हैं जो पौधे से रगड़-खाने वाली किसी भी वस्तु में तुरंत चिपक जाते हैं। इससे भी खतरनाक तो प्रिक्क्ली पीयर कैक्टस के अपेक्षाकृत मोटे व तीक्ष्ण काँटे होते हैं जिससे घायल व्यक्ति यदि उन काँटों को फौरन अपने शरीर से नहीं निकाले तो चर्मरोग संबंधी प्रतिक्रिया हो सकती है।
चरण
- गोंद (ग्लू) का प्रयोग करें: त्वचा पर व्हाइट स्कूल ग्लू का इस्तेमाल ग्लोचिड्स को बाहर निकालने में अत्यंत सहायक एवं प्रभावी उपाय माना जाता है। नागफनी के छोटे काँटों के ऊपर से होते हुए अपनी त्वचा पर व्हाइट ग्लू को फैलाकर लगायें। गोंद (ग्लू) को 5-10 मिनट तक सूखने के लिए छोड़ दें, फिर उसकी परत को छीलकर हटायें। जिससे सारे ग्लोचिड्स शरीर से निकलकर गोंद (ग्लू) में चिपक जायेंगे। सभी काँटों को हटाने हेतु आवश्यकता-अनुसार इस प्रक्रिया को दुहराते रहें।
- टेप का इस्तेमाल करें: डक्ट टेप त्वचा से ग्लोचिड्स दूर करने में प्रमाणिक सिद्ध हुआ है। जिस स्थान पर काँटे फँसे हुए हैं वहाँ बस एक डक्ट टेप को तानकर लगा दें। अपनी त्वचा पर लगे डक्ट टेप को दबाकर धीरे-धीरे रगड़ते हुए यह सुनिश्चित कर लें कि काँटे टेप में चिपक रहे हैं। फिर, टेप के एक सिरे को पकड़कर एक झटके में ग्लोचिड्स सहित उधेड़ दें। अगर जरुरत पड़े तो, इस प्रक्रिया को नए टेप के साथ सभी काँटों के निकलने तक दुहरायें।[१]
- चिमटी का उपयोग करें: इसका इस्तेमाल से आप आँखों से दिखने वाले सभी रोएँनुमा काँटों को हटा सकते हैं। हालाँकि इसके इस्तेमाल में ज्यादा समय लग सकता है। इस प्रक्रिया को अच्छी रौशनी वाले स्थान – खासकर प्राकृतिक रौशनी में करें और जरुरत पड़ने पर आवर्धक लेंस का भी इस्तेमाल करें। अब सावधानी से त्वचा में चुभे काँटों को जड़ से खींचकर निकालें। ऊपर बतायी गई तकनीकों में से इस तकनीक का इस्तेमाल कम परेशानी वाला एवं ज्यादा प्रभावशाली है।
- मोजे (पेंटीहोज) का इस्तेमाल करें: हालाँकि इससे काँटे 100% तो नहीं निकाले जा सकते, फिर भी ग्लोचिड्स को तुरंत निकलने का ये एक कारगर तरीका है। पुराने मोजे (जिसका भविष्य में कोई इस्तेमाल न करना चाहते हों) के जोड़े का गोला बना लें। अपनी त्वचा पर इसे तेजी से ऊपर-नीचे करते हुए रगड़ें ताकि नागफनी के काँटे मोजे से चिपककर बाहर निकल जाए। जब तक सारे काँटे न निकल जाए तब तक इस प्रक्रिया को जारी रखें।
- काँटों को घिसकर निकालें: काँटे अगर आपके शरीर के कम नाजुक अंग, जैसे कि पैरों में चुभे हों तो उसे घिस कर निकाला जा सकता है। घिसने से काँटे पूरी तरह बाहर नहीं निकलेंगे पर उनके नोंक जरुर टूट जायेंगे। झामक या झाँवा पत्थर (पमिस स्टोन) से अपनी त्वचा के उस खास हिस्से को अच्छी तरह रगड़ें। बाद में बचे काँटों के टुकड़े को हटाने के लिए त्वचा के उस हिस्से को साफ पानी से धो लें।[२]
- बड़े काँटों को छूने से बचें: नागफनी के बड़े काँटे अपनी अँगुलियों से निकाल लेना आपको बड़ा-ही आसान लग सकता है, पर उनमें अक्सर अत्यंत छोटे रोएंदार काँटे, ग्लोचिड्स होते हैं। हल्के से छूने मात्र से ही ये आपकी त्वचा में चुभ सकते हैं और बड़े काँटों की अपेक्षा इन्हें निकालना ज्यादा कठिन होता है। शूल को बिना छेड़े, त्वचा से बाहर निकालने हेतु अन्य तरीके अपनाएँ।
- शूल (बड़े काँटे) को निकालने हेतु चिमटी का उपयोग करें: त्वचा के निकटतम स्थान से शूल की जड़ को सावधानी से चिमटी की सहायता से पकड़ें। धीरे-धीरे शूल की दिशा में चिमटी को खींचें ताकि शूल बाहर निकल जाए।
- घाव को साफ करें: नागफनी के काँटे ज्यादा लम्बे होने के कारण अक्सर ऐसे छोटे छिद्र-युक्त घाव बना देते हैं जिनसे कभी-कभार खून भी बह निकलता है। खून निकले या ना निकले आपको ऐसे घावों को संक्रमण से बचाने के लिए अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए। घाव का साफ करने हेतु विच हेजल या हाइड्रोजन परॉक्साइड का इस्तेमाल करें; इसमें थोड़ा रुई भिंगोकर इसे घाव पर लपेट दें। जरुरत पड़ने पर, घाव को बाँधने के लिए बैंडेड या गौज पैड का उपयोग करें।[३]
सलाह
- नागफनी के काँटे अगर त्वचा में रह जाए तो इससे संक्रमण हो सकता है।
चेतावनी
- घाव को अच्छी तरह से साफ करना ना भूलें वरना यह संक्रमित हो सकता है।
- कुछ लोगों को नागफनी काँटों के कारण चर्मरोग संबंधी शिकायत भी हो सकती है। काँटों से घायल हिस्से में यदि टीस उठे या छाले उभर आयें तो तुरंत ही किसी चर्मरोग विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक (डॉक्टर) को दिखाएं।
चीजें जिनकी आपको आवश्यकता होगी
- चिमटी
- आवर्धक लेंस (मैग्नीफाइंग मिरर)
- कागजी तौलिये (पेपर टॉवेल्स)
- रुई के गोले
- विच हेजल या हाइड्रोजन परॉक्साइड
- स्कूल में प्रयुक्त होने वाली गोंद (व्हाइट स्कूल ग्लू)
- रबर से बने दस्ताने
- मोजे (पैंटिहोज)